Hastakshep.com-देश-China in Pakistan and Sri Lanka-china-in-pakistan-and-sri-lanka-China-Pakistan Economic Corridor-china-pakistan-economic-corridor-China's Economic Expansionism-chinas-economic-expansionism-चीन का आर्थिक विस्तारवाद-ciin-kaa-aarthik-vistaarvaad-चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा-ciin-paakistaan-aarthik-gliyaaraa-पाकिस्तान और श्रीलंका में चीन-paakistaan-aur-shriilnkaa-men-ciin

नई दिल्ली, 11 अक्तूबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच दूसरे अनौपचारिक भारत-चीन शिखर सम्मेलन से पहले सर्वोच्च न्यायालय के अवकाशप्राप्त न्यायाधीश जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने चीन के ‘मौत के चुंबन’ (‘ kiss of death ‘) से सतर्क रहने की सलाह दी है।

एक अंग्रेजी वेबसाइट पर लिखे अपने लेख में जस्टिस काटजू ने कहा है कि यदि कोई चीनी नेता आपसे संपर्क करता है, तो आपको यह समझ लेना चाहिए कि वह कुछ बुरे मंसूबे के साथ आया है। भारत के प्रधानमंत्री मोदी 11 अक्टूबर को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भारत के चेन्नई में मिल रहे हैं और मैं भारतीय नेता को सतर्क रहने की सलाह दूंगा। मैं यह क्यों कह रहा हूं ?

उन्होंने कहा कि किसी को भी आज दुनिया में राजनीतिक स्थिति को समझने के लिए अर्थशास्त्र का थोड़ा ज्ञान होना चाहिए, जैसा कि लेनिन ने कहा है, राजनीति केंद्रीभूत अर्थशास्त्र है (politics is concentrated economics)।

श्री काटजू ने कहा कि आज चीन के पास 3.2 ट्रिलियन डॉलर से अधिक का विदेशी मुद्रा भंडार है। यह चलायमान मुद्रा (hot money) का एक बड़ा भंडार है, जो निवेश के रास्ते की तलाश में है। सच्चाई यह है कि 1976 में माओत्से तुंग की मृत्यु और डेंग शियाओबिंग की सर्वोच्च सत्ता तक पहुंच के बाद, चीन साम्यवादी देश नहीं रहा, यह पूंजीवादी है। और यह पूंजी की प्रकृति होती है कि विकास के एक निश्चित चरण के बाद एक देश साम्राज्यवादी हो जाता है, यानी, यह विदेशी निवेश, बाजार, कच्चे माल और सस्ते श्रम के लिए रास्ते तलाशता है। इसी लिए यह आक्रामक और विस्तारवादी बन गया जैसे 19 वीं शताब्दी में ब्रिटेन और फ्रांस बने थे।

उन्होंने लिखा कि आज, विश्व शांति के लिए चीनी सबसे बड़ा खतरा हैं, न कि अमेरिका या अन्य कोई देश। इसका कारण यह है कि लाभदायक निवेश, बाजार, कच्चे

माल आदि के लिए लक्ष्य का पीछा करते हुए वे तेजी से आक्रामक और विस्तारवादी बन गए हैं (हालांकि उनका विस्तार अभी तक उग्रवादी नहीं बल्कि आर्थिक है)।

पाकिस्तान और श्रीलंका में चीन के आर्थिक विस्तारवाद (China's economic expansionism in Pakistan and Sri Lanka) का उदाहरण देते हुए जस्टिस काटजू ने कहा कि चीन ने पाकिस्तान को यह 'मौत का चुम्बन' चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे और पाकिस्तान में बहुत बड़ा चीनी निवेश करके दिया है। यह और कुछ नहीं बल्कि शुगर कोटेड जहर की गोली है। न्यूयॉर्क की लांग आईलैंड विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर Panos Mourdoukoutas (Panos Mourdoukoutas, Professor of Economics in Long Island University, New York) ने भी अपने लेख 'चीन पाकिस्तान को क्या कर रहा है? (‘What is China doing to Pakistan ?) में इस बात का संकेत दिया है। यही काम चीन ने श्रीलंका में किया। दूसरे शब्दों में पाकिस्तान जल्द ही कर्ज से त्रस्त हो जाएगा और वह चीन का कर्ज चुकाते हुए चीनी अर्ध उपनिवेश बन जाएगा।

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