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Heartbeat Problem increase the risk of stroke

दिल की धड़कन में गड़बड़ी एक आम समस्या बन गई है। चूंकि, यह समस्या स्ट्रोक का कारण बनती है, इसलिए इसके शुरुआती इलाज के साथ स्ट्रोक से बचाव संभव है।

What is Atrial Fibrillation (AFib or AF)?

आर्टियल फिब्रिलेशन (एफ), धड़कनों में गड़बड़ी का सबसे आम प्रकार है, जिसे अतालता के नाम से भी जाना जाता है। आर्टियल फिब्रिलेशन (Atrial Fibrillation in Hindi), मरीज में ब्लड क्लॉट, स्ट्रोक, दिली की विफलता और दिल के अन्य रोगों का कारण बनता है। इसमें मरीज के दो चैम्बर अलग-अलग समय पर धड़कते हैं। आमतौर पर यह समस्या 60 साल से अधिक उम्र वालों में ज्यादा होती है, लेकिन भारत में इसकी औसत उम्र 55 साल है। डायबिटीज और उच्च रक्तचाप वाले मरीज 55 साल से कम उम्र में इसकी चपेट में आ सकते हैं।

Symptoms of articular fibrillation

साकेत स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजी विभाग के चेयरमैन व हेड, डॉक्टर बलबीर सिंह (Dr. Balbir Singh, Chairman and Head, Cardiology Department of Max Super Specialty Hospital, Saket) ने बताया कि,

“आर्टियल फिब्रिलेशन के लक्षणों में तेज धड़कन, सीने में दर्द, सीने में दबाव, घबराहट, थकान, कमजोरी, अत्यधिक पसीना आदि शामिल हैं, जो आमतौर पर दिल की हर बीमारी के दौरान अनुभव किए जाते हैं। तेज धड़कन, आर्टियल फिब्रिलेशन का मुख्य लक्षण है। धड़कनों में गड़बड़ी की समस्या होने पर तुरंत कार्डियोलॉजिस्ट से संपर्क करना आवश्यक है। एक उचित निदान के बाद ही डॉक्टर यह बता सकता है कि मरीज को आर्टियल फिब्रिलेशन की समस्या है या हार्ट अटैक की।”

Treatment of atrial fibrillation (आलिंद फिब्रिलेशन का उपचार)

एक विज्ञप्ति में उन्होंने बताया कि पिछले

एक दशक में, टेक्नोलॉजी में प्रगति के साथ आर्टियल फिब्रिलेशन का सफल इलाज संभव है। लेकिन जागरुकता में कमी के कारण आज भी लोग उचित इलाज से वंचित रह जाते हैं, इसलिए लोगों के बीच जागरुकता बढ़ाना आवश्यक है।

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डॉक्टर बलबीर सिंह ने आगे बताया कि,

“आर्टियल फिब्रिलेशन की लंबे समय की समस्या के निदान के लिए हम हॉल्टर का इस्तेमाल करते हैं। हॉल्टर (holter test in delhi) एक पोर्टेबल डिवाइस है, जो मरीज की घड़कनों को 24 घंटे रिकॉर्ड कर सकती है। इस तकनीक की मदद से दिल में ब्लड क्लॉट (Blood clot in heart) का पता चलता है। इसके बाद स्ट्रेस टेस्ट किया जाता है, जिसमें एक्सरसाइज के दौरान मरीज की धड़कनों में बदलाव की जांच की जाती है। इसके अलावा ब्लड टेस्ट और एक्स-रे की मदद से भी इसका निदान किया जाता है। आर्टियल फिब्रिलेशन के शुरुआती इलाज में केवल मेडिकेशन की सलाह दी जाती है। समस्या गंभीर है तो कैथेटर या सर्जरी की सलाह दी जाएगी। चूंकि, यह समस्या सीधे तौर पर स्ट्रोक से संबंधित है, इसलिए गतिहीन जीवनशैली और धूम्रपान से दूर रहें। इसके अलावा उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज की नियमित जांच के साथ इस बीमारी से बचाव संभव है। महिलाओं को समय-समय पर पीरियड्स की जांच कराते रहना चाहिए।”

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