यह तो सर्वविदित है कि शारीरिक व्यायाम और खेलकूद हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक हैं, परन्तु क्या खेल-खेल में युवाओं की यौन और प्रजनन स्वास्थ्य-सम्बन्धी समस्याओं (Sexual and reproductive health problems of youth), तथा लिंग-आधारित हिंसा (gender based violence) जैसी सामाजिक बुराइयों को भी दूर किया जा सकता है? यह कुछ अविश्वसनीय सा लगता है।
परन्तु ग्रासरूट सॉकर (Grassroot Soccer) नामक एक किशोर स्वास्थ्य संगठन ने इसे वास्तव में सच करके दिखा दिया है. इस संस्था ने फुटबॉल खेल (जो अनेक देशों में बहुत लोकप्रिय है और सॉकर नाम से भी जाना जाता है) के माध्यम से युवाओं को अपने जीवन में स्वास्थ्य के साथ-साथ सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए भी सफलतापूर्वक प्रेरित किया है।
इस संगठन की स्थापना मूलरूप से जिम्बाब्वे देश में २००२ में की गई थी और इसका उद्देश्य था पेशेवर फुटबॉल खिलाड़िय़ों की मदद से युवाओं में एचआईवी / एड्स की रोकथाम और नियंत्रण पर जागरूकता फैलाना। परन्तु बाद में यौन और प्रजनन स्वास्थ्य और किशोरों के लिए लिंग सशक्तीकरण कार्यक्रमों को भी शामिल करके इसके आधार को और व्यापक बनाया गया. अभी तक ६२ देशों के २७ लाख किशोर/ किशोरी इसके कार्यक्रमों से लाभान्वित हो चुके हैं।
फुटबॉल खेल के माध्यम से १३ से १९ वर्षीय युवा वर्ग को अपने जीवन-सम्बन्धी स्वस्थ निर्णय में सक्षम करने का यह एक अनुकरणीय प्रयास है। संस्था के १९-३५ वर्षीय उत्साही रोल मॉडल कोच, एक किशोर-अनुकूल और साक्ष्य आधारित स्वास्थ्य पाठ्यक्रम के माध्यम से फुटबॉल खेल आधारित एक मनोरंजक, समावेशी और सकारात्मक माहौल बनाते हैं ताकि लिंग-आधारित हिंसा और यौन स्वास्थ्य जैसे संवेदनशील विषयों पर चर्चा करते समय किशोर/ किशोरियां स्वयं को सहज और सुरक्षित महसूस कर सकें।
यह पाया गया है कि इन कार्यक्रमों के
१०वीं एशिया पैसिफिक कांफ्रेंस ऑन रिप्रोडक्टिव एंड सेक्सुअल हेल्थ एंड राइट्स) के चौथे वर्चुअल सत्र में ग्रासरूट सॉकर की साझेदारी समन्वयक निकोल बैनिस्टर ने एक ऐसी खेल-आधारित रोचक पद्धति के बारे में जानकारी दी जिसे पैसिफ़िक द्वीप देश पापुआ न्यू गिनी में अपनाया गया और जिसके बहुत ही उत्साहवर्धक परिणाम देखने को मिले।
पापुआ न्यू गिनी में ग्रासरूट सॉकर ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर १३ से १९ वर्षीय किशोर-किशोरियों के लिए एक मनोरंजक रिलेशनशिप स्किलज़ कार्यक्रम बनाया है जिसका पाठ्यक्रम साक्ष्य-आधारित है, पापुआ न्यू गिनी के स्थानीय संदर्भ में है, और युवा वर्ग द्वारा मान्य और अनुमोदित है। इसमें खेल आधारित प्रजनन स्वास्थ्य, लैंगिक असमानता और लैंगिक और यौनिक हिंसा के आठ सत्र (प्रत्येक की अवधि १ घंटा) शामिल हैं और इसका उद्देश्य है कि हर प्रकार की लैंगिक और यौनिक हिंसा ख़त्म हो तथा स्वस्थ यौन व्यवहार के पालन को बढ़ावा मिले।
