नई दिल्ली, 09 मार्च (अमलेन्दु उपाध्याय) : हाल ही में जारी एक अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्ट से पता चलता है कि दुनिया भर में कोयले से बनने वाली बिजली के उत्पादन में तीन फीसदी की गिरावट के चलते बिजली क्षेत्र में कार्बन डाइ ऑक्साइड के उत्सर्जन में दो फीसदी की गिरावट आई है। रिपोर्ट के मुताबिक कोयले का इस्तेमाल यूरोपीय संघ और अमेरिका में काफी हद तक कम हो गया है, लेकिन चीन में कोयला उत्पादन और इस्तेमाल में वृद्धि हुई और पहली बार चीन, वैश्विक कोयला उत्पादन के आधे के लिए जिम्मेदार था।
एम्बर (पूर्व में सैंडबैग) एक स्वतंत्र जलवायु थिंक-टैंक है जो वैश्विक बिजली क्षेत्र में परिवर्तन को तेज करने पर केंद्रित है। एम्बर का दावा है कि वह बिजली क्षेत्र पर ध्यान देने के साथ, वैश्विक कोयला के इस्तेमाल पर डेटा को बनाने के लिए, इकट्ठा, क्यूरेट और विश्लेषण करते हैं। एम्बर अपने डेटा और विश्लेषण का उपयोग उच्च प्रभाव, राजनीतिक रूप से व्यवहार्य नीतियों का समर्थन करने के लिए करता है।
वर्ष 2019 के ग्राउंड-ब्रेकिंग नए बिजली डेटा (Ground-breaking new electricity data for 2019) से पता चलता है कि कोयले से बनने वाली बिजली उत्पादन में 3% की गिरावट के कारण बिजली क्षेत्र में कार्बन डाई ऑक्साइड CO2 उत्सर्जन में 2% की गिरावट आई है। ये गिरावट 1990 के बाद से इन दोनों डेटा में सबसे बड़ी गिरावट हैं।
यूरोपीय बिजली
कोयले के गिरते हुए डेटा को "नया सामान्य" नहीं कहा जा सकता है, जिसका अर्थ है कि अभी तक जलवायु परिवर्तन को 1.5 डिग्री तक सीमित करना बहुत मुश्किल लग रहा है।
2019 में कोयले की गिरावट कई एक आध कारणों पर निर्भर थी। कोयला उत्पादन को कम करने की दिशा में प्रगति की जा रही है, लेकिन जलवायु परिवर्तन की गतिविधि को सीमित करने के लिए ऐसा किया जा रहा हो, ऐसा कुछ नहीं है।
2019 में पवन और सौर उत्पादन में 15% की वृद्धि हुई जो कि दुनिया की 8% बिजली पैदा करता है। पेरिस जलवायु समझौते को पूरा करने के लिए हर साल 15% पवन और सौर उत्पादन की चक्रवृद्धि दर की आवश्यकता होती है। यह 2019 में हासिल किया गया था, लेकिन इस उच्च वृद्धि दर को बनाए रखने के लिए बड़े पैमाने पर प्रयास की ज़रुरत होगी।
रिपोर्ट कहती है कि अमेरिका में कोयले के इस्तेमाल का कारण कोयले से गैस पर परिवर्तित होना है जिसे कम आंका गया, जबकि यूरोपीय संघ ने कोयला से वायु ऊर्जा और सौर ऊर्जा के इस्तेमाल में छलांग लगाई।
रिपोर्ट के मुताबिक यूरोपीय संघ में कोयला उत्पादन 24% और अमेरिका में 2019 में 16% तक गिर गया, और अब ये यूरोपीय संघ और अमेरिका दोनों में 2007 का आधा स्तर है।
2007 के बाद से यूएस में CO2 बिजली क्षेत्र के उत्सर्जन में 19 से 32% तक की गिरावट आई, जबकि वे यूरोपीय संघ में ये गिरावट 43% तक आ गई
एम्बर के विद्युत विश्लेषक और प्रमुख लेखक, डेव जोन्स (Dave Jones, Electricity Analyst, EMBER) के मुताबिक,
“कोयला और बिजली क्षेत्र के उत्सर्जन की वैश्विक गिरावट जलवायु के लिए अच्छी खबर है लेकिन सरकारों को नाटकीय रूप से बिजली के उत्पादन में परिवर्तन करना होगा ताकि 2020 के दशक में वैश्विक कोयला उत्पादन में और गिरावट हो।”
जोन्स कहते हैं कि,
“कोयले से गैस में स्विच करने के लिए बस एक जीवाश्म ईंधन को दूसरे के लिए स्वैप करना होता है। कोयला उत्पादन को समाप्त करने का सबसे सस्ता और तेज तरीका हवा और सौर ऊर्जा के तेजी से रोल-आउट के माध्यम से है।”
जोन्स सरकारों की भूमिका को लेकर कहते हैं कि,
“लेकिन पवन और सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए ठोस नीति-निर्माता के प्रयासों के बिना हम जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने में विफल रहेंगे। कोयले और कुछ हद तक गैस के इस्तेमाल में चीन की वृद्धि खतरनाक है, लेकिन समाधान भी उन्हीं के पास हैं। यूरोपीय संघ की 18% बिजली अब हवा और सौर ऊर्जा से बनती है जो इसमें सबसे आगे है और अमेरिका 11%, चीन 9% और भारत 8% पर है लेकिन दौड़ अभी बाकी है।”
ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर के कार्यकारी निदेशक टेड नेस (लेखक नहीं) ने कहा,
“जलवायु समस्या को ठीक करने का तर्क सरल है: पहले बिजली क्षेत्र को स्वच्छ ऊर्जा पर स्थानांतरित करें, फिर अन्य क्षेत्रों में उस स्वच्छ बिजली को स्थानांतरित करें। लेकिन इस रोडमैप को देखभाल की आवश्यकता है। सिर्फ कोयला के कम इस्तेमाल के साथ-साथ गैस पर स्विच करने का अर्थ नहीं है कि पर्यावरण में सुधार हो रहा है - संक्षेप में, यह एक टिल भर का अंतर मात्र है। एम्बर की यह नई रिपोर्ट उपयोगी हेडलाइट्स प्रदान करती है, जो आगे आने वाले अवसरों और खतरों दोनों को रोशन करती है।”
एम्बर के अध्यक्ष हैरी बेन्हम (Harry Benham, Chairman of Ember)- कहते हैं कि बिजली क्षेत्र के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए हम लोगों को महत्वपूर्ण सूचनाओं को जल्द से जल्द पहुंचाना चाहते हैं।
रिपोर्ट आशा व्यक्त करती है कि वायु ऊर्जा व सौर ऊर्जा उत्पादन की कम कीमतें इसके उत्पादन की वृद्धि दर को बनाए रखने में सक्षम होंगी।