पैसा फेंक तमाशा देख के इस युग में स्त्रियां खुद को संवारने के लिए कॉस्मेटिक सर्जरी (cosmetic surgery) से लेकर हेल्थ क्लब, ब्यूटी पार्लर और लेटेस्ट फैशन के कपड़ों से भरे शो रूमों (Health clubs, beauty parlors and show rooms full of latest fashion clothes) तक के चक्कर लगाते बोर नहीं होतीं। अपने रखरखाव के मामले में पुरुषों से 21 होती महिलाएं इस सब पर मोटी रकम खर्च करने से भी नहीं चूकतीं।
आज की सुंदर और चुस्त तनमन की महिलाएं (Beautiful and tight women) यह दावा करती हैं कि सुंदर दिखना, पति को रिझाने की मजबूरी नहीं, अपने आत्मविश्वास को बरकरार रखने की एक छोटी सी कोशिश है। बढ़ती उम्र के साथ शरीर की मरम्मत करने के लिए आप मदद ले सकती हैं कॉस्मेटोलॉजिस्ट (Cosmetologist meaning in Hindi,) की।
यदि शरीर पर अनचाहे बाल हैं तो लेजर थेरेपी से उनसे छुटकारा पाया जा सकता है। त्वचा की झुर्रियों को दूर किया जा सकता है। ब्यूटीपार्लरों में ब्यूटी ट्रीटमेंट (Beauty treatment in beauty parlors) आसान हो गया है। शरीर को कास्मेटिक या प्लास्टिक सर्जरी से परफेक्ट शेप में लाया जा सकता है। माथे की झुर्रियों व चेहरे की लकीरें 20-30 हजार रुपए में ठीक हो सकती हैं। 20 से 25 हजार रुपए में कानों की रीशेपिंग हो सकती है। 30 से 40 हजार रुपए में नितंबों व जांघों का कसाव पाया जा सकता है। 80 हजार से सवा लाख रुपए में स्तनों का ट्रांसप्लांट (Breast Transplant) हो सकता है। टेढ़े-मेढ़े दांतों (टेढ़े मेढ़े दांतों का इलाज) को 2 से 7 हजार रुपए खर्च करके (Tede mede दांत उपचार कीमत) परफेक्ट स्माइल में बदला जा सकता है।
फेस लिफ्ट में चेहरे की मांसपेशियों और स्नायुओं को कस कर उनमें रक्त प्रवाह को नियमित करके झुर्रियों को मिटाया जा सकता है।
फेस लिफ्ट दो प्रकार के होते हैं- सर्जिकल और नानसर्जिकल। महिलाओं को अकसर यह शिकायत रहती है कि उनके नितंबों पर चरबी इकट्ठी हो गई है। जब व्यायाम करने पर भी कोई फर्क नहीं पड़े तो लाइपोसक्शन के द्वारा शरीर की अतिरिक्त वसा या चरबी को शरीर से अलग कर दिया जाता है। चरबी त्वचा के बिल्कुल नीचे होती है। यह त्वचा और मांसपेशियों के बीच अपनी जगह बना लेती है।
किशोरावस्था में चरबी की कोशिकाएं अपनी अधिकतम संख्या तक पहुंच चुकी होती हैं। एक उम्र के बाद शरीर के मोटा या पतला होने पर ये कोशिकाएं सिकुड़ती व फैलती हैं। कुछ भागों में कोशिकाओं की इलास्टीसिटी इतनी ज्यादा होती है कि पतले होने पर भी कोशिकाएं सिकुड़ती नहीं हैं और यही कारण है कि अत्यधिक व्यायाम या फिर डाइटिंग के बाद भी पेट, स्तनों, जांघों या नितंबों पर जमी चरबी कम नहीं होती। इस चरबी को लाइपोसक्शन द्वारा शरीर से अलग किया जाता है।
जिस भी भाग की चरबी हटानी हो वहां चीरा लगा कर उसमें पतली खोखली नली डाली जाती है। नली का दूसरा सिरा वैक्यूम से जुड़ा होता है जिसके जरिए अतिरिक्त वसा को चूसने की क्रिया की जाती है।
इस क्रिया से पूर्व शरीर में एंजाइम चरबी को पिघला कर ढीला करने में मदद करते हैं और वैक्यूम के दबाव में चरबी फट कर नली द्वारा बाहर आ जाती है।
एक बार में 2 लीटर चरबी पिघला कर निकाली जा सकती है। इस क्रिया में किसी प्रकार का रक्तस्राव नहीं होता। डॉक्टरों के मुताबिक त्वचा के खिंचाव व संकुचन पर ही लाइपोसक्शन की सफलता निर्भर करती है।
प्रीटी
(स्रोत-देशबन्धु)