Hastakshep.com-देश-Anti-Terrorism Act-anti-terrorism-act-S.R. Darapuri-sr-darapuri-Uttar Pradesh Police's former IG-uttar-pradesh-polices-former-ig-आतंकवाद विरोधी एक्ट-aatnkvaad-virodhii-ektt-एस.आर. दारापुरी-esaar-daaraapurii

लखनऊ 25 जुलाई, 2019 : उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व आईजी (Uttar Pradesh Police's former IG) और सुप्रसिद्ध दलित चिंतक एस.आर. दारापुरी (S.R. Darapuri) ने आतंकवाद विरोधी एक्ट (Anti-Terrorism Act) में संशोधन को जनविरोधी एवं अति कठोर बताते हुए कहा है कि इससे पुलिस उत्पीड़न (Police harassment) में वृद्धि हो गी।

श्री दारापुरी ने आज यहां जारी एक वक्तव्य में कहा  कि आतंकवाद विरोधी एक्ट में किसी संगठन के साथ-साथ किसी व्यक्ति को तथाकथित आतंकवादी विचारधारा के आधार पर आतंकवादी घोषित करने का प्राविधान पूरी तरह से जनविरोधी, अति कठोर एवं मानवाधिकारों का हनन करने वाला है।

उन्होंने कहा कि आतंकवाद विरोधी एक्ट में संशोधन से सरकार को किसी भी विचारधारा को आतंकवादी विचारधारा करार देने तथा उसको मानने वालों तथा उसका प्रचार करने वालों के उत्पीड़न का औजार मिल जायेगा. यह ज्ञातव्य है कि इस प्राविधान के बिना भी बहुत से बुद्धिजीवियों, लेखकों तथा मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को शहरी नक्सली करार देकर जेल में डाला जा चुका है. इस संशोधन से ऐसे लोगों तथा सरकार विरोधी लोगों का उत्पीड़न करके का कानूनी हथियार उपलब्ध हो जायेगा, जिसका खुला दुरूपयोग किये जाने की पूरी सम्भावना है.

पूर्व पुलिस अधिकारी ने कहा कि इसी प्रकार प्रस्तावित संशोधन में आतंकवाद के आरोपी की पुलिस रिमांड 14 दिन से बढ़ा कर 30 दिन तक करने से पुलिस रिमांड के दौरान हिरासत में टॉर्चर (Torture in custody during police remand) की अवधि बहुत बढ़ जाएगी, जिससे न केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता बल्कि पुलिस द्वारा उत्पीड़न की सम्भावना भी बढ़ जाएगी. संशोधन में आतंक के मामलों की विवेचना पुलिस उपाधीक्षक की जगह् पुलिस इंस्पेक्टर द्वारा किया जाना भी विवेचना की गुणवत्ता के लिए अच्छा नहीं है.

श्री दारापुरी ने उपरोक्त प्रस्तावित संशोधनों का विरोध करते हुए विपक्ष से मांग की है कि वह इसे राज्य सभा में पारित न होने दे

Former IG says anti-terrorism amendment anti-people,

will increase police harassment

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