गुरूग्राम 20 नवंबर 2019 : युवा आबादी के बीच स्ट्रोक के मामले (Stroke cases among young population) लगातार बढ़ते जा रहे हैं और इसी के साथ इस समस्या की रोकथाम करना एक बड़ी जरूरत बन गई है। स्ट्रोक के लक्षणों और इसकी रोकथाम के तरीकों (Stroke symptoms and methods of stroke prevention) के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से स्ट्रोक एंड न्यूरोवस्कुलर इंटरवेंशन फाउंडेशन ने आज एक इंटरैक्टिव सेशन (Stroke and neurovascular masterclasses) का आयोजन किया।
हमारे देश में स्ट्रोक यूनिट और न्यूरोइंटरवेंशनिस्ट की कमी के कारण लोगों को एडवांस इलाज के बारे में कुछ अधिक जानकारी नहीं है इसलिए उन्हें जागरुक करना बहुत जरूरी है। स्ट्रोक एंड न्यूरोवस्कुलर इंटरवेंशन फाउंडेशन, स्ट्रोक मैनेजमेंट में हालिया प्रगति के बारे में चर्चा के लिए सालों से ट्रेनिंग कार्यक्रमों, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंसों का आयोजन करता आ रहा है। भारत में, इस प्रकार के बहुत ही कम कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जो विशेषतौर पर स्ट्रोक की रोकथाम के लिए नए विकल्पों पर केंद्रित होते हैं।
कई रिसर्च और अध्ध्यनों से अनुसार, 25 साल के युवाओं के बीच स्ट्रोक के मामलों में अचानक वृद्धि देखी गई है। स्ट्रोक इंडिया 2018 की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल स्ट्रोक के सभी मरीजों में 20 फीसदी मरीजों की उम्र 40 से कम थी।
यह जानकारी देते हुए स्ट्रोक एंड न्यूरोवस्कुलर इंटरवेंशन फाउंडेशन (Stroke and Neurovascular Intervention Foundation) के न्यूरोइंटरवेंशन विभाग के निदेशक, डॉक्टर विपुल
“पहले के समय में स्ट्रोक को वरिष्ठ आबादी की बीमारी समझा जाता था लेकिन यह मिथ धीरे-धीरे टूटता जा रहा है। आज स्ट्रोक के मरीज़ों में 40 साल से कम उम्र के मरीज ज्यादा देखने को मिलते हैं। हेल्दी लाइफस्टाइल और खान-पान की सही आदतों के साथ स्ट्रोक पर आसानी से काबू पाया जा सकता है। युवाओं को एक हेल्दी डाइट के साथ नियमित एक्सरसाइज पर ध्यान देना चाहिए। इसके अलावा उन्हें धूम्रपान बंद कर देना चाहिए और शराब का कम से कम सेवन करना चाहिए।”
“स्ट्रोक के लक्षणों और शुरुआती निदान की महत्ता के बारे में जागरूकता को अधिक से अधिक महत्व देना चाहिए। स्ट्रोक के इलाज के लिए पहले 6 से 24 घंटों का समय जरूरी होता है। 24 घंटों के अंदर इलाज करने से समस्या से निजात पाया जा सकता है। पिछले 5 सालों में, स्ट्रोक के इलाज में एक बड़ा बदलाव आया है। एडवांस ट्रीटमेंट के साथ, आज के आधुनिक उपकरण न सिर्फ क्लॉट को निकालने में सक्षम हैं बल्कि स्ट्रोक का सफल इलाज करने में भी सक्षम हैं। यही वजह है कि लोगों को इलाज में आई प्रगति के बारे में जागरूक करना आवश्यक है। इलाज में देरी करने से एक-तिहाई मरीज हमेशा के लिए पैरालाइज्ड हो सकते हैं और 25 फीसदी मरीजों की एक साल के अंतराल में मृत्यु हो सकती है।”