व्यक्तित्व केवल सलीके से पहने परिधानों व आकर्षक चेहरे (Attractive face) से नहीं बनता, बल्कि व्यक्तित्व के कई माप दंड होते हैं।
मनोवैज्ञानिकों के अनुसार व्यक्ति के नैसर्गिक, मनोवैज्ञानिक एवं व्यवहार परक तत्वों का सामूहिक समन्वय व संयोजन संपूर्ण व्यक्तित्व की पहचान है। संपूर्ण व्यक्तित्व बनता है विचार, आचार, विचारो की समझ, दूरदर्शिता, सुसंस्कृत आचरण, व्यवहारिक सोच, कार्य करने के तरीके और जीवन के प्रति अपने दृष्टिकोण से। व्यक्तित्व के कुछ पहलू को बदलना कठिन हो सकता है लेकिन व्यक्तित्व को मनचाही दिशा दे पाना संभव है।
प्रथम चरण : यथार्थवादी बनें | be realistic
यह जीवन परिवर्तनशील है, इस सच को आप अगर जितनी जल्दी स्वीकार कर ले उतना ही बेहतर है। जीवन में कुछ भी ऐसा नहीं होता जो परिवर्तन न हो। हर चीज बदल जाती है। इसलिए भूतकाल के ख्यालों में न खोये रहें, अपने वर्तमान जीवन को जीयें और हर पल को बेहतर करते जाएं।
हमारा दृष्टिकोण हमारे जीवन की दिशा और दशा तय करता है, कभी भी संकीर्ण मानसिकता या नजरिया न रखें। आपका जितना छोटा नजरिया होगा, आप उतना ही सोच सकते हैं। इसलिए अपने
हमारा स्वभाव हमारी पहचान होती है, लेकिन इसे बदलना काफी मुश्किल होता है। हम अगर चाहे तो अपने व्यवहार में जरुर परिवर्तन ला सकते है। व्यवहार में परिवर्तन करके हमअपना व्यक्तित्व बेहतर बना सकते है। इसलिए आपका स्वभाव चाहे कैसा भी हो, अपने व्यवहार को हमेशा सही रखे और व्यवहारिक बने।
नकारात्मक सोच (negative thinking) जहाँ व्यक्ति को अंदर ही अंदर घोट देती है वही सकारात्मक सोच व्यक्ति को ऊर्जा प्रदान करती है। सकारात्मक सोचना हमें हमेशा सही परिणाम देता है। नकारात्मक सोच हमें तनाव की ओर ले जाती है। हर स्थिति में सकारात्मक सोच रखने की कोशिश करे।
हमारे दिनभर में कई ऐसे कार्य होते हैं, जो हमारे समय को फ़ालतू में बर्बाद कर देते हैं,। अपनी दिनचर्या को व्यवस्थित कीजिये और जो भी काम आपके समय को बर्बाद करता है उसे करना छोड़ दीजिये। ऐसा करने से आपका समय तो बचेगा ही साथ में आप अधिक प्रोडक्टिव भी हो जाएंगे।
अनुशासन का जीवन में होना बहुत महत्वपूर्ण है। अनुशासित जीवन जीना हमें जिम्मेदारियां निभाने व हर कार्य को आसानी से करने में मदद करता है। अनुशासनहीनता (Indiscipline) हमें दूसरों से बहुत पीछे कर देती है, अत: जीवन में अनुशासित व्यवहार करें।
हम लोग भले ही जीवन में कितना व्यस्त क्यों न रहें पर हम सब सर्वप्रथम एक इंसान हैं। जीवन में इस बात को हमेशा ध्यान में रखें। आप अगर कभी भी मुश्किल परिस्थिति में फंस जाते हैं तो उस समय मानवता को पहला स्थान दें।
अपने व्यवहार को मिलनसार रखिये, कटु व्यवहार व खुद में खोये रहने वाले लोगों को कोई भी पसंद नहीं करेगा। जो व्यक्ति लोगों से मेलजोल रखता हो व लोगों से दोस्तों वाला व्यवहार रखता है उसी को लोग पसंद करते हैं।
हमारा आलस्य हमारे दुश्मन की तरह होता है जो हमें आगे बढ़ने से रोक देता है। जब भी हम आलस्य करके किसी काम को करने से कतराते हैं, तो उसका नुकसान हमें भुगतना पड़ता है। आलसी जीवन जीना किसी को भी शोभा नहीं देता। अपनी इस आदत को बदलिए।
जीवन में प्राथमिकताओं का होना आवश्यक है। आप अपनी प्राथमिकतायें तय कर लें, किस स्थिति में आपके लिए क्या अहम है इस बात का पता आपको होना चाहिए। प्राथमिकता होना बहुत जरूरी है।
हम सब इंसान है और हर इंसान में कमियाँ होना आम बात है। इस संसार में कोई भी इंसान परफेक्ट नहीं है। हर किसी में कूछ खूबियाँ है तो कुछ कमियाँ भी हैं। इसलिए अपनी खूबियों को बढ़ावा दें, वहीं अपनी कमजोरियों को पहचान कर उन्हें दूर करें।
