दिल्ली में एक पिज़्ज़ा डिलीवरी बॉय का कोरोना पॉजिटिव पाया जाना (A pizza delivery boy found corona positive in Delhi) एक बार फिर किसी बड़े समूह को मुश्किल में डाल दिया है। प्रशासन ने तुरंत कार्यवाही करते हुए उन 72 घरों को सील कर दिया है जिनमें उस डिलीवरी बॉय ने पिज़्ज़ा डिलीवर किया था। साथ ही उसके साथ काम करने वाले 17 स्टाफ मेंबर को भी नजरबंद किया गया है।
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि आज पूरा विश्व कोरोना से दो-दो हाथ कर रहा है। अगर यह कह जाये कि कोरोना से जंग किसी विश्व युद्ध के समान ही लग रही है तो गलत नहीं होगा। दुश्मन के सामने होने पर हम उस पर कम से कम पलटवार तो कर सकते हैं। उसके 4 वार खाएंगे तो 1 को मार तो सकते हैं, लेकिन यह युद्ध तो उससे भी ज़्यादा खतरनाक है जहाँ आपका दुश्मन अदृश्य है और यहाँ तो आपको खुद को ही दुश्मन से छिपा कर रखना है। यहाँ घर में छिप कर बैठने वाले को कायर नहीं बल्कि बहादुर माना जा रहा है क्योंकि वह अपने साथ-साथ कई हजारों लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। आज जो घर पर बैठा है वही सिकंदर है। कहीं ऐसा ना हो कि हम कोरोना की जंग केवल अपनी जीभ के स्वाद के कारण हार जाएँ।
आज के हिसाब से तो बिलकुल भी नहीं। सवाल यह उठता है कि इस गंभीर स्थिति में क्या सोच कर रेस्टोरेंट और फ़ूड डिलीवरी जैसी संस्थाओं को खोला गया है? यह सवाल इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि ऐसे रेस्टोरेंट गरीबों की भलाई के लिए तो मुफ्त खाना नहीं बांट रहे होंगे बल्कि
अगर आपके पास पिज़्ज़ा या रेस्टोरेंट फ़ूड आर्डर करने को पैसे हैं तो यक़ीनन आप ग्रोसरी खरीद कर स्वयं से भी कुछ बना सकते हैं। प्रशासन को उन 72 घरों से यह भी जानकारी लेनी चाहिए कि उन लोगों के बाहर से खाना आर्डर करने के पीछे क्या मज़बूरी थी? यक़ीनन बात थोड़ी नहीं बहुत अटपटी है लेकिन इस समय को देखते हुए अटपटा कुछ नहीं होना चाहिए क्यूंकि इस समय हमें केवल इस बात की तह में जाना चाहिए कि लोग आखिर क्यों इन बातों को गंभीरता से नहीं ले रहे ? पेट भरने के लिए भूख लगनी चाहिए बस, और जब भूख लगती है तो इंसान स्वाद नहीं देखता। एक छोटी सी लापरवाही कितने लोगों की जान संकट में डाल सकती है। इस बात का अंदाजा हम सभी को है लेकिन फिर भी हम बार-बार ऐसी हरकत करते ही हैं।
इस समय आपका खाना हर तरह से पौष्टिक होना चाहिए। खाने में अधिक से अधिक फल एवं सब्जियां होनी चाहिए। घर का खाना हर प्रकार से आपके लिए लाभकारी है। यकीन मानिये सब मिलकर घर पर जब कुछ बनायेंगे तो उसमें रेस्टोरेंट से बेहतर स्वाद आएगा। हम मानते हैं कि हर घर में बच्चे हैं और बच्चों की जिद के आगे जितना मुश्किल भी है लेकिन कोरोना के बारे में सभी भली भांति जानते और समझते है। अब बस कुछ दिनों की बात है जब हम कोरोना पीछे छोड़कर कर आगे निकल जायेंगे। यह समय और हम लोग इस समय को याद करेंगे और जरूर कहेंगे कि यार कितना अच्छा था न लॉकडाउन का समय। घर पर रहिये और घर पर बनाकर खाइये क्यूंकि उससे स्वादिष्ट और सेहतमंद कुछ नहीं।
प्रीति पाण्डेय
(चरका फीचर्स)