पाठ्यक्रम के मुख्य विषय हैं अधिकार और कर्तव्य, संपर्क और संबंध, लैंगिक और यौनिक हिंसा के रूप और उनकी रोकथाम, तथा यौनिक और प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकार की जानकारी जिनमें मासिक धर्म, गर्भ निरोधक, एचआईवी और यौन संचारित रोगों की रोकथाम शामिल हैं. इन सभी मुद्दों की जानकारी देने के लिए शिक्षक नाटकों, और विभिन्न खेल गतिविधियों का उपयोग करते हुए एक ऐसे सुरक्षित वातावरण की संरचना करते हैं ताकि लड़कों और लड़कियों को अपने जीवन और स्वास्थ्य से जुड़े हुए संवेदनशील मुद्दों के बारे में बेझिझक खुल कर बात करने का मौका मिल सके।
इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत ग्रासरूट सॉकर ने पोर्ट मोरेस्बी शहर और मेंडी ग्राम में जनवरी २०१९ से सितंबर २०१९ के दौरान १३ से १९ आयु वर्ग के ६२८ प्रतिभागियों (३१७ लड़कियो और ३११ लड़के) के बीच किए गए मध्यवर्तनों से सम्बंधित आंकड़ों का विश्लेषण किया. इसमें शामिल थे प्रत्येक सत्र में प्रशिक्षकों द्वारा भरे गए उपस्थिति रजिस्टर तथा प्रतिभागियों द्वारा परिक्षण क़े पहले और बाद में पूरी करी गयी १३ आइटम की प्रश्नावली, जिसके द्वारा उनके यौन और प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकार सम्बन्धी ज्ञान, लैंगिक समानता की प्रवृत्ति, आत्म-प्रभावकारिता, तथा महिलाओं व लड़कियों के साथ हिंसा के औचित्य का आँकलन किया गया।
मध्यवर्तन के पश्चात् प्रतिभागियों में निम्नलिखित से सम्बंधित ज्ञान में अभूतपूर्व प्रगति देखी गयी: दुर्व्यवहार की रिपोर्ट कहां की जानी चाहिए; अनचाहे स्पर्श की सूचना देना; एकदूसरे के साथ सम्मानजनक व्यवहार करना; यौनिक संबंध के लिए ना कहने की आत्मनिर्भरता तथा एचआईवी सम्बन्धी जोखिम की जानकारी।
४१ प्रतिशत से अधिक प्रतिभागियों ने विपरीत लिंग के साथ प्रभावी ढंग से वार्तालाप करने के लिए अपने आत्मविश्वास में तथा हिंसा की धमकी देने के औचित्त्य में सकारात्मक परिवर्तन पाया। निकोल ने सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस) की माया जोशी को बताया कि इसके अलावा ४० प्रतिशत भाग लेने वालों के इस ज्ञान में सकारात्मक परिवर्तन दिखा कि यदि उनके किसी परिचित के साथ दुर्व्यवहार किया गया है तो उसकी रिपोर्ट कहाँ करें। इसके अलावा ४२ प्रतिशत प्रतिभागियों ने स्वीकार किया कि अपने साथी के साथ हिंसा करने का कभी भी कोई औचित्य नहीं है।
परन्तु 'कभी-कभी किसी पुरुष का अपनी पत्नी अथवा गर्ल फ्रेंड को पीटना जायज़ है' के मुद्दे पर काफी नकारात्मक परिवर्तन पाया गया; और इस मुद्दे पर भी बहुत ही मामूली सकारात्मक परिवर्तन देखा गया कि 'यदि मेरा पार्टनर मुझे नाराज़ करे तो उसके साथ हिंसात्मक व्यवहार करना उचित है।'
71% of men admit that they have raped
ये कुछ नकारात्मक नतीजे कदापि इस बात की पुष्टि करते हैं कि पापुआ न्यू गिनी में लिंग जनित हिंसा की दर (Papua New Guinea Gender Violence Rate) बहुत अधिक है और वहां यह सामाजिक रूप से स्वीकार्य भी है. इस देश की ६६ प्रतिशत महिलाओं ने शारीरिक या यौनिक हिंसा झेली है और ३३ प्रतिशत महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार हुई हैं. और तो और ४१% पुरुष यह स्वीकार करते हैं कि उन्होंने बलात्कार किया है.
