बंदी प्रत्यक्षीकरण को इंग्लैंड में हैबियस कार्पस (habeas corpus) कहा जाता है जिसका शाब्दिक अर्थ है शरीर लेकर आओ। हिंदी नाम का भी यही अर्थ है कि बंदी को न्यायालय के सामने पेश किया जाए। इस रिट के द्वारा न्यायालय ऐसे व्यक्ति को जिसे निरुद्ध किया गया है या कारावास में रखा गया है न्यायालय के समक्ष उपस्थित करा सकता है और उस व्यक्ति के निरुद्ध किये जाने के कारणों की जांच कर सकता है। यदि निरोध का कोई विधिक औचित्य नहीं है तो उसे स्वतंत्र कर दिया जाता है।
कानू सान्याल बनाम जिला मजिस्ट्रेट दार्जिलिंग 1974 (510) (Kanu Sanyal vs Dist. Magistrate, Darjeeling & ... on 5 February, 1974) के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि बंदी के शरीर को न्यायालय के समक्ष पेश करना इस रिट का सारवान लक्षण नहीं है। यह रिट निम्नलिखित परिस्थितियों में निरस्त की जाती है।
बंदी की और से उसके मित्र या सामाजिक कार्यकर्ता या किसी अपरिचित व्यक्ति द्वारा भी याचिका पेश की जा सकती है। यह रिट विधिक संरक्षक की सहायता के लिए दी जा सकती है जिससे वह किसी अन्य
यह इंग्लैंड में उपजी सबसे पुरानी रिट है जिससे प्रत्येक व्यक्ति की राज्य या किसी अन्य प्राइवेट व्यक्ति द्वारा निरुद्ध किये जाने पर रक्षा की जाती थी।
स्रोत - देशबन्धु
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Habeas corpus in Hindi is a recourse in law through which a person can report an unlawful detention or imprisonment to a court and request that the court order the custodian of the person, usually a prison official, to bring the prisoner to court, to determine whether the detention is lawful. - Wikipedia