नई दिल्ली। मधुमेह 0-14 वर्ष के बच्चों में भी हो जाती है जब उनका शरीर किसी भी कारण से आवश्यकतानुसार इन्सुलिन नहीं बना पाता। जो शक्कर उनके शरीर को ऊर्जा प्रदान करने का काम करती, वही शक्कर उनके रक्त में जाकर एक भयंकर बीमारी का रूप ले लेती है, जिसका इलाज जल्द से जल्द होना चाहिए।
न्यूट्री एक्टीवीनिया की संस्थापक अवनी कौल ने कहा कि यह बीमारी बच्चों में क्यों होती है इसका कारण अभी पता नहीं चला है, हालांकि बीमारी से लड़ने की क्षमता जब कम हो जाती है को कई बीमारियां हमला करती हैं। ऐसे ही शरीर में मधुमेह जैसी बीमारियों का वास होता है। यदि परिवार के बड़े लोग मधुमेह से ग्रसित होते हैं, तब भी बच्चों को यह बीमारी हो सकती है क्योकि यह वंशानुगत भी होती है।
अवनी कौल ने कहा कि जब बच्चों को जरूरत से ज्यादा भूख अथवा प्यास लगे, धुंधला दिखने लगे, वजन बिना कारण कम होने लगे अथवा थकान अधिक लगने लगे, उस समय सर्तक हा जाना चाहिए। उनकी तुरन्त जांच करवानी चाहिए ताकि अगर वे मधुमेह से ग्रसित हों तो जल्दी ही उनका इलाज शुरू किया जा सके।
अवनी ने कहा कि बीमार व्यक्ति चाहे बच्चा हो अथवा बड़ा, उसके लिए रक्त में शक्कर की मात्रा पर नियंत्रण रखना अनिवार्य है। यह वह पौष्टिक आहार खाकर एवं नियमित रूप से व्यायाम करके नियन्त्रित कर सकता है। कभी कभी इन्सुलिन की आवश्यकता भी पड़ सकती है। रक्त में शक्कर की मात्रा पर नजर
इन्सुलिन की कमी से सांस तेज चलने लगती है, त्वचा एवं मुंह सूखने लगता है, सांस से बदबू आने लगती है, उल्टी आने का अंदेशा रहता है एवं पेट में दर्द हो सकता है। यह स्थिति जानलेवा भी हो सकती है।
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