निकोल का मानना है कि कदाचित ग्रासरूट सॉकर के कार्यक्रम ने पहली बार युवाओं को इन सामाजिक कुरीतियों पर सोचने और विचार विमर्श करने के लिए प्रेरित किया है और अब इसके उत्साहवर्धक परिणाम सामने आये हैं. परन्तु उनकी सोच में और परिवर्तन लाने की आवश्यकता है ताकि वे इस बुराई को जड़ से ख़त्म करने की ओर अग्रसर हों.
कुल मिलाकर इस प्रोग्राम के चलते प्रतिभागियों की सोच में आशातीत बदलाव आया है। परीक्षकों का मत है कि इस कार्यक्रम ने इस बात पर सार्थक प्रभाव डाला कि युवा वर्ग अपने से विपरीत लिंग के सदस्यों के साथ किस प्रकार का व्यवहार करें जो पूर्ण रूप से उचित और सम्मानजनक हो।
एक प्रतिभागी ने आभार प्रकट करते हुए कहा, "ग्रासरूट सॉकर को इस बात के लिए बहुत बहुत धन्यवाद कि वे हमारे स्कूल में आये और हमें उन महत्वपूर्ण मूल्यों के बारे में जानकारी दी जो हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित करते हैं, और किस प्रकार हम सामाजिक और सांस्कृतिक रूढ़ियों को तोड़ कर महिलाओं के साथ सम्मानजनक व्यवहार करते हुए अपनी ज़िम्मेदारियों को उनके साथ साझा कर सकते हैं"।
Grassroot soccer mission
निकोल के शब्दों में, "हमारी अनेक गतिविधियाँ फुटबॉल के मैदान में होती हैं, ताकि लड़कों और लड़कियों दोनों की खेलों तक समान पहुँच हो सके, विशेषकर फुटबॉल जैसे खेल तक, जिसे हमेशा से 'लड़कों का खेल' माना जाता रहा है. हम चाहते हैं कि लड़कियों को भी समान अधिकार प्राप्त हों - और न केवल खेल के मैदान में उनकी क्षमता बढ़े वरन उनके निजी स्वास्थ्य-अधिकार सम्बन्धी ज्ञान की समझ भी बढ़े"।
मूल ग्रासरूट सॉकर मॉडल को अन्य देशों के युवा संगठन द्वारा भी दोहराया जा सकता है। वे किसी भी देश विशेष के राष्ट्रीय या लोकप्रिय खेल के माध्यम से युवाओं के स्वास्थ्य सम्बन्धी अधिकारों और स्त्री-पुरुष समानता को बढ़ावा दे सकते हैं.
खेल मौज मस्ती का द्योतक हैं तथा उनकी शक्ति का उपयोग सीखने का एक ऐसा माहौल बनाने के लिए किया जा सकता है जो उपदेशात्मक न होते हुए भी युवाओं को अपने जीवन और स्वास्थ्य पर नियंत्रण पाने के लिए प्रोत्साहित, शिक्षित और प्रेरित करने में सक्षम हो - खेल के मैदान में और उसके बाहर भी - ताकि वे समाज में यथोचित सकारात्मक परिवर्तन ला सकें और एक स्वस्थ तथा सम्मानजनक जीने के लिए सक्षम बन सकें.
माया जोशी - सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस)
(भारत संचार निगम लिमिटेड - बीएसएनएल - से सेवानिवृत्त माया जोशी जी अब सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस) के लिए स्वास्थ्य और विकास सम्बंधित मुद्दों पर निरंतर लिख रही हैं)
Note - Grassroot Soccer is an adolescent health organization that leverages the power of soccer to educate, inspire, and mobilize at-risk youth in developing countries to overcome their greatest health challenges, live healthier, more productive lives, and be agents for change in their communities.