गाजियाबाद, 09 फरवरी 2020. रविवार को यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल कौशांबी गाजियाबाद (Yashoda Super Specialty Hospital Kaushambi Ghaziabad) में गठिया एवं बाय, रह्यूमेटॉयड आर्थराइटिस के मरीजों के लिए एक विशाल निशुल्क चिकित्सा कैंप (free medical camp for patients with arthritis and rheumatoid arthritis) लगाया गया। शिविर में 100 से भी ज्यादा मरीजों की यशोदा हॉस्पिटल, कौशांबी के वरिष्ठ गठिया एवं बाय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सौविक दास गुप्ता द्वारा जांच की गई एवं परामर्श दिया गया।
शिविर का उद्घाटन हॉस्पिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ पीएन अरोड़ा ने किया।
डॉ. सौविका दास गुप्ता ने एक जागरूकता व्याख्यान में कहा कि गठिया एवं बाय की बीमारी किसी एक कारण से नहीं होती, रूमेटॉयड अर्थराइटिस (Rheumatoid arthritis in Hindi) यानी गठिया और जोड़ों का दर्द ऐसी बीमारी है, जिसके होने की कोई निश्चित वजह बता पाना बहुत ही मुश्किल है। रूमेटॉयड अर्थराइटिस आमतौर पर मंझौली उम्र के लोगों को अपना शिकार बनाती है। यही नहीं, पुरुषों के मुकाबले चार गुना ज्यादा महिलाएं इसकी गिरफ्त में आती हैं।
डॉ. सौविक ने कहा कि यदि सही समय पर इसका डायग्नोसिस हो जाए तो इस बीमारी का दवाओं से इलाज संभव है। इसका पता सही समय पर लगाने के लिए रूमेटोलोजिस्ट (Rheumatologist) की राय से कुछ टेस्ट कराने पड़ते हैं। जब आपको जोड़ों में अकड़न, दर्द या सूजन की शिकायत हो तो चेत जाना चाहिए। अगर ठीक समय पर इसका इलाज न कराया जाए, तो शरीर बेडौल हो जाने का जोखिम रहता है।
डॉ. सौविक ने कहा कि रूमेटाइड अर्थराइटिस का इलाज कराना इसलिए भी जरूरी है कि यह बहुत ही दर्दनाक बीमारी है। इसके इलाज के अभाव में मरीज की उम्र छह से आठ साल घट सकती है। इसके मरीजों को जो तकलीफ होती है, उसका
डॉ सौविक बताते हैं कि यही नहीं, बीमारी के बारे में गहरी जानकारी रखना भी रूमेटॉयड अर्थराइटिस के मरीजों की तकलीफ कम करने में काफी मददगार साबित हो सकता है। कई लोग साइड इफैक्ट्स के डर से दवाएं खाने से परहेज करते हैं। उन्हें समझ लेना चाहिए कि रूमेटॉयड अर्थराइटिस की दवाएं (Rheumatoid Arthritis Medications) पहले की तुलना में काफी एडवांस्ड हो चुकी हैं और इनके साइड इफैक्ट्स भी काफी कम हो गए हैं। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि आजकल दवाएं सुरक्षा के लिहाज से काफी कड़े और गहरे परीक्षण के बाद ही बाजार में उतारी जाती हैं, और इसीलिए ये पहले से ज्यादा असरदार साबित होती हैं। जहां तक खानपान का सवाल है, इसके जरिए रूमेटॉयड अर्थराइटिस के लक्षणों को समय रहते कम जरूर किया जा सकता है।
शिविर का संचालन गौरव पांडेय, प्रतीम गून, रोहित चौधरी, हिमांशु, सायरा, संजीव ने किया