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A healthy liver can protect against diabetes and heart diseases

नई दिल्ली, 29 सितंबर : अनियमित खानपान और बेतरतीब जीवनशैली के कारण लिवर से जुड़े रोगों की समस्या (Problems of liver diseases) बढ़ रही है। लिवर संबंधी समस्याओं में फैटी लिवर (fatty liver causes) एक प्रमुख समस्या है, जो मधुमेह, हृदय रोगों और उच्च रक्तचाप सहित विभिन्न गंभीर बीमारियों एवं स्वास्थ्य जटिलताओं का कारण बन सकता है। “लिवर की चर्बी या वसा की मात्रा को नियंत्रित करते हुए उसे पाँच प्रतिशत से कम रखें तो इन गंभीर बीमारियों एवं स्वास्थ्य जटिलताओं से बचा जा सकता है।”

नई दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर ऐंड बायलरी साइंसेज के निदेशक प्रोफेसर शिव कुमार सरीन (Professor Shiv Kumar Sarin, Director, Institute of Liver and Biliary Sciences, New Delhi) ने ये बातें कही हैं।

प्रोफेसर शिव कुमार सरीन वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के 79वें स्थापना दिवस के मौके पर सीएसआईआर-सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीडीआरआई), लखनऊ द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

प्रोफेसर शिव कुमार सरीन ने स्वस्थ, प्रसन्न और लंबे जीवन के लिए लिवर के स्वास्थ्य के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए रोचक तरीके से जानकरियां साझा कीं।

लिवर क्या होता है? | What is liver?

लिवर, जिसे यकृत या जिगर (liver in Hindi) के

नाम से भी जाना जाता है, हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण आंतरिक अंग है। लिवर को शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथी और दूसरे सबसे बड़े अंग के तौर पर भी जाना जाता है। पित्त का निर्माण करने वाला लिवर वसा के टूटने में मदद करता है। इसका कार्य विभिन्न चयापचयों का विषहरण, प्रोटीन संश्लेषण और पाचन के लिए आवश्यक जैव-रासायनिक तत्व बनाना है।

फैटी लिवर क्या होता है? | What is fatty liver?

एक सामान्य लिवर में एक निश्चित मात्रा में फैट जरूर होता है। पर, कई बार लिवर की कोशिकाओं में अनावश्यक फैट की मात्रा बढ़ जाती है। यह स्थिति फैटी लिवर (fatty liver in Hindi) कहलाती है, जो एक गंभीर रोग है। फैटी लिवर की समस्या आमतौर पर दो रूपों में हो सकती है - गैर एल्कोहोलिक फैटी लिवर और एल्कोहोलिक फैटी लिवर। फैटी लिवर के लिए गलत खानपान, नियमित व अधिक मात्रा में शरीब का सेवन, मोटापा और आनुवंशिक कारण जिम्मेदार हो सकते हैं।

प्रोफेसर सरीन ने बताया कि

लिवर को स्वस्थ रखने के लिए रक्त सीरम में एएलटी/एसजीपीटी एंजाइम, जिन्हें एलानिन एमिनोट्रांस्फरेज/सीरम ग्लूटामिक-पाइरुविक ट्रांसअमाइनेज भी कहा जाता है, का स्तर पुरुषों में 30 इंटरनेशनल यूनिट्स प्रति लीटर (IU/ L) से कम तथा महिलाओं में 20 IU/L से कम होना चाहिए। यह एंजाइम लिवर के ऊतकों के क्षतिग्रस्त होने पर रक्त में छोड़ा जाता है।

प्रोफेसर सरीन ने कहा कि एएलटी/एसजीपीटी एंजाइम लिवर स्वास्थ्य का सूचक होता है। इससे संबंधित मापदंड के स्तर को देखकर कोई भी व्यक्ति अपने लिवर के स्वास्थ्य के प्रति सजग रह सकता है।

उन्होंने सीएसआईआर-सीडीआरआई एवं इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर ऐंड बायलरी साइंसेज के साथ मिलकर इस दिशा में शोध करने किए लिए इच्छा भी व्यक्त की है।

(इंडिया साइंस वायर)

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