Hastakshep.com-देश-Biopsy for bone cancer-biopsy-for-bone-cancer-bone cancer in Hindi-bone-cancer-in-hindi-Bone cancer-bone-cancer-Dr. Akshay Tiwari-dr-akshay-tiwari-Max Super Specialty Hospital-max-super-specialty-hospital-Musculoskeletal Surgical Oncology-musculoskeletal-surgical-oncology-New Delhi-new-delhi-Saket-saket-Treatment of bone cancer-treatment-of-bone-cancer-हड्डी के कैंसर का इलाज-hddddii-ke-kainsr-kaa-ilaaj-हड्डी का कैंसर-hddddii-kaa-kainsr

नई दिल्ली, 06 नवंबर 2019. हड्डी का कैंसर (Bone cancer) एक ऐसा कैंसर है जिसका शुरुआती चरण में निदान करना बेहद मुश्किल होता है क्योंकि इसके कोई खास लक्षण नजर नहीं आते हैं। अधिकतर लोगों का निदान गलत होता है या उनका निदान होता ही नहीं है, जिसके कारण स्थिति गंभीर होती जाती है।

Reason for delay in diagnosis of bone cancer

हड्डी के कैंसर में शुरुआती निदान देता है सर्जरी से छुटकारा

निदान में देरी होने का एक कारण बीमारी के बारे में जागरुकता में कमी भी है। इसके कई लक्षण कई अन्य बीमारियों से मिलते-जुलते हैं, जिसमें संक्रमण, हड्डियों में सूजन आदि शामिल हैं, जिसके कारण लोग अक्सर इस बीमारी की सही पहचान नहीं कर पाते हैं और परिणाम स्वरूप निदान में देरी से बीमारी घातक रूप ले लेती है।

Symptoms of bone cancer

प्रभावित जगह में अचानक तेज दर्द, हड्डियों में सूजन और हल्की सी चोट से फ्रेक्चर जैसी समस्याओं को देखकर लोग समझ ही नहीं पाते हैं कि आखिर उन्हें किस प्रकार की समस्या या बीमारी है। धीरे-धीरे ये समस्याएं जीवन के लिए एक बड़ा खतरा बन जाती हैं। हालांकि, हड्डी के कैंसर के निदान में प्रगति के साथ आज रोगियों और डॉक्टरों को कई लाभ मिले हैं। बीमारी की पहचान शुरुआती चरण में हो जाने के कारण डॉक्टरों को उचित इलाज का चुनाव करने में आसानी होती है।

Musculoskeletal Surgical Oncology Department of Max Super Specialty Hospital, Saket

नई दिल्ली में साकेत स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के मस्कुलोस्केलेटल सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के हेड व प्रमुख सलाहकार, डॉक्टर अक्षय तिवारी ने बताया कि,

“हड्डी के कैंसर का सही निदान हो, इसके लिए बायोप्सी (Biopsy for bone cancer) का इस्तेमाल किया जाता है, जो एक मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में प्रभावित अंग के टिशू को सेंपल के तौर पर लिया जाता है, जिससे निदान ठीक से हो सके। आमतौर पर बायोप्सी का

चुनाव रोगी के आधार पर किया जाता है, लेकिन ऐसे मामले बहुत ही कम होते हैं जहां इनसिजनल (चीरे वाली) बायोप्सी करना अनिवार्य हो जाता है। निदान की सटीकता के कारण सर्जन को उचित इलाज का चुनाव करने में आसानी होती है। बायोप्सी की प्रक्रिया के साथ शुरुआती निदान की मदद से रोगी का जीवन 80% तक बेहतर हो जाता है। यह प्रक्रिया पूरी तरह से सुरक्षित है। शुरुआती निदान और सही इलाज की मदद से 90% रोगियों का इलाज उनके प्रभावित अंगों को शरीर से अलग किए बिना ही सफलतापूर्वक पूरा किया गया है।”

हालांकि शुरुआती निदान ने रोगियों के जीवन को बचाने में 70% तक मदद की है, लेकिन हड्डी के कैंसर का इलाज बीमारी के प्रकार और चरण पर निर्भर करता है।

Treatment of bone cancer depends on the stage of the disease

डॉक्टर अक्षय तिवारी ने आगे बताया कि, “हड्डी के कैंसर का इलाज बीमारी के चरण पर निर्भर करता है। मल्टीडिसिप्लिनरी टीम हर रोगी को अच्छे से जांचती है और उसके बाद ही आगे की प्रक्रिया जारी की जाती है। पहले इलाज को लेकर प्लान तैयार किया जाता है फिर जल्द से जल्द इलाज शुरू कर दिया जाता है। यह एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जहां प्रभावित अंग को बिना काटे ट्यूमर को पूरी तरह से निकाल दिया जाता है। केवल 1 प्रतिशत रोगियों में प्रभावित अंग को शरीर से अलग करने की जरूरत पड़ती है।”

यह समस्त जानकारी एक विज्ञप्ति में दी गई है।