हमारा जीवन कठोर नहीं होना चाहिए। कठोरता किसी को पसंद नहीं होती। हर कोई ऐसे लोगों से मिलना पसंद करता है जिसके व्यवहार में लचीलापन हो। उस पेड़ की तरह मत बनिए जो सीधा खड़ा रहता है, बल्कि उस पेड़ की तरह बनिए जो लचीला होकर झुका रहता है।
दूसरा चरण : संपूर्ण संसार एक मंच
अगर जीवन को एक खेल समझा जाए तो यह जिंदगी हमें हमेशा खेलने के लिए अवसर प्रदान करती रहती है, परन्तु हम सब अपने जीवन में इतने उलझे हुए हैं, हम इन अवसरों को देख ही नहीं पाते। जो व्यक्ति सीखना चाहता है आगे बढ़ना चाहता है उस इंसान के लिए संसार में अवसरों की कमी नहीं है। वह हर अवसर को अपने पक्ष में करके जीवन की ऊंचाईयां हासिल कर सकता है।
अगर आपको अपना जीवन आसान बनाना है तो अपने जीवन में कभी भी भूतकाल या भविष्य में न खोये रहें। हमेशा वर्तमान में रहें। वर्तमान पल में जीवन जीना हमें ख़ुशी के साथ सुख भी प्रदान करता है। अपनी वर्तमान आवश्यकताओं को समझें और जीवन के हर क्षण में अच्छा करते जाएं। आपका भविष्य व भूतकाल सही बनता जाएगा।
आज दुनिया तेजी से बदल रही है, यहाँ कुछ भी ऐसा नहीं है जो स्थिर हो। नयी तकनीकें व जानकारी दिनों दिन अपडेट हो रही हैं। मोबाइल, कंप्यूटर, इन्टरनेट, ऑनलाइन पेमेंट तथा ऐसे ही अन्य नयी तकनीकी चीजों को समझना शुरू करें और अपने जीवन में उतार दें।
हमें सिर्फ खुद पर ही ध्यान नहीं देना है बल्कि देश - दुनिया में क्या हो रहा। इस बात का पता होना भी जरूरी है। यह दुनिया हर पल बदल रही है, इसलिए वैश्विक गतिविधियों से स्वयं को अपडेट करें।
हमारी भाषा और शब्दकोश हमारे अभिव्यक्ति करने का एक मजबूत स्तम्भ होती है। नए शब्द सीखिए अपनी भाषा को बेहतर करते जाएं। कोई नयी भाषा अगर सीखने को मिलती है तो उसे सीख लें। यह आपके जीवन में काम तो आएगी ही साथ में आपके व्यक्तित्व को आकर्षक भी बना देगी।
अपने रूटीन में एक बात हमेशा ध्यान दें कि कभी भी अपना समय ऐसी फिजूल की बातों में खर्च न करें जिससे आपको कुछ भी सीखने को न मिल रहा हो। अनावश्यक बातों पर ध्यान देने से समय तो बर्बाद होगा ही साथ में हमारा फोकस भी लूस हो जाता है। सही बातों को सुनें व अनावश्यक बातों से दूर ही रहें।
वही व्यक्ति सफलता का स्वाद चखता है जो व्यक्ति हमेशा खुद के प्रति ईमानदार होता है। अगर हम खुद के प्रति ईमानदार नहीं हैं तो दूसरो के प्रति कभी भी नहीं हो सकते। खुद की नजरों में महान बनिए। खुद के साथ - साथ अपने परिवार व समाज के प्रति भी ईमानदार रहें।
तीसरा चरण : करें खुद का मूल्यांकन (Evaluate yourself)
जी हाँ, यह बात बिलकुल सच है। आप दिनभर जो भी करते हैं उसका आपके आसपास के लोगों पर बहुत असर होता है। अगर आप कुछ अच्छा करते हैं तो दूसरे लोग उससे सीखते हैं, वहीं बुरा करने पर बुरा असर होता है।
आप इस दुनिया में आये हैं इसके लिए आपको अपने माता - पिता का अहसानमंद होना चाहिए। ऐसे ही आपके जीवन में जिन लोगों ने आपकी किसी भी मौके पर कोई सहायता की हो उनका अहसान हमेशा याद रखें और समय आने पर उनकी सहायता जरूर करें।
यह ज़िन्दगी हमारे आगे हर रोज कई चुनौतियाँ पेश कर देती है। ज़िन्दगी कोई ऐसा खेल नहीं है जो सिर्फ सेफ जोन में खेला जाता हो। यहाँ हर दिन आपको कुछ नया टास्क मिलेगा। यही टास्क चुनौतियाँ होती हैं। इनसे घबराएं नहीं बल्कि मजबूती से इनका सामना करें व हर चुनौती को एक अच्छा अवसर बना लें।
आपके आसपास कई ऐसे लोग होंगे जो अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ होंगे। ऐसे लोगों से सीखिए और उनकी उपलब्धियों की सराहना करें। आपसे छोटे या बड़े जो भी व्यक्ति कुछ हासिल करता है तो उसकी सच्ची प्रशंसा करे और आगे बढ़ने के लिए उन्हें प्रेरित करे। ऐसे करने से उनका आत्मविश्वास जरूर बढ़ेगा।
अंजना अंजन
स्रोत - देशबन्धु से