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Do not take painkiller medicines without medical consultation, may cause a severe heart attack

नई दिल्ली 28 सितंबर, 2020. हृदय रोगों के शुरुआती इलाज के महत्व के बारे जागरूकता (Awareness of the importance of early treatment of heart diseases) बढ़ाने के उद्देश्य से फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट (Fortis Memorial Research Institute - एफएमआरआई), गुरुग्राम ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। विश्व हृदय दिवस 2020 (World Heart Day 2020) के अवसर पर, एफएमआरआई ने हरियाणा से दो गंभीर हृदय रोगियों को प्रस्तुत किया जिनका बाईपास सर्जरी की मदद से सफलता पूर्वक इलाज किया गया था।

एक विज्ञप्ति में बताया गया है कि 72 वर्षीय रिटायर्ड किसान राम नारायण को गंभीर दिल का दौरा (Severe heart attack) पड़ा था। जिस वक्त उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था तब उनका हृदय केवल 35 प्रतिशत ही काम कर रहा था, जो 55 प्रतिशत के सामान्य स्तर से बहुत कम था। गहन जांच से पता चला कि मरीज भले ही धूम्रपान करता था, लेकिन वह हर दिन 20 किलोमीटर साइकिल चलाने के साथ एक सक्रिय जीवनशैली जीते थे। लेकिन खेतों में काम करने के कारण उसे जब भी दर्द होता था तो वह बिना डॉक्टर के परामर्श के पेनकिलर दवाइयों का सेवन कर लेते थे। यही गलती उनकी वर्तमान स्थिति का कारण बन गई।

दूसरी मरीज 44 वर्षीय महिला हैं, जो 5 महीनों तक अपने सीने के दर्द को नजरअंदाज करती रहीं। यह दर्द सीने से दाएं हाथ तक पहुंच जाता था और उसे सांस लेने में भी

मुश्किल होती थी। लेकिन जब मरीज का दर्द असहनीय हो गया तो वह हिसार में एंजियोग्राफी (angiography in Hisar) के लिए पहुंची। रिपोर्ट से पता चला कि महिला की 3 मुख्य धमनियों में से 2 धमनियां 100 प्रतिशत ब्लॉक हो चुकी थीं। गंभीर हालत को देखते हुए मरीज को सर्जरी के लिए तुरंत एफएमआरआई में शिफ्ट कर दिया गया।

एफएमआरआई के कार्डियो थोरेसिस (Cardiothoracic) और वस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) के निदेशक और प्रमुख, डॉ. उद्गीथ धीर ने बताया कि,

“72 वर्षीय राम नारायण के फेफड़े धूम्रपान के कारण कमजोर पड़ गए थे और जुलाई में उन्हें गंभीर हार्ट अटैक आया। इस दौरान उनका हृदय केवल 35 प्रतिशत ही काम कर रहा था। वह अक्सर पेनकिलर दवाइयों का सेवन करता था। शायद यही वजह है कि खेतों में एक सक्रिय जीवनशैली के बावजूद उसकी वर्तमान स्थिति ऐसी है। जांच से पता चला कि मरीज लेफ्ट मेन कोरोनरी आर्टरी डिजीज (एलएमसीए) से ग्रस्त था। मरीज को तुरंत इंमरजेंसी में शिफ्ट किया गया जहां उसकी बाईपास सर्जरी की गई। सर्जरी की मदद से तीनों धमनियों के ब्लॉकेज को खोल दिया गया। उसके साथ ही हार्ट अटैक के कारण मरीज के बाएं आर्टि्रयल अपेंडेज में खून के थक्के का पता चला। चौम्बर को साफ किया गया जिससे थक्का शरीर के अन्य हिस्सों तक न पहुंच पाएं। तत्काल हस्तक्षेप और समय पर सर्जरी की मदद से ही मरीज की जान बचाना संभव हो सका।”

हृदय रोगों के लक्षणों की पहचान (Identification of symptoms of heart diseases), सही निदान और समय पर इलाज की मदद से हृदय रोगों को गंभीर होने से रोका जा सकता है। कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary artery disease) को नियंत्रण में करना है तो पहले उसके जोखिम कारकों को नियंत्रण में करना होगा। आप जितनी जल्दी डॉक्टर से परामर्श लेते हैं, आपके इलाज के परिणाम भी उतने ही बेहतर होते हैं। यह प्रक्रिया हृदय की कार्य क्षमता में सुधार कर के हृदय रोगों के कारण मृत्यु के खतरे को कम करती है। जहां समय पर सर्जरी जिंदगी बचा सकती है, वहीं लक्षणों को अनदेखी करना जिंदगी पर भारी पड़ सकता है।

Misdiagnosis can put the patient to death.

डॉ. धीर ने अधिक जानकारी देते हुए कहा कि,

डायबिटीज से ग्रस्त 44 वर्षीय अनिता रानी का मामला भी कुछ ऐसा ही था। उन्हें सीने में दर्द था लेकिन गलत निदान के कारण वे उसे लगभग 5 महीनों तक अनदेखी करती रहीं। कई मामलों में गलत निदान मरीज को मौत के मुंह में डाल सकता है। हालांकि, उन्हें 5 महीनों के बाद अस्पताल में भर्ती किया गया था, लेकिन बाइपास सर्जरी ने न सिर्फ उनकी जान बचाई बल्कि अब वे पूरी तरह से स्वस्थ हैं और एक सामान्य जीवन व्यतीत कर रही हैं।”