लखनऊ 13 अप्रैल 2020: डा. अम्बेडकर के परिवार से जुड़े प्रख्यात बुद्धिजीवी डा. आनंद तेलतुम्बडे की कल बाबा साहब के जन्मदिवस के अवसर पर गिरफ्तारी दुखद व शर्मनाक है। इस गिरफ्तारी के खिलाफ लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास रखने वाले हर व्यक्ति, संगठन व दल को खड़ा होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर कल आत्म समर्पण कर गिरफ्तारी देने वाले डा. तेलतुम्बडे को कोविड 19 के विश्वव्यापी संकट में महाराष्ट्र सरकार को निजी मुचालके पर रिहा कर देना चाहिए।
यह अपील आज एस. आर. दारापुरी पूर्व आई पी एस व राष्ट्रीय प्रवक्ता आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट ने प्रेस को जारी अपने बयान में की है.
उन्होंने कहा कि आरएसएस-भाजपा अपने राजनीतिक-वैचारिक विरोधियों से बदले की भावना से निपटती है। वे अपनी शासन-सत्ता से दमन ढाहते हैं, फर्जी मुकदमे कायम करवाते हैं और उनकी विचारधारा को मानने वाले अनुशांगिक संगठन तो हत्या तक करवाते हैं. यह लोकतंत्र के लिए शुभ नहीं है। महाराष्ट्र में भी तत्कालीन भाजपा सरकार व्दारा भीमा कोरेगांव मामले में डा. आनंद तेलतुम्बडे समेत प्रख्यात पत्रकार गौतम नवलखा, अधिवक्ता व सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज व अन्य निर्दोष लोगों को राजनीतिक बदले की भावना से फर्जी मुकदमे में फंसाया और जब सरकार नहीं रही तो मामले को एनआईए को दे दिया गया।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर भी क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि एक तरफ सुप्रीम कोर्ट कोविड 19 के संकट के कारण जेलों में बंद लोगों को रिहा करने का आदेश देती है जिसकी वजह से हत्या तक के मुलजिमों को थानों से निजी मुचलके पर रिहा किया जा रहा है या उन्हें पेरोल मिल रही है। वहीं अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त बुद्धिजीवियों डा. तेलतुम्बडे व गौतम नवलखा की अग्रिम जमानत रद्द कर उन्हें एक सप्ताह में आत्मसमर्पण का आदेश देती है। इसी आदेश
उन्होंने आगे कहा कि डा. तेलतुम्बडे व गौतम नवलखा जैसी शख्सियतों की गिरफ्तारी से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की लोकतांत्रिक छवि को गहरा आघात लगेगा। इसलिए केन्द्र सरकार के गृह मंत्रालय को इस गिरफ्तारी पर रोक लगानी चाहिए। कम से कम महाराष्ट्र सरकार को तो आरएसएस-भाजपा की राजनीतिक बदले की कार्यवाही का शिकार हुए डा. आनंद तेलतुम्बडे को कोविड 19 की वैश्विक आपदा के मद्देनजर समर्पण के बाद निजी मुचलका पर रिहा करना चाहिए।