अमेरिकी चुनाव में कमला हैरिस ने उपराष्ट्रपति बनकर इतिहास रच दिया है. उनकी तारीफ करते हुए प्रेसिडेंट जो बाइडन ने उन्हें भारतीय बताने के बजाय एक दक्षिण एशियाई बताते हुए कहा है, 'मुझे एक शानदार उपराष्ट्रपति के साथ काम करने का अवसर मिल रहा है. वह न केवल पहली महिला हैं, बल्कि पहली अश्वेत और दक्षिण एशियाई महिला हैं, जो इस पद तक पहुंची हैं "!
बेशक कमला एक शानदार महिला हैं, जो उपराष्ट्रपति के पद के साथ न्याय करने के संग अपने शानदार व्यक्तित्व और स्टाइल के कारण दुनिया को सम्मोहित करेंगी. हो सकता है स्टाइल में उनकी तुलना मिशेल ओबामा से हो, हॉलीवुड वाले उन पर फिल्म बनाने की परिकल्पना करें. मोदी के क्लोन ट्रम्प के भयावह नस्ल-भेदी दौर के बाद नस्लीय कलंक से उबरने के लिए एक अमेरिका को एक अश्वेत चेहरे की जरूरत थी, जिसे कमला हैरिस ने पूरा कर दिया है.
बहरहाल अमेरिकी चुनाव का परिणाम आने के बाद कमला हैरिस के जरिये जहां अमेरिकियों को गर्व करने का
किन्तु याद रहे! अमेरिका में झंडे गाड़ने वाली ईसाई कमला हैरिस ही नहीं, सुंदर पिचाई, इंदिरा नूयी, कल्पना चावला, फिल्मकार श्यमलन इत्यादि असंख्य प्रवासी अमेरिकन हिंदू - हिंदूआईनें अमेरिकी आरक्षण अर्थात डाइवर्सिटी की वैसे ही प्रोडक्ट हैं जैसे ढसाल, दुसाध, चंद्रभान प्रसाद, बुद्ध शरण हंस, एसके विश्वास, फ्रैंक हुजूर, किरण शैली, अनीता भारती इत्यादि जैसे सैकड़ों लेखक - लेखिकाएं; डॉ जगदीश प्रसाद-डॉ विजय कुमार त्रिशरण- डॉ जनमेजय कुमार- डॉ एस एन- पी एल संखवार जैसे हजारों डॉक्टर; प्रो एसके थोराट- प्रो विवेक कुमार- प्रो दामोदर मोरे- प्रो प्रदीप आगलावे- प्रो श्योराज सिंह बेचैन- प्रो हेमलता महिश्वर्- प्रो रतन लाल - कौशल पवार- राजेश पासवान - डॉ कौलेश्वर् प्रियदर्शी जैसे भूरि-2 शिक्षाविद; हरीश चंद्र- चंद्रपाल- डॉ ए के व डॉ यू एन विश्वास- डॉ बीपी अशोक- प्रशांत कुमार जैसे असंख्य अधिकारी, मायावती- रामविलास - डॉ संजय पासवान - डॉ उदित राज इत्यादि जैसे हजारों सांसद - विधायक अंबेडकरी आरक्षण की!
किन्तु आज बहुजन समाज के लोग बड़े गर्व से अंबेडकरी आरक्षण के अवदानों को स्वीकार करते हैं तो इसलिए क्योंकि उनमें सत्य को स्वीकारने का नैतिक - बल है, लेकिन अमेरिकी आरक्षण के कोख से जन्मने वाले लोगों और उनपर गर्व करने वाले सवर्ण और सवर्ण मीडिया में इतना नैतिक बल नहीं जो अमेरिकी आरक्षण की उपयोगिता को स्वीकार कर सकें। वे तो उनकी मेरिट बताकर गर्वित होते रहते हैं.
और अंत में! अमेरिका में डाइवर्सिटी के चलते वहां जो हजारों - लाखों प्रवासी अमेरिकी हिंदू- हिंदूआईने ऐश कर रहे हैं, जिसमें जो बाइडेन (Joe Biden) की नीतियों के कारण भारी इजाफा होने जा रहा है, वह उस अंबेडकरी आरक्षण से लिया हुआ विचार है, जिसके खात्मे में भारत में हिंदू ईश्वर के उतमांग- मुख, बाहु, जंघे- से जन्मे 99.9 प्रतिशत लेखक- पत्रकार- कलाकार, साधु- संत, धन्ना सेठ और राजनीतिक दल वर्षों से सर्वशक्ति से जुटे हैं. ऐसी गतिविधियों के लिए उन पर करुणा ही व्यक्त की जा सकती है, क्योंकि हिंदू भगवानों और धर्म- शास्त्रों ने उनमें जियो और जीने दो की भावना ही नहीं विकसित होने दिया है!
एच एल दुसाध