रायपुर, 26 सितंबर 2020. आज कांकेर में देश के जाने-माने पत्रकार कमल शुक्ला पर हुआ हमला स्तब्ध और बहुत विचलित करने वाली खबर है। यह इस बात का प्रमाण है कि छत्तीसगढ़ में आज भी राज काज भ्रष्ट नौकरशाह, अपराधी नेता और गुंडों के हाथ में है तथा इस बात का सबूत भी कि मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस माफिया गिरोह को नाथने में या तो पूरी तरह असफल हुए हैं या फिर उन्होंने उनके साथ सहअस्तित्व कायम कर लिया है।"
बादल सरोज के अनुसार पिछले 15 दिनों से पूरी दुनिया जानती थी कि कैबिनेट का दर्जा पाए, मुख्यमंत्री के करीबी माने जाने वाले एक अपराधी के संरक्षण में चलने वाले कुछ गुंडे और लॉकडाउन में भ्रष्टाचार करने तथा राहत सामग्री में घोटाला करने वाले कांकेर कलेक्टर द्वारा कमल शुक्ला को धमकी दी जा रही है। इस धमकी के प्रमाण तक मौजूद थे, लेकिन इसके बावजूद उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई न होना और खुद कमल शुक्ला को कांकेर के पुलिस थाने में पुलिस की मौजूदगी में कनपटी पर पिस्तौल रखकर मारते हुए खींचकर थाने के बाहर लाना और गले में पेचकस भोंककर कर जान लेने की कोशिश
उल्लेखनीय है कि कमल शुक्ला देश के जाने-माने, जुझारू और ईमानदार पत्रकार है। भूमकाल समाचार के सम्पादक कमल शुक्ला को इसी वर्ष प्रतिष्ठित लोकजतन सम्मान से भी जुलाई में सम्मानित किया गया था। वे बस्तर के आदिवासियों को हर तरह की हिंसा से बचाने, फर्जी मुठभेड़ों के विरुध्द लड़ने वाले तथा सलवा जुडूम से लेकर आज तक उनके अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले निर्भीक पत्रकार हैं। मौजूदा स्थिति नेता-नौकरशाह-गुंडा गिरोह द्वारा लॉकडाउन की राहत सामग्री में हुए घोटाले और भ्रष्ट कलेक्टर की पत्रकारों के खिलाफ बदजुबानी से शुरू हुयी थी, जो रेत माफिया और जंगल को लूटने वाले नेता, नौकरशाह और गुंडों के गिरोह को बेनकाब करने वाले सम्मानित पत्रकार कमल शुक्ला पर हमले तक पहुँची है।
उन्होंने इस मामले में माकपा राज्य सचिव संजय पराते द्वारा उठायी गयी सभी मांगों का भी समर्थन किया है।