बदायूँ/ पीलीभीत/ लखनऊ 22 फरवरी 2020. विगत 13 फरवरी को पीलीभीत शहर के जुगनू की पाखड़ तिराहे पर नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी व एनपीआर के विरोध में शांतिपूर्ण धरना और सभा (Peaceful Dharna and assembly in protest of Citizenship Amendment Act, NRC and NPR) के बाद अगले दिन पुलिस प्रशासन द्वारा इलाहबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज समेत 33 लोगों पर की गई नामजद एफआईआर का मामला तूल पकड़ता जा रहा है।
एफआईआर में नामजद रिटायर्ड जज जस्टिस मुशफ्फे अहमद की शिकायत पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने पीलीभीत के जिला जज को मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। इससे जिला प्रशासन में खलबली मच गई है और नामजदों की गिरफ्तारी को पुलिस ने दबिशें डालना बंद कर दिया है।
उन्होंने कहा कि जस्टिस अहमद ने बताया है कि मामले की न्यायिक जांच के लिए मुख्य न्यायाधीश का पत्र पीलीभीत के जिला जज को मिल चुका है। उम्मीद है कि सोमवार को वे किसी को जांच अधिकारी नामित कर देंगे।
श्री यादव ने कहा कि न्यायिक जांच में प्रशासन के झूठ का भंडाफोड़ हो जाएगा। 14 फरवरी को एफआईआर दर्ज कर 33 नामजद व 100 अज्ञात आंदोलनकारियों पर पुलिस के सिपाही दुष्यंत कुमार द्वारा धरनास्थल के पीछे मोहम्मद सागवान के मकान
श्री यादव ने कहा कि यूपी कोआर्डिनेशन कमेटी और संविधान रक्षक सभा की हमारे जंचदल ने 21 फरवरी को पीलीभीत का दौरा किया था और पीड़ितों के बयान दर्ज किए थे। हम मोहम्मद सागवान के घर पर भी गए थे जहां सिपाही ने बंधक बनाकर रखने का दावा किया था। उस घर में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं और सीसीटीवी रिकॉर्डिंग की जांच में सिपाही के इस झूठ का पर्दाफाश हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि पीलीभीत के पुलिस अधीक्षक यह कह कर कि एफआईआर में दर्ज व्यक्ति रिटायर्ड जस्टिस नहीं कोई और है, अपना बचाव करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन जांच में जब यह साबित हो जाएगा कि दर्ज एफआईआर फर्जी है तो पुलिस अधीक्षक भी बच नहीं पाएंगे।
श्री यादव ने कहा कि उन्हें न्यायिक जांच पर पूरा भरोसा है। हमें उम्मीद है कि सच सामने आएगा और एफआईआर फर्जी साबित होगी। दोषी पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज होगा।
उन्होंने कहा कि भय व आतंक का माहौल बनाने के लिए पूरे सूबे में योगी सरकार द्वारा पुलिस दमन किया जा रहा है। धारा 144 का दुरुपयोग कर सरकार नए नागरिकता कानून, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ जनता की आवाज को दबा रही है। इसीलिए पीलीभीत में भी फर्जी एफआईआर दर्ज की गई है।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यह अभिमत दिया है कि नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करना, प्रदर्शन करना न तो गैरक़ानूनी है और न ही गैर संवैधानिक है। फिर भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी नागरिकता कानून का विरोध करने वालों के साथ आतंकवादी जैसा व्यवहार कर रहे हैं। और पूरे सूबे को खुली जेल में बदल कर अघोषित आपातकाल लगा दिया है।
उन्होंने कहा कि तानाशाही को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। लोकतंत्र और संविधान बचाने को अंतिम दम तक संघर्ष किया जाएगा। प्रदेश में आंदोलन को संयोजित करने के लिए ही यूपी कोआर्डिनेशन कमेटी बनाई गई है। जिसमें पूरे सूबे के हर जिले से लोग शामिल हैं। जल्द ही आंदोलन की योजनाओं की घोषणा की जाएगी।