गुर्दे यानी किडनी (Kidney) हमारे शरीर के मास्टर कैमिस्ट और होमियोस्टेटिक अंग होते हैं जो कि शरीर के मध्य भाग में स्थित होते हैं और पूरे शरीर को नियंत्रित व संचालित करते हैं. अगर कहा जाए कि मानव शरीर में हृदय, यकृत और मस्तिष्क ही मुख्य कार्य करते हैं, तो यह भी सत्य है कि इनके संचालन व नियंत्रण की जिम्मेदारी गुर्दों पर ही होती है.
किडनी आकृति में सेम के दाने के बरारबर होती है जो कि रीढ़़ की हड्डी के दोनों तरफ कमर के मध्य में पसलियों के ठीक नीचे स्थित होती है. इनका आकार बंद मुट्ठी के जितना होता है और वजन तकरीबन 150 ग्राम से 180 ग्राम होता है. लेकिन उम्र और वजन के अनुसार इसमें भिन्नता आ सकती है.
Kidney function
यह छोटी परंतु जटिल संरचनाओं वाला अंग 140 मील लंबी रक्त वाहिनी नलिकाओं द्वारा लगभग 20 लाख छन्नियों (10 लाख प्रति गुर्दा) की सहायता से निरंतर रक्त छानने या फिल्टर करने का कार्य करती है.
रक्त साफ करने की प्रक्रिया से शरीर में पानी की मात्रा संतुलित करना, रक्तचाप, मधुमेह को नियंत्रित करना, शरीर में से अवशिष्ट व विषैले पदार्थों को मूत्र द्वारा बाहर करना तथा आवश्यक पदार्थ विटामिंस, मिनरल्स, कैल्शियम, पोटैशियम, सोडियम इत्यादि को वापस शरीर में भेज कर इलैक्ट्रोलाइट्स को संतुलित करना इसका कार्य है. इसके अलावा गुर्दो के द्वारा एक प्रकार के हारमोंस का निर्माण किया जाता हैं जो कि लाल रक्त कोशिकाओं को मजबूत बनाते हैं.
प्रत्येक किडनी हृदय से प्रारंभ होने वाली मुख्य रक्त वाहिनी आर्टा से आने वाली धमनियों के जरिए प्रचुर मात्रा में रक्त की सप्लाई करती है.
गुर्दे आकार में भले ही छोटे होते है मगर वे हर एक मिनट में हृदय से पंप किए रक्त का 20 से 25 प्रतिशत हिस्सा प्राप्त करते हैं. गुर्दे हमारे शरीर के उस तालमेल को
किडनी रोग के मुख्य भाग-
एक्यूट रीनल फेल्योर : Acute renal failure
इसके मुख्य कारण (Cause of acute renal failure) हैं हैजा (पानी की कमी), संक्रमण, सैप्टिक आदि. रक्तचाप का अचानक से बढ़ जाना और हैमरेज या दुर्घटना आदि. इसमें समय से इलाज हो जाने से मरीज पहले की तरह स्वस्थ हो जाता है. यह सब मरीज की सामान्य अवस्था पर निर्भर करता है.
क्रोनिक रीनल फेल्योर (Chronic renal failure):
बचपन या जन्म से गुर्दे में संक्रमण (kidney infection), रक्तचाप, मधुमेह, किडनी या यूरेटर में स्टोन (Stone in ureter), यूरिनरी ट्रैक इंफैक्शन (Uranry track infraction), कार्यक्षमता का कम होना, लंबे समय से किसी घातक बीमारी के इलाज में कई दवाओं का लगातार लेते रहने से भी सीआरएफ के लक्षण (Symptoms of CRF) मिलते हैं.
प्रोटीन्यूरिया : गुर्दे से प्रोटीन ज्यादा मात्रा में निकलना
इसमें (Proteinuria) पेशाब में निरंतर प्रोटीन निकलता रहता है. इस वजह से कमजोरी, खून की कमी व हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और गुर्दे खराब होने लगते हैं. एक्यूट रीनल फेल्योर में मरीज की सामान्य स्थिति और सही इलाज से काफी हद तक सामान्य की जा सकती है. अत: मरीज का गुर्दा फेल होने से बचाया जा सकता है.
क्या है इम्यूनोऐडसोर्पशन प्रक्रिया? Immunoadsorption - an overview,
दरअसल इस प्रक्रिया के तहत मरीज के भर्ती करने के बाद सबसे पहले उसके शरीर में मौजूद सभी एंटीबाडीज को निकालने के लिए दवाइयां दी जाती हैं और इसका भी ध्यान रखा जाता है कि मरीज के शरीर में नई एंटीबाडीज का जन्म न हो. जैसे ही एंटीबाडीज का स्तर कम हो जाता है और वह सर्जरी करने के स्तर तक आ जाता है तो तुरंत दानकर्ता की किडनी से उसे प्रत्यारोपण (kidney transplant in Hindi) कर दिया जाता है.
एंटीबाडीज वे प्रोटीन तत्व होते हैं जिन्हें इम्युनोग्लोबुलिन के नाम से भी जाना जाता है. आमतौर पर शरीर के प्रतिरोधक प्रणाली के द्वारा इनका निर्माण किया जाता है जो कि बाहरी तत्वों से शरीर का बचाव करने में सक्षम होते हैं. ऐसे में, वे बाहरी तत्वों के साथ रिएक्ट करते हैं. ऐसे में ये एंटीबाडीज प्रत्यारोपित की जाने वाली किडनी को रिएक्ट कर सकते हैं. तो प्रत्यारोपण करते समय सबसे पहले इन एंटीबाडीज के स्तर पर कड़ी निगरानी रखी जाती है.
सर्जरी के बाद मरीज पर चार सप्ताह तक मरीज का पूरा ध्यान रखा जाता है कि कहीं किडनी रिजेक्ट न हो जाए. हालांकि ऐसा कम ही होता है. इस नए आविष्कार से उन मरीजों को नया जीवन मिल सकता है जिन्हें रक्तसमूह मैच न होने के कारण किडनी प्रत्यारोपण कराने में दिक्कत आती थी.
डा. सुदीप सिंह सचदेव,
नेफ्रोलॉजिस्ट,
नारायणा सुपर स्पेशेलिटी हॉस्पिटल,
गुरूग्राम.
( नोट - यह समाचार किसी भी हालत में चिकित्सकीय परामर्श नहीं है। यह जानकारी हेतु अव्यावसायिक रिपोर्ट मात्र है। आप इस समाचार के आधार पर कोई निर्णय कतई नहीं ले सकते। स्वयं डॉक्टर न बनें किसी योग्य चिकित्सक से सलाह लें।)