आरएसएस की राजनीति (Rss politics) को धूल चटा कर भारत अपनी प्राचीनतम वैविध्यपूर्ण समृद्ध अस्मिता में समय के साथ आई अनेक दुर्बलताओं से मुक्त होकर वर्तमान के मैले हो चुके खोल को पूरी तरह से पलट देगा और परिवर्तन के एक नये बिंदु से अपनी तात्विक नूतनता को फिर से अर्जित करके स्वयं को तरोताजा, नवीनतर करेगा। इसी अर्थ में भारत की वर्तमान राजनीति का यह एक युगांतकारी क्षण है।
अभिनवगुप्त ने इसे ही अपने शैवमत का प्रत्यभिज्ञा दर्शन कहा है। यह मानव प्रगति का अनोखा सूत्र है। हेगेल की शब्दावली में पूर्ण प्रत्यावर्त्तन, Total Recoil।
कैराना में चार साल पहले के सांप्रदायिक विभाजन की इस बार की पराजय में हमें भारत की इसी प्राचीन नवीनता की जीत दिखाई देती है जिसे आज के समय के कम्युनिस्ट दार्शनिक एलेन बाद्यू एक प्रकार की संरक्षणवादी नवीनता, conservative novelty कहते हैं। जो प्राचीन है, वह भी हमेशा वर्तमान की, एक प्रकार की नवीनता के तर्कों की भी भूमिका निभाता है। वह कभी प्रगतिशील रूपांतरण में बाधा बनता है, तो अक्सर प्रतिक्रियावादी तानाशाही का भी प्रतिरोध तैयार करता है।
इसीलिये हम बार-बार कहते हैं कि आरएसएस ने हिटलरी रास्ते पर चल कर, फासीवादी राष्ट्रवाद के नाम
भारत के अपने मु्क्त मन को अपनी इस दौरान पैदा हुई दुर्बलताओं से मु्क्त होना है और अपने आजाद शैशव की ताजगी को अर्जित करके आगे बढ़ना है, आरएसएस के पास उसका कोई रास्ता नहीं है। बनिस्बत्, वह भारतीय इतिहास के विकास पथ की कमजोरियों के पाश से उसे जकड़े रखने के लिये, हिंदू पादशाही के तानाशाही शासन को कायम करने के लिये काम कर रहा है। वह भारत की मुक्ति और नवीनता की दिशा के रास्ते की आज सबसे बड़ी बाधा है जिसे आधुनिक राजनीति की परिभाषाओं के अनुसार फासीवाद कहा जाता है।