वह ताकत से विचार को मारना चाहता है। पहले भी कर चुका है ऐसा। 69 साल पहले गांधी को गोली मारी थी। लेकिन गांधी अमर हो गए। उसके गिरोह के लोग आज भी हैं जो छुप कर उसकी पूजा करते हैं लेकिन सार्वजनिक रूप से गांधी की प्रशंसा करते हैं। उनके मार्ग पर चलने की बात करते हैं।
कलबुर्गी, पांसरे और डाभोलकर के बाद एक महिला विचारक गौरी लंकेश का खून बहा कर उसका चरित्र हनन करने पर आमादा हैं। लेकिन यह छुप कर गालियां दे सकते हैं, अपने जैसे आंख के अंधों में शेखी बघाड़ सकते हैं लेकिन किसी सार्वजनिक मंच पर, सभ्य लोगों के बीच अपनी बहादुरी नहीं बता सकते। इनके आदर्श भी इन्हीं जैसे वीर रहे हैं। गौरी लंकेश को इनकी और इनके वीरों की बहादुरी का पता था। फिर भी उन्होंने कभी समझौता नहीं किया। सलाम है तुम्हें गौरी लंकेश।
लाशों पर इस तरह की टिप्पणियां कर के अपने को बुद्धिजीवी साबित करने की यह अदा भी निराली है। सच बताओ तुम किस ओर खड़े हो? आदमी या आदमखोर की तरफ?