Hastakshep.com-समाचार-Azadi March in Islamabad-azadi-march-in-islamabad-Jamiat Ulama-e-Islam Pakistan-jamiat-ulama-e-islam-pakistan-Maulana Fazlur Rehman-maulana-fazlur-rehman-आजादी मार्च-aajaadii-maarc-जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल (जेयूआई-एफ)-jmiiyt-ulemaa-e-islaam-phjl-jeyuuaaii-eph-मौलाना फजलुर रहमान-maulaanaa-phjlur-rhmaan-ले के रहेंगे आजादी-le-ke-rhenge-aajaadii

पाकिस्तान में भी ले के रहेंगे आजादी’ ! इमरान खान को दो दिन में इस्तीफा देने की चेतावनी

'आजादी मार्च' इस्लामाबाद पहुंचा, शहर बीरान

Fazlur Rehman gives PM Imran 2 days to resign at Azadi March in Islamabad

इस्लामाबाद, 1 नवंबर। जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल (जेयूआई-एफ) - Jamiat Ulama-e-Islam Pakistan  द्वारा निकाले जा रहे 'आजादी मार्च' के इस्लामाबाद पहुंचने पर शुक्रवार को शहर बीरान-सा नजर आया। यह आजादी मार्च जेयूआई-एफ प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान (Maulana Fazlur Rehman) के नेतृत्व में निकाला जा रहा है, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान की तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंकना है। डॉन न्यूज के अनुसार, कराची से रविवार को निकला मार्च बुधवार को लाहौर पहुंचा और इसके बाद यह गुरुवार रात यह इस्लामाबाद पहुंच गया।

शुक्रवार का घटनाक्रम तब देखने को मिला है, जब इसके पहले सरकार विरोधी 'आजादी मार्च' में शामिल प्रदर्शनकारियों को इस्लामाबाद के संवेदनशील 'रेड जोन' को पार नहीं करने देने को लेकर सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के बीच एक सहमति बन गई।

रिपोर्ट के अनुसार, रेड जोन के रास्ते को कंटेनर लगा कर रोक दिए गए और वहां सुरक्षाकर्मियों को तैनात कर दिया गया।

जियो न्यूज के अनुसार, देश की राजधानी इस्लामाबाद में आजादी मार्च के प्रदर्शनकारियों के पहुंचने के बाद शुक्रवार को रावलपिंडी और इस्लामाबाद में सभी स्कूल बंद कर दिए गए।

इस्लामाबाद में कायद-ए-आजम विश्वविद्यालय भी दो दिनों के लिए बंद कर दिया गया है।

इस्लामाबाद और रावलपिंडी के बीच मेट्रो बस सेवा बंद कर दी गई है। परिवहन सेवा कब शुरू होगी, अभी यह स्पष्ट नहीं है।

इस बीच इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को संघीय सरकार को निर्देश दिया कि वह आजादी मार्च के दौरान सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए व्यापारियों के वैध व्यापार को बाधित न करें।

जेयूआई-एफ (JUI-F) सुप्रीमो फजलुर रहमान ने एक रैली में अपनी मांगों को पेश करते हुए कहा कि उनकी पार्टी देश के "संस्थानों" के साथ टकराव की इच्छा नहीं रखती है, बल्कि

उनसे "निष्पक्ष" होने की उम्मीद करती है।

"अगर हमें लगता है कि संस्थाएं इन नाजायज शासकों की रक्षा कर रही हैं, तो दो दिनों की समय सीमा के बाद हमें संस्थानों के बारे में एक राय बनाने से नहीं रोका जाना चाहिए," उन्होंने आजादी मार्च के सभा को बताया।

इस दौरान अन्य विपक्षी दलों के नेता भी रैली को संबोधित करेंगे।