लखनऊ, 09 मार्च 2020. होर्डिंग प्रकरण में जिस तरह से हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन मानते हुए होर्डिंग हटाने का निर्णय दिया है, वह राहत भरा है। इस फैसले के बाद योगी सरकार को इस्तीफा देना चाहिए और आरएसएस-भाजपा के लोगों को प्रदेश की जनता से माफी मांगनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में योगी राज में सामान्य लोकतांत्रिक गतिविधियों की भी इजाजत नहीं दी जा रही है। चौरी चौरा से चली 'नागरिक सत्याग्रह पदयात्रा' को पहले गाजीपुर में रोककर पदयात्रियों को जेल भेजा गया और अब उन्हें फिर से गिरफ्तार कर फतेहपुर की जेल में बंद किया हुआ है। ऐतिहासिक गंगा प्रसाद मेमोरियल हाल में आयोजित सम्मेलन को करने की अनुमति रद्द कर दी गयी। होर्डिंग लगाकर दारापुरी समेत सभी लोगों के जीवन को खतरे में डाल दिया गया।
पूरे प्रदेश में सरकार लोकतंत्र की हत्या करने पर आमादा है। इस सरकार के लिए संविधान और कानून को कोई मायने मतलब नहीं है। हाईकोर्ट के निर्णय से यह प्रमाणित हुआ है कि यह सरकार कानून से ऊपर उठकर काम कर रही है। अभी भी सरकार आसानी से इस फैसले को स्वीकार नहीं करने जा रही वह इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकती है और आंदोलन को समाप्त करने व सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ताओं को बदनाम करने की हर सम्भव कोशिश करेगी। इसलिए जनता को यह समझना होगा कि यह आरएसएस-भाजपा के तानाशाही थोपने और लोकतंत्र को समाप्त करने के समग्र प्रोजेक्ट का हिस्सा है। जन संवाद, तानाशाही का हर स्तर पर प्रतिवाद और लोकतंत्र की रक्षा ही इसका जबाब है। जिसके लिए जनता को खडा होना होगा। 29 मार्च को इसी उद्देश्य से लखनऊ में पूरे प्रदेश के हर जिले के प्रतिनिधियों की बैठक बुलाई गयी है जिसमें