कनक तिवारी जी की एक एफबी पोस्ट पर मैंने कमेंट किया कि अरविंद केजरीवाल की आरएसएस भाजपा के शीर्षस्थ नेतृत्व से एक मिली भगत है। तो उन्होंने कहा कि बताइये आप ये बात कैसे कह रहे हैं। तो मैंने उन्हें निम्नवत जवाब भेजा है। मुझे लगा कि गाली के डर के बावजूद मेरा जवाब आप सब तक भी जाना चाहिए।
"कनक तिवारी सर आप राजनीति को बारीकी से देखते हैं। मैं केजरीवाल को आज दिल्ली के आप पार्टी के समय से नहीं जब वो अरुणा रॉय के पास एक्टिविज्म के लिए गए थे, तब से फॉलो कर रहा हूँ। व्यक्तिगत रूप से बहुत शातिर और द्रोही इंसान हैं। अन्ना आंदोलन पूरी तरह से आरएसएस भाजपा थिंक टैंक का कमाल था। कांग्रेस की मूर्खता थी कि उस ट्रैप में फंस गई और अन्ना आंदोलन की सदाशयता पर यकीन किया। विवेकानंद फाउंडेशन दिल्ली में सब साजिशें बनाई गईं जिसमें विदेशी एजेंसीज ने भी बड़ी भूमिका पर्दे के पीछे से निभाई। अन्ना तारीफ पसन्द मूर्ख व्यक्ति थे और उन्हें फुसला लिया गया आंदोलन का फेस बनने के लिए। केजरीवाल उसी कड़ी के प्रमुख अंग रहे।
आप पार्टी को अच्छे-अच्छे धुरंधर समझ नही पाए और हर रंग के बुद्द्धिजीवी /एक्टिविस्ट तमाम उम्मीदों के साथ उसमें शामिल हो गए। एक समय बाद उसमें जो genuine टाइप लोग थे उन्हें भगा दिया गया कि कहीं खेल खुल न जाये। प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, आनंद कुमार इसके बड़े उदाहरण हैं। ये लोग अपनी राजनीतिक समझ में भले कुछ हों लेकिन व्यक्तिगत तौर पर संजीदा व अच्छे लोग हैं।
जानबूझकर केजरीवाल ने खुद को मोदी के प्रतिपक्ष के तौर पर खुद को पेश करने की
रही बात दिल्ली की।
दिल्ली जो भी हो, लेकिन बौद्धिक गतिविधियों व प्रोपोगंडा का गढ़ है। भाजपा दिल्ली में बुद्धिजीवियों को जानती है कि फिलहाल वो भाजपा के प्रशंसक नहीं हो सकते और अगर खुल के विरोध पर उतर आये तो भजपा की political legitimacy को तो गंभीर नुकसान पंहुचा ही सकते हैं। देश ही नहीं विदेशों में भी।
इसलिए केजरीवाल उनके लिए मुफीद है। एक झटके में केजरीवाल के समर्थक भाजपा के खाने में चले जाते हैं जरूरत होने पर जैसा की लोक सभा में हुआ।
अब मेरी समझ ये है कि दिल्ली में भाजपा गियर बदलना चाहती है। केजरीवाल को विश्राम दिया जा सकता है।
यह भी हो सकता है कि फिलहाल केजरीवाल को अभी और इस्तेमाल करा जाए।
ये जो देश में बौद्धिक भ्रम फैला हुआ है वही भाजपा को मजबूती देता रहा है।"
आलोक वाजपेयी
(लेखक इतिहासकार हैं।)
Arvind Kejriwal's RSS is a collusion with the top leadership of the BJP