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नई दिल्ली, 24 अगस्त 2019. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ आमने-सामने हुई लंबी बातचीत के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों (French President Emmanuel Macron's long face-to-face conversation with Prime Minister Narendra Modi) ने कहा कि भारत और पाकिस्तान को कश्मीर मुद्दा द्विपक्षीय तरीक़े से हल करना चाहिए और किसी भी तीसरे पक्ष को क्षेत्र में न तो हस्तक्षेप करना चाहिए और न ही वहां हिंसा को उकसाना चाहिए। भारतीय मीडिया ने इस खबर को भारत की बड़ी जीत बताया जबकि अंतर्राष्ट्रीय मीडिया मैक्रों के बयान को मोदी सरकार की विदेश नीति की बड़ी हार बता रहा है।

पारस टुडे अपनी रिपोर्ट में लिखता है कि

“प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, सैतो दे सैनिली में गुरुवार को 90 मिनट से अधिक समय की आमने-सामने हुई मुलाक़ात में भारतीय प्रधानमंत्री मोदी और फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों ने रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए गतिशील और बहुआयामी संबंधों के संपूर्ण आयाम की समीक्षा की। इस मुलाक़ात के बाद प्रतिनिधि स्तर की वार्ताएं हुईं और फिर दोनों देशों ने चार सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किए। दोनों देशों के नेताओं की भेंटवार्ता में जहां राफेल लड़ाकू विमानों को लेकर बातचीत हुई वहीं भारत प्रशासित कश्मीर इस मुलाक़ात का सबसे अहम भाग बन गया।“

पारस टुडे आगे लिखता है कि

“मोदी और मैक्रों के बीच हुई भेंटवार्ता के बाद जारी हुए एक संयुक्त प्रेस बयान में फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने कहा कि भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें जम्मू-कश्मीर पर भारत द्वारा हाल ही में लिए गए निर्णय के बारे में बताया और कहा कि यह उनकी संप्रभुता के दायरे में है। मैक्रों ने कहा, ‘मैंने उन्हें कहा कि भारत और पाकिस्तान को ही इस मुद्दे का द्विपक्षीय तरीक़े से हल निकालना चाहिए और किसी भी तीसरे पक्ष को न तो हस्तक्षेप करना चाहिए और न ही क्षेत्र में हिंसा को उकसाना चाहिए। एमैनुअल मैक्रों ने कहा कि मैं कुछ

दिनों बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से बात करूंगा और उनसे कहूंगा कि वार्ता द्विपक्षीय होनी चाहिए। फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से कहा कि ज़मीनी हालात को बिगड़ने से रोकना भारत और पाकिस्तान दोनों की ज़िम्मेदारी है क्योंकि इससे तनाव बढ़ सकता है।“

राजनीतिक टीकाकारों के हवाले से पारस टुडे अपनी रिपोर्ट में लिखता है कि

“कश्मीर मामले पर जिस तरह फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों का बयान आया है उससे कहीं न कहीं भारत को निराशा हुई है, क्योंकि भारत इस मामले में फ्रांस से एकपक्षीय समर्थन की उम्मीद कर रहा था। टीकाकारों का यह कहना है कि जहां एक ओर मोदी और उनकी पार्टी यह कहती है आई है कि वे कश्मीर को लेकर किसी से बात नहीं करेंगे क्योंकि यह उनका आंतरिक मामला है वहीं मोदी द्वारा लगातार विदेशी नेताओं से इस संबंध में बात किया जाना और हर बार उन्हें द्विपक्षीय तरीक़े से कश्मीर मामले को हल किए जाने का उत्तर मिलना, कहीं न कहीं मोदी सरकार की विदेश नीति की हार मानी जाएगी।“

इससे पहले फ्रांस की यात्रा पर पहुंचे भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे दोनों देशों की दोस्ती के लिए यादगार पल बताते हुए कहा,

“हेरिटेज साइट पर मेरा और मेरे डेलिगेशन का भव्य और स्नेहपूर्वक स्वागत किया गया। इसके लिए मैक्रों का शुक्रिया।”

मोदी ने जी-7 के एजेंडे को पूरा करने में भारत के सहयोग पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि

“फ्रांस और भारत की दोस्ती लिबर्टी (स्वतंत्रता), इक्वैलिटी (समानता) और फ्रेटरनिटी (बंधुत्व) के ठोस आदर्शों पर टिकी है।

उन्होंने कहा कि हमने कंधे से कंधा मिलाकर काम किया है और आज आतंकवाद, पर्यावरण, क्लाइमेट चेंज और तकनीक में समावेशी विकास की चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत और फ्रांस मज़बूती से एक साथ खड़े हैं।

French President's statement on Kashmir is the defeat of Modi government's foreign policy: international media