निश्चित रूप से कुणाल कामरा कई बार ज्यादा बोल जाते हैं पर क्या सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार के दबाव में काम नहीं कर रहा है ? क्या सुप्रीम कोर्ट के जो फैसले आ रहे हैं उनमें कई महत्वपूर्ण फैसले विवादित नहीं रहे हैं? अर्णब गोस्वामी मसले में महाराष्ट्र सरकार ने यदि इस बार गलत किया है तो देवेंद्र फडणवीस के कार्यकाल में पुलिस ने सही किया था ? अक्सर देखने में आता है कि सरकारों के दबाव में चहेतों लोगों को बचाया जाता है। यही वजह है कि विभिन्न सरकारों के करीबी लोग अपराध करने में नहीं हिचकिचाहते हैं। ऐसे मामलों में अक्सर कोर्ट भी सरकारों के दबाव में आ जाता है।
यदि सुप्रीम कोर्ट अवमानना मामलों में इतना गंभीर है तो फिर मजीठिया वेज बोर्ड मामले में उसे अखबार मालिकों की अवमानना नजर क्यों नहीं आई ? क्यों अवमानना मामले में अखबार मालिकों को राहत दे दी गई ? क्यों अखबार मालिकों को राहत देने वाले, राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद में मंदिर निर्माण का आदेश देने वाले जस्टिस रंजन गोगोई को राज्यसभा में भेज दिया गया ? क्यों अर्णब गोस्वामी को जमानत
कौन नहीं जानता अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल किसके लिए काम कर रहे हैं ? जब कुणाल गोस्वामी के पक्ष में पूरी भाजपा खड़ी हो गई तो वेणुगोपाल और सुप्रीम कोर्ट के इस रुख पर कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
कामरा ने सीधी सादी बात में यही तो कहा है कि सुप्रीम कोर्ट गरीबों की उपेक्षा कर अमीरों के लिए काम कर रहा है। क्या सुप्रीम किसी गरीब के साथ न्याय कर पा रहा है ? क्या अमीर सुप्रीम कोर्ट का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं ?
स्टेंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा (Standup comedian Kunal Kamra) को टीवी एंकर अर्नब गोस्वामी को अंतरिम जमानत देने के लिए सुप्रीम कोर्ट की आलोचना वाले ट्वीट (Tweets criticizing Supreme Court for granting interim bail to TV anchor Arnab Goswami) के लिए आपराधिक अवमानना के आरोपों का सामना करना होगा। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट के जज के खिलाफ कथित अपमानजनक ट्वीट के लिए कामरा के खिलाफ आपराधिक अवमानना का केस चलाने की सहमति दी है।
उन्होंने कहा कि कॉमेडियन के ट्वीट न केवल 'खराब टेस्ट' के थे बल्कि यह साफ तौर पर हास्य और अवमानना के बीच की लाइन को पार कर गए थे।
दरअसल कॉमेडियन कामरा ने अर्णब गोस्वामी को अंतरिम जमानत मिलने के बाद अपने ट्वीट में कहा है कि जिस गति से सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों को ऑपरेट करती है, उसको देखकर लगता है महात्मा गांधी के फोटो को हरीश साल्वे के फोटो से बदलने का वक्त आ गया है।
एक अन्य ट्वीट में कुणाल ने लिखा, डीवाई चंद्रचूड़ एक फ्लाइट अटेंडेंट हैं, जो प्रथम श्रेणी के यात्रियों को शैम्पेन ऑफर कर रहे हैं क्योंकि वो फास्ट ट्रैक्ड हैं। जबकि सामान्य लोगों को यह भी नहीं पता कि वो कभी फ्लाइट चढ़ या बैठ भी सकेंगे, सर्व करने की तो बात ही नहीं है।
चरण सिंह राजपूत