पटना, 26 फरवरी. राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (Rashtriya Lok Samata Party) ने कहा है कि केंद्र सरकार के कृषि कानून देश में पूरी तरह लागू हुए तो इसका असर जन वितरण प्रणाली पर भी पड़ेगा और गरीबों-वंचितों से मुंह का निवाला छिन जाएगा.
रालोसपा ने कहा कि सरकार धीरे-धीरे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को खत्म करने की साजिश रच रही है. एमएसपी पर सरकारी खरीद होती है और गरीबों-वंचितों को अनाज सरकार इसी से मुहैया कराती है लेकिन एमएसपी खत्म होने के बाद बड़ी कंपनियां गरीबों को अपनी जेब से खर्च कर भोजन मुहैया नहीं कराएगी, क्योंकि उसका लक्ष्य मुनाफा कमाना होता है चैरिटी करना नहीं. सरकार इसे समझ रही है और देश के किसान भी समझ रहे हैं इसलिए किसान देश भर में आंदोलित हैं. बिहार के किसानों को भी इसे समझना होगा और एनडीए सरकार के खिलाफ हल्ला बोलना होगा.
इस मौके पर पार्टी के प्रदेश महासचिव वीरेंद्र प्रसाद दांगी, किसान प्रकोष्ठ के प्रधान महासचिव रामशरण कुशवाहा, कार्यालय प्रभारी अशोक कुशवाहा, संगठन सचिव विनोद कुमार पप्पू. सचिव राजेश सिंह और रालोसपा नेता विधेम रोशन भी मौजूद थे.
पार्टी नेताओं ने कहा कि सरकार किसानों के आंदोलन का सबसे बड़ा कारण नए किसान कानून की वजह से न्यूनतम समर्थन मूल्य का खत्म होना है. सरकार जिस तरह से कानून लेकर आई है उससे धीरे-धीरे एमएसपी खत्म हो जाएगा और फिर किसानों को अपनी फसल को औने-पौने में कारपोरेट घरानों को बेचना होगा. जाहिर है कि वे किसानों की फसल अपने मुनाफे को ध्यान में रख कर ही खरेदेंगे और फिर बाजार में उसे बेचेंगे. तब जन वितरण प्रणाली पर इसका सीधा असर पड़ेगा.
रालोसपा नेताओं ने कहा कि इस नए कृषि कानून के कारण सरकार ने कृषि उपज मंडी समिति से बाहर कृषि के कारोबार को मंजूरी दे दी है. इससे साफ है कि किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य भी नहीं मिल पाएगा. भाजपा नेता और केंद्र सरकार लोगों को भरमा रही है कि यह कानून किसानों के हित में है जबकि इन कानूनों में सब कुछ काला है. बड़ी वितरण प्रणाली पर पड़ेगी और इससे बिहार सहित पूरे देश के गरीब, दलित, वंचित, पिछड़े-अतपिछड़े समाज को इसका खमियाजा भुगतना होगा.
रालोसपा का किसान चौपाल दो फरवरी से शुरू हुई थी और 28 फरवरी तक चलेगी.