नई दिल्ली, 09 जनवरी 2020. सर्दियों आते ही मानों कई तरह की बीमारियां हमें घेर लेती है। खासतौर से जुकाम मौसम कहा जाता है, पर यही वह समय है, जब हृदय रोगों के मामले अधिक सामने आते हैं। आंकड़ों की मानें तो 50 प्रतिशत से अधिक हार्ट अटैक के मामले सर्दियों में होते हैं। सर्दियों में हृदय रोगों के लक्षण (Symptoms of heart diseases in winter) भी तुलनात्मक रूप से अधिक गंभीर होते हैं।
डॉ. एस. एस. सिबिया के अनुसार सर्दियों में शरीर से पसीना नहीं निकलता, इसलिए हार्ट, एंजाइना और ब्लड प्रेशर के तमाम मरीजों की दवा की मात्र बढ़ाने की आवश्यकता होती है। सर्दियों में तापमान कम होने से रक्त नलिकाएं संकरी हो जाती हैं। संकरी शिराओं और धमनियों में रक्त के संचरण के लिए अधिक बल की आवश्यकता होती है। इससे रक्तदाब के बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा सर्दियों में धमनियां सिकुड़ने और रक्त गाढ़ा होने से भी रक्तचाप बढ़ जाता है। सर्दियों में प्लेटलेट्स स्टिकी हो जाने के कारण ब्लॉकेज की आशंका भी अधिक होती है।
सर्द मौसम हृदय और रक्त संचार को कई तरह से प्रभावित करता है। इस मौसम में रक्त गाढ़ा हो जाता है तथा रक्त की पतली नलिकाएं और संकरी हो जाती हैं। इससे रक्त दबाव बढ़ जाता है परिणाम धडक़नें बढ़ जाती हैं। इसके अलावा धमनियों की लाइनिंग अस्थाई रूप से क्लॉटिंग के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती हैं। इससे हृदय को अधिक कार्य करना पड़ता है। अधिक ठंडे मौसम में अधिक
डॉ. एस. एस. सिबिया के अनुसार ठंड़ में सुबह की सैर पर या तो देर से जाएं या फिर न ही जाएं। ठंड का शुष्क वातावरण अस्थमा के मरीजों के लिए बहुत नुकसानदेह होता है और वातावरण में नमी के अभाव में उन्हें सास लेने में कठिनाई होती है। इससे भी हार्ट पर ज्यादा जोर पड़ता है जो अटैक का कारण बन सकता है। जाड़े में दिल का दौरा पड़ने की आशंका बढ़ने का एक कारण (The reason for the possibility of heart attack in winter) यह भी है कि ठंड में श्वसन संबंधी संक्रमण (Cold respiratory infection) अधिक होते हैं। इनके कारण रक्त नलिकाओं में सूजन (Swelling of blood vessels) आ जाती है, जिससे रक्तप्रवाह में रुकावट (Blood flow blockage) आती है जो कि हृदयाघात का कारण (Cause of heart attack) बन जाती है।