मुझे आंदोलनकारी किसानों के प्रति पूरी सहानुभूति है, जिन्हें उनकी कृषि उपज के लिए पर्याप्त कीमत मिलनी चाहिए, लेकिन मुझे नहीं मालूम कि यह आंदोलन इस लक्ष्य को कैसे प्राप्त कर सकता है I
इस विरोध प्रदर्शन के दबाव में सरकार एमएसपी नहीं देगी। मुझे डर है कि इस आंदोलन का अंत सिर्फ हिंसा में होगा, जैसा कि जनवरी 1905 में सेंट पीटर्सबर्ग, रूस में खूनी रविवार (Bloody Sunday), या अक्टूबर 1795 में पेरिस, फ्रांस में वेंडेमीरी (Vendemiarie) में हुआ था।
एक 'ग्रेपशॉट' की गोलाबारी ('whiff of grapeshot') जैसी कि नेपोलियन के तोपों द्वारा चलाई गई थी, इन आंदोलनकारियों को तितर-बितर कर देगी।
कई तथाकथित ''स्वतंत्र बुद्धिजीवी'' और ''स्वतंत्र'' पत्रकार उकसाने वाले एजेंट प्रतीत होते हैं, जो अपनी 'स्वतंत्र' सोच और किसानों के प्रति चिंता दिखाने के लिए केवल गुमराह निर्दोष किसानों को बलि का मेमना बनने के लिए उकसा रहे हैं।
कांग्रेस पार्टी, जो हमेशा सरकार को परेशान करने और मुश्किल हालात में फंसने के लिए किसी न किसी मुद्दे की तलाश में रहती है, निश्चित रूप से बहुत पीछे नहीं रहेगी।
जैसा कि शेक्सपियर ने मैकबेथ में कहा था, ''यह एक मूर्ख द्वारा कही गई कहानी है, जो ध्वनि और रोष से भरी है, जिसका कोई मतलब नहीं है।'' ( It is a tale, told by an idiot, full of sound and fury, signifying nothing'' )
जस्टिस मार्कंडेय काटजू
(जस्टिस काटजू भारत के सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)