आईपीसी की धारा 302 कई मायनों में काफी महत्वपूर्ण है। कत्ल के आरोपियों पर धारा 302 लगाई जाती है। अगर किसी पर कत्ल का दोष साबित हो जाता है, तो उसे उम्रकैद या फांसी की सजा और जुर्माना हो सकता है। कत्ल के मामलों में खासतौर पर कत्ल के इरादे और उसके मकसद पर ध्यान दिया जाता है। इसमें, पुलिस को सबूतों के साथ ये साबित करना होता है कि कत्ल आरोपी ने किया है, उसके पास कत्ल का मकसद भी था और वो कत्ल करने का इरादा रखता था।
किन पर लगाई जाती है आईपीसी की धारा 304 (ए)
आईपीसी की धारा 304 (ए) उन लोगों पर लगाई जाती है,जिनकी लापरवाही की वजह से किसी की जान जाती है। इसके तहत दो साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों होते हैं। सड़क दुर्घटना के मामलों में किसी की मौत हो जाने पर अक्सर इस धारा का इस्तेमाल होता है।
आईपीसी में साल 1986 में एक नई धारा 304 बी को शामिल किया गया है। आईपीसी की यह नई धारा खासतौर पर दहेज हत्या या दहेज की वजह से होनी वाली मौतों के
धारा 304बी में दोषियों को कम से कम 7 साल की कैद होती है। इसमें अधिकतम सजा उम्रकैद है।
( नोट - यह समाचार किसी भी हालत में कानूनी परामर्श नहीं है। यह सिर्फ जनहित में एक जानकारी मात्र है। कोई निर्णय लेने से पहले अपने विवेक का प्रयोग करें।)
स्रोत- देशबन्धु