प्रश्न यह जानने के लिए किए जाते हैं कि सरकार द्वारा घोषित व अनुमोदित राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय नीतियों को उचित रूप से कार्यरूप दिया गया है या नहीं।
प्रश्नकाल का समय 11 बजे से 12 बजे तक का नियत किया गया है। इसमें संसद सदस्यों द्वारा लोक महत्व के किसी मामले पर जानकारी प्राप्त करने के लिए मंत्रि परिषद से प्रश्न पूछे जाते है। प्रश्नकाल के समय भारत सरकार से संबंधित मामले उठाए जाते हैