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सिमडेगा में संतोषी कुमारी की भूख से हुई मौत पर जाँच रिपोर्ट

BY Stan Swamy

06 नवंबर 2017. सिमडेगा जिला के जलडेगा प्रखंड के पतिअम्बा पंचायत के कारीमाटी गाँव की निवासी 11 वर्षीयसंतोषी कुमारी ( पिता: ततायनायक, माँ: कोईली देवी) की 28 सितम्बर 2017 को रात लगभग10:30 बजे  मौत हो गयी.

संतोषी कुमारी की मौत के कारण का पता लगाने के लिए भोजन का अधिकार अभियान एवं नरेगा वाच से जुड़े सामाजिक कायकर्ताओं के एकदल(जवाहर मेहता, अशर्फीनन्द प्रसाद, तारामणि साहू ,आकाश रंजन,एवं धीरज कुमार) ने मृतक के परिजनों, राशन डीलर, एवं जलडेगा प्रखंड के अधिकारियों से मुलाक़ात की.

बातचीत से निम्नालीखित तथ्य उभर कर आते हैं

भूख से हुई संतोषी कुमारी की मौत: संतोषी कुमारी की माँ कोईलीदेवी ने बतलाया कि लगभग 6 महीने से उनके परिवार को राशन नहीं मिल रहा था. 28 सितम्बर को, जिस दिन संतोषी कुमारी की मौत हुई, घर में चावल नहीं था. 4 दिन से परिवार के किसी सदस्य ने कुछ भी नहीं खाया था. मृतक संतोषी कुमारी को स्कूल में मध्याह्न भोजन से एक समय का खाना मिल जाता था. लेकिन दुर्गा पूजा की छुट्टी की वजह से एक वक़्त का मध्याहन भोजन का खाना भी नहीं मिल पा रहा था.

मृतक की माँ के अनुसार रात को संतोषी कुमारी ने माँ से भात माँगा. उसके आँख के सामने अँधेरा छाने लगा  और वह कांपने लगी. उसने कहा कि भात नहीं है तो माड़ पानी ही दे दो. माँकोईलीदेवीउसे गाँव के वैद्य के पास ले गयी. वैद्य ने कहा कि भूख से पेट तन गया है. उसे भात खिला दो. लेकिन संतोषी के घर में चावल नहीं था. वह अपनी बेटी को नहीं बचा पाई. मृतक संतोषी कुमारी की माँ ने बतलाया कि मरते समय भी वह भात भात कह रही थी.

आधार कार्ड सीडिंगनहो होने की वजह से हुआ

राशन कार्ड रद्द: जलडेगा के बीडीओ का कहना है कि मृतक संतोषी कुमारी के परिवार का राशन कार्ड इसलिए डिलीट हो गया था क्योंकि आधार से नहीं जुड़ा था. जलडेगा के  प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी ने बतलाया कि मृतकसंतोषी कुमारी के परिवार का नाम विभाग के आदेश के अनुसार कार्ड धारियों की सूची सेस्वतः कट गया था क्योंकि उनका आधार सीडिंग नहीं हुआ था.

डीसी को शिकायत करने के बावजूद ऑनलाईन प्रक्रिया की जटिलताओं के चलते नहीं बन पाया मृतक के परिवार का राशन कार्ड:

मृतक संतोषी कुमारी के परिवार का राशन बंद होने की शिकायत स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा उपायुक्त के जनता दरबार में 21 अगस्त 2017 को ही दे दी गयी थी. इस सम्बन्ध में 1 सितम्बर 2017 को इसकी लिखित शिकायत एवं नया कार्ड बनवाने के लिए आवेदन जिला आपूर्ति पदाधिकारी सिमडेगा को आधार कार्ड की फोटोकॉपी के साथ  पीडित परिवार की ओर से दिया गया था. आवेदन देने के लगभग एक महीनेतकपरिवार का राशन कार्ड नहीं बन पाया. 28सितम्बर को बच्ची की मौत हो गयी. परिवार का राशन कार्ड शिकायत के लगभग डेढ़ महीने बाद एवं बच्ची की मौत के लगभग दो हफ्तेबाद10  अक्टूबर के आस पास बनवाया गया.

प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी एवं ऑपरेटर द्वारा बतलाया गया कि ऑनलाईन पोर्टल बंद होने की वजह से राशन कार्ड बनने में विलम्ब हुआ.

परिवारअब भी भुखमरी की स्थिति में, जिला प्रशाशन द्वारा नहीं दी जा रही है राहत :

अभियान के सदस्यों ने पीड़ित परिवार के हालत का जायजा लेने के लिए एवं प्रशाशन की कारवाई समीक्षा के लिए दो बार  6 अक्टूबर एवं 13 अक्टूबर को पीड़ित परिवार से मुलाक़ात की. दोनों ही मुलाक़ात में परिवार के सदस्य भुखमरी की स्थिति में पाए गए एवं जांच दल द्वारा ही उन्हें अनाज एवं भोजन उपलब्ध कराया गया. शिकायत के बाद प्रशाशन द्वारा परिवार को 5 किलो चावल दिया गया था.बेटी के मरने के बाद जो 30 किलो चावल प्रशाशन द्वारा दिया गया था वह बेटी के अंतिम संस्कार में ख़त्म हो गया.

प्रशासन की ओर से परिवार की मदद के नाम पर मात्र 35 किलो चावल पहुंचाया गया है. जब जांच दल 12 अक्टूबर कोपीड़ित परिवार से मिलने गया तो माँ कोईलीदेवी गंभीर रूप से बीमार थी. जांच दल के सदस्यों की पहल पर उन्हें प्रखंड अपस्ताल लाया गया. अपस्ताल के मेडिकल ऑफिसर ने बतलाया कि मृतक की मां ने काफी दिनों से खाना नहीं खाया है. 6 अक्टूबर कोप्रखंड आपूर्ति  द्वारा बतलाया गया कि राशन कार्ड नहीं बना है. 12 अक्टूबर को प्रखंड आपूर्ति ने बतलाया कि पीड़ित परिवार का राशन कार्ड तो बन गया है लेकिन पीड़ित परिवार को राशन नहीं दिया गया है क्योंकि SIO ( Store issue order) जो ऑनलाईन जेनरेट होता है अभी तक नहीं आया है.

मृतकके परिवार की आर्थिक स्थिति :

मृतक संतोषी कुमारी के पिता तताय नायक काम नहीं कर पाते. वे एक साल से मानसिक रूप से विक्षिप्त हैं. गाँव में कोई उधार नहीं देता. माँ और उसकी बड़ी बेटी गुड़िया ( उम्र 20 वर्ष) घर-घर जा कर घास छीलने इत्यादि का काम करते है. कोई 20 रुपया देता है कोई 25 रुपया, कोई चावल दे देता है. काम भी रोज नहीं कभी कभी मिलता है। हफ्ते में 80-90 रुपये कमा लेते हैं. काम नहीं मिलता तो दातुन और पत्तल बेचते हैं. नहीं तो भूखे सोते हैं. गाँव में नरेगा का भी कोई काम नहीं चल रहा है.

जिस दिन जांच टीम गयी उस दिन भी सुबह से परिवार के किसी सदस्य ने कुछ नहीं खाया था.

कोईली देवी ने बतलाया कि गाँव के ही एक परिवार से दो पईला (लगभग आधा किलो)  चावल उधार माँगा है. परिवार ने भी चावल इस लिए दिया कि कोईली देवी ने उसे आश्वासन दिया कि वह चावल लौटा देगी क्योंकि उसकी बड़ी बेटी काम के तलाश में गयी है शायद उसे कुछ काम मिल गया हो. बेटी कुछ कमाकर आयेगी तो चावल खरीद कर लौटा देगी.

मृतक की माँ कोईली देवी ने बतलाया कि अभी मुश्किल से जो चावल मिलता है उसी को माड़ भात और नमक के साथ खाते हैं लेकिन उस से भी पेट नहीं भरता. कभी-कभी किसी की बाड़ी से साग तोड़ कर ले आते हैं.

मृतक की माँ कोईली देवी ने बतलाया कि भूख लगने पर आंगनबाडी से मिलने वाला पैकेट फुड, जो कोईली देवी देवी के डेढ़ वर्षीय बेटे प्रकाश के लिए मिलता है, परिवार के सभी सदस्य पानी के साथ खाते हैं. सास के वृधा पेंशन से कुछ पैसे आता था लेकिन पेंशन भी 8 महीने से बंद है.

संतोषी कुमारी की छोटी बहन 10 वर्षीय चांदो पांचवी कक्षा में है. बहन संतोषी कुमारी के गुजर जाने के बाद उसने भी स्कूल जाना छोड़ दिया है इसलिए उसे अब मध्याह्न भोजन का खाना भी नहीं मिलता. चांदो का संतोषी से विशेष लगाव था. दोनों साथ स्कूल जाते थे. अब स्कूल जाना छोड़कर वह गाँव वालों की ही मवेशी चराती है और जिस से उसे बदले में भात खाने को मिल जाता है.

पड़ोसी परिवार भी है भुखमरी के कगार पर :

मृतक संतोषी देवी के चाचा पति नायक का परिवार, जो पड़ोस में ही रहता है, उनका राशन कार्ड भी आधार नहीं होने की वजह से रद्द हो गया है. इनका भी जैसे तैसे गुजारा हो रहा है. परिवार में पति नायक की पत्नी डहरी देवी तीन बेटा और तीन बेटी हैं. पति नायक के घर का राशन कार्ड रद्द होने की शिकायत भी 21 सितम्बर को उपायुक्त के जनता दरबार में दी गयी थी लेकिन उनका राशन कार्ड भी अभी तक नहीं बना है. प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी ने बतलाया कि पति नायक का नया राशन कार्ड नंबर के लिए उनका आधार कार्ड बनवाकर लॉग इन कर दिया गया है.

(17 अक्टूबर की रिपोर्ट)

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