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नई दिल्ली, 17 जून 2020. सर्वोच्च न्यायालय के अवकाशप्राप्त न्यायाधीश जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने कहा है कि चीन ने अब सारी सीमाएं पार कर दी हैं और भारत सरकार को चाहिए कि वह चीनी कंपनियों को भारत से निकालकर बाहर करे।

गलवान घाटी में 20 भारतीय सैनिकों के शहीद होने की घटना पर हस्तक्षेप डॉट कॉम के संपादक अमलेन्दु उपाध्याय के साथ एक बातचीत में जस्टिस काटजू ने कहा कि हमें समझना होगा कि चीन अब समाजवादी देश नहीं रह गया है और वह अब एक पूँजीवादी देश है और अपनी सरप्लस पूँजी को खपाने के लिए वह आक्रामक विस्तारवादी साम्राज्यवाद के रास्ते पर चल पड़ा है और पूरी दुनिया के लिए बड़ा खतरा है।

उन्होंने कहा कि हमें राजनीति समझने के लिए पहले अर्थशास्त्र समझना होगा, तभी हम भारत-चीन संबंधों को समझ सकते हैं।

यह पूछे जाने पर कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शीजिनपिंग के मधुर संबंधों से इस विवाद का हल निकल सकता है और दो राष्ट्राध्यक्षों की आपसी मित्रता दो देशों की विदेशनीति और कूटनीति पर भारी पड़ सकती है, जस्टिस काटजू ने कहा कि यह मसला डिप्लोमैसी से हल होने वाला नहीं है। तुष्टिकरण से काम नहीं चलेगा। एक स्टेज के बाद पूंजीवादी देश साम्राज्यवादी हो जाता है, इसलिए चीन को विस्तारवाद से हटाने की शक्ति अब चीन के नेताओं में भी नहीं है।

आप इस जस्टिस मार्कंडेय काटजू के साक्षात्कार को हिंदी में हस्तक्षेप के यूट्यूब चैनल पर सुन सकते हैं -