मधुमक्खियाँ उड़ते हुए आकर किसी चीज पर बड़े आराम से बैठ सकती हैं और किसी भी तरह। मधुमक्खियाँ यह कैसे कर पाती हैं? मधुमक्खियों का किसी चीज पर आराम से बैठने के लिए जरूरी है कि वे उस चीज तक पहुँचने से पहले अपनी रफ्तार करीब-करीब शून्य करें। आम तौर पर ऐसा करने के लिए किसी को भी दो बातें ध्यान में रखनी होती हैं, एक तो उड़ने की रफ्तार और दूसरा, उस चीज़ की दूरी जिस पर उतरना है। लेकिन मधुमक्खियाँ या ज़्यादातर कीट-पतंगे आँखों से सीधे-सीधे दूरी का अंदाज़ा नहीं लगा सकते, क्योंकि उनकी आँखें बहुत पास-पास होती हैं और उनका फोकस बदल नहीं सकता।
मधुमक्खियों की आँखें (bees eyes) इंसानों जैसी नहीं होतीं। इंसान अपनी दोनों आँखें किसी एक चीज पर केंद्रित (फोकस) करके दूरी का अंदाज़ा लगा लेते हैं, जबकि मधुमक्खियाँ ऐसा नहीं कर सकतीं। लेकिन वे शायद इस बात का ध्यान रखती हैं कि पास जाने पर दूर की चीज और बड़ी नजर आती है। जितनी तेज़ी से मधुमक्खियाँ किसी चीज के पास जाती हैं, उतनी ही जल्दी वह चीज़ उन्हें बड़ी नज़र आने लगती है। इसी को ध्यान में रखते हुए मधुमक्खियाँ उड़ने की रफ्तार (bees fly speed) धीरे-धीरे कम करने लगती हैं, ताकि जिस चीज़ पर उन्हें बैठना है, वह धीरे-धीरे बड़ी नज़र आए। जब तक वे उस चीज के पास पहुँचती हैं, उनकी रफ्तार
प्रोसीडिंग्स ऑफ द नैशनल अकैडमी ऑफ साइंसेस पत्रिका (proceedings of the national academy of sciences journal- PNAS) बताती है कि जिस तरह मधुमक्खियाँ आकर किसी चीज पर आराम से बैठती हैं, उसकी नकल करके वैज्ञानिक उड़ने वाले रोबोट को ज़मीन पर आराम से उतारने के लिए प्रोग्राम कर सकते हैं।
आपको क्या लगता है? मधुमक्खियाँ जिस तरह उड़ते हुए आकर किसी चीज पर आराम से बैठती हैं, उनकी इस काबिलियत का खुद-ब-खुद विकास हो गया या उन्हें इस तरह रचा गया था?
(मूलतः देशबन्धु में प्रकाशित लेख का संपादित रूप साभार)