हिंदुत्व के एजेंडे का हिन्दू धर्म और हिंदुओं से कुछ लेना देना नहीं है। हिंदुत्व की आड़ में देशी विदेशी पूंजी को देश बेचने और इसके लिए बेदखली और नरसंहार का एजेंडा है यह। 1991 से लगातार लिख बोल रहा हूँ। निर्मला जी का आभार कि उन्होंने यह साबित कर दिखाया। इस एजेंडे से मुसलमानों को नहीं, दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, गरीबों, किसानों, मजदूरों को सबसे ज्यादा खतरा है।
अर्थव्यवस्था के सारे सेक्टर मंदी के शिकार हैं लेकिन कोयला और खनिज में मुनाफा ही मुनाफा है। 1975 में खानों के राष्ट्रीयकरण (Nationalization of mines in 1975) से लगातार इसके निजीकरण की कोशिशें होती रही हैं।
कोयला खानों से ही 1980 से मेरी पत्रकारिता शुरू हुई थी। हम तभी से जानते हैं कि देश विदेशी पूंजी की गिद्ध दृष्टि कैसे खनिजों पर लगी हुई थीं।
इसके लिए लम्बी तैयारी की गई। आधार और नागरिकता कानून के जरिये आदिवासी इलाकों को खाली करने की योजना बनी। उसी योजना पर अमल हुआ है।
हर सेक्टर में हर ट्रेड यूनियन से भारत को अमेरिका बनाकर सब कुछ निजी पूंजी के हवाले करके देश बेचने के इस उपक्रम पर लगातार बात करता रहा हूँ।
देश भर में आदिवासी और शरणार्थी इलाकों में जाकर नागरिकता कानून का, आधार का, विनिवेश का विरोध करता रहा हूँ।
मैंने अखबारों की नौकरी के दौरान कैजुअल लीव न लेकर रन लीव लेकर देश भर में यह मुहिम अमेरिका से सावधान कहते हुए चलाया है।
अब यह अभियान प्रेरणा अंशु के मंच से जारी है।
पलाश विश्वास
न्यूयॉर्क के अमेरिकी मरघट से डॉ. पार्थ बनर्जी यही लिख रहै हैं। भारत को अमेरिकी उपनिवेश बनाने के इस निजी उपक्रम का प्रतिरोध कीजिये।
এই করোনাভাইরাস মহাসঙ্কটের মধ্যেই মোদী-শাহ-নির্মলা সরকার ভারতের অর্থনীতির সম্পূর্ণ, ঐতিহাসিক বেসরকারিকরণ করার সিদ্ধান্ত নিয়েছে। যেখানে সেই একই সময়ে লক্ষ লক্ষ গরিব মানুষ রাস্তায় পায়ে হেঁটে চলেছে কেবল বাঁচার তাগিদে। কারণ,
ভারতের কর্পোরেট মিডিয়া ঠিক আমেরিকার মিডিয়ার মতোই এসবের সম্ভাব্য কারণ বিশ্লেষণ করছেনা। তাই আমাদেরই করতে হবে।
এই হঠাৎ, সম্পূর্ণ নিরঙ্কুশ বেসরকারিকরণ হচ্ছে নতুন করে বিশ্ব ব্যাংক ও আন্তর্জাতিক অর্থ তহবিল (আইএমএফ) থেকে বিশাল অংকের ঋণ নেওয়ার শর্ত হিসেবে। আমি আগেও লিখেছি। এর ফলে (১) কোটি কোটি মানুষের কাজ চলে যাবে। (২) ব্যাংকের সুদ দ্রুত কমিয়ে দেওয়া হবে। (৩) ভারতীয় রুপীর আরো পতন ঘটানো হবে, যার ফলে আমদানি করা জ্বালানি, তেল, টেকনোলজি, সমরাস্ত্র, কম্পিউটার, ইত্যাদি সবকিছুর দাম আরো অনেক বেড়ে যাবে, এবং দেশ ঋণে সর্বস্বান্ত হয়ে পড়বে। (৪) গরিব ও মধ্যবিত্তদের জন্যে রক্ষিত সমস্ত ভর্তুকি শেষ করে দেওয়া হবে। (৫) আদানি আম্বানিদের আরো ট্যাক্স ছাড় দেওয়া হবে। (৬) শ্রমিক ইউনিয়ন ধ্বংস করা হবে। নতুন আইনের বলে বিরোধী ব্যক্তিদের বিচার ছাড়াই জেলে বন্দি করে রাখার ক্ষমতা শাসকদের থাকবে।
করোনাভাইরাস সঙ্কট ভারতে ফ্যাসিজম আরো ত্বরান্বিত করলো।
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May 18, 2020