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Genome monitoring necessary to detect the spread of a new variant of the corona  

नई दिल्ली, 04 नवंबर 2020.: कोरोना वायरस का नया संस्करण के प्रसार (New version of corona virus spread) का आकलन करने के लिए इस वायरस की व्यापक जीनोम निगरानी (Comprehensive Genome Monitoring of Viruses) शुरू करना बहुत महत्वपूर्ण है। हमें इस वायरस के अन्य संस्करणों पर भी नज़र रखनी चाहिए, जो स्वतंत्र रूप से उभर सकते हैं, क्योंकि भारत में इस वायरस से संक्रमित दूसरी सबसे बड़ी आबादी का पता चला है।

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की हैदराबाद स्थित प्रयोगशाला सेंटर फॉर सेलुलर ऐंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) के निदेशक डॉ राकेश मिश्रा ने यह बात कही है।

क्या हैं कोरोना वायरस और इसके रूपांतरित संस्करण से बचाव के तरीके | What are the ways to protect against corona virus and its modified version

सीसीएमबी द्वारा हाल में जारी किए एक बयान में डॉ राकेश मिश्रा यह भी कहा है कि “रूपांतरित कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए पहले से उपयोग हो रहे उपाय पर्याप्त हैं। दूसरों की मौजूदगी में मास्क का उपयोग, भीड़भाड़ वाले स्थानों पर न जाना और शारीरिक दूरी बनाए रखना, कोरोना वायरस और इसके रूपांतरित संस्करण से बचाव के तरीकों में शामिल है।”

कोरोना वायरस का नया संस्करण पुराने से 71 प्रतिशत अधिक संक्रामक | New corona virus 71 percent more contagious than old

सीसीएमबी के वैज्ञानिकों का

कहना है कि सिविअर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोरोना वायरस-2 (SARS-CoV-2) के नये संस्करण  बी.1.1.7 को कोरोना वायरस के दूसरे रूपों से 71 प्रतिशत अधिक संक्रामक माना जा रहा है। पिछले साल सितंबर महीने में युनाइटेड किंगडम में पहली बार सामने आये कोरोना के नये संस्करण को वहाँ इस वायरस के 60 प्रतिशत संक्रमण मामलों के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। वहाँ रूपांतरित कोरोना वायरस की गंभीर चुनौती को देखते हुए भारत समेत कई देशों ने युनाइटेड किंगडम से हवाई यातायात पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी है। सीसीएमबी द्वारा जारी किए गए वक्तव्य में कहा गया है कि युनाइटेड किंगडम से भारत हवाई सफर करने वाले 33,000 यात्रियों का पता लगाकर और उनका परीक्षण करके, भारत ने देश में इस नये संस्करण की उपस्थिति की पुष्टि की है।

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सीसीएमबी भारत के उन दस शोध संस्थानों में शामिल है, जो देश में रूपांतरित कोरोना वायरस के संक्रमण का पता लगाने में जुटे हैं। सीसीएमबी में कोरोना वायरस जीनोम अनुक्रमण का नेतृत्व कर रही वैज्ञानिक डॉ दिव्या तेज सौपाती ने कहा है कि “हमें वायरल जीनोम अनुक्रमण के प्रयासों में तेजी लाने और भारत में कोरोना वायरस के नये संस्करण की उपस्थिति की जाँच करने की आवश्यकता है। हम इसके लिए पारंपरिक अनुक्रमण (सीक्वेंसिंग) पद्धति के साथ-साथ नयी पीढ़ी के आधुनिक अनुक्रमण उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं।”

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कोरोना वायरस का नया संस्करण की आनुवंशिक सामग्री में 17 उत्परिवर्तनों या रूपांतरणों (Mutations) का पता चला है। इनमें से आठ उत्परिवर्तन कोरोना वायरस की बाहरी सतह को व्यक्त करने वाले स्पाइक प्रोटीन को प्रभावित करते हैं, और मेज़बान कोशिकाओं में एसीई रिसेप्टर्स से बंध जाते हैं। इनमें से एक उत्परिवर्तन के बारे में माना जा रहा है कि वह वायरस और रिसेप्टर्स के बीच बंधन को बढ़ाने में प्रभावी है, और इस प्रकार, वह मेज़बान कोशिकाओं में वायरस के प्रवेश को सुविधाजनक बनाता है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस के उत्परिवर्तन ने लक्षणों या बीमारी के परिणामों को प्रभावित नहीं किया है, और वे वैक्सीन विकास के लिए बाधा नहीं हैं। इसके अलावा, कोरोना वायरस के रूपांतरित संस्करण में भी परीक्षण प्रोटोकॉल पहले जैसे ही हैं। एकमात्र समस्या यह है कि नया संस्करण दूसरों की तुलना में अधिक आसानी से फैलता है।

(इंडिया साइंस वायर)

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