Hastakshep.com-देश-Election Campaign-election-campaign-Election commission-election-commission-hate-based statements-hate-based-statements-Model Code of Conduct-model-code-of-conduct-Supreme Court-supreme-court-आदर्श चुनाव आचार संहिता-aadrsh-cunaav-aacaar-snhitaa-घृणा आधारित बयान-ghrnnaa-aadhaarit-byaan-चुनाव प्रचार-cunaav-prcaar-निर्वाचन आयोग-nirvaacn-aayog-सर्वोच्च न्यायालय-srvocc-nyaayaaly

नई दिल्ली, 15 अप्रैल। सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने चुनाव प्रचार (election campaign) के दौरान नेताओं द्वारा कथित रूप से आदर्श चुनाव आचार संहिता (Model Code of Conduct) का उल्लंघन करने वाली बयानबाजी के मामले की सुनवाई पर सहमति व्यक्त की है। निर्वाचन आयोग (Election Commission) ने शीर्ष अदालत से कहा कि वह घृणा आधारित बयानों पर कार्रवाई (action on hate-based statements) करने के मामले में 'निष्प्रभावी और अधिकारविहीन' है। इसके बाद शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई पर सहमति जताई।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शीर्ष अदालत मंगलवार को सुबह 10.30 बजे इस मामले को देखेगी। अदालत ने कहा कि वह चुनाव आयोग के अधिकारों के दायरे की समीक्षा (Review of the scope of the Election Commission's rights) करना चाहती है।

यह मामला बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य द्वारा की गई टिप्पणियों से संबंधित है जिन्हें आचार संहिता के खिलाफ बताया गया है।

चुनाव आयोग ने अदालत से कहा कि उसके अधिकारक्षेत्र में महज नोटिस जारी करना और फिर दिशा-निर्देश जारी करना है। अगर कोई बार-बार संहिता का उल्लंघन करता है तो वह उसके खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज करा सकता है। उसका कुल अधिकार इतना ही है।

चुनाव आयोग के वकील ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान नेताओं द्वारा नफरत फैलाने वाले और धार्मिक व सांप्रदायिक भाषणों के खिलाफ कार्रवाई करने के मामले में आयोग निष्प्रभावी व अधिकारविहीन है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि तब चुनाव आयोग की शक्तियों के दायरे की जांच करना उचित है जो कि एक संवैधानिक निकाय भी है।

चुनाव आयोग के वकील ने अदालत को सूचित किया कि वह पहले ही मायावती से धर्म के आधार पर वोट मांगने वाले अपने चुनावी भाषण के

बारे में जवाब देने के लिए जवाब मांग चुका है। मायावती को 12 अप्रैल तक जवाब देना था लेकिन चुनाव आयोग को जवाब मिलना अभी बाकी है।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने पूछा,

"आप क्या करने का प्रस्ताव करते हैं?"

चुनाव आयोग के वकील ने इस पर जवाब दिया कि आयोग के पास व्यक्ति को अमान्य या अयोग्य ठहराने का अधिकार नहीं है और यह केवल दिशा-निर्देश भेज सकता है और अगर उम्मीदवार आचार संहिता का उल्लंघन करना जारी रखता है, तो वह एक शिकायत दायर करा सकता है।

सर्वोच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग के अधिकारी को मंगलवार को अदालत में उपस्थित रहने का निर्देश दिया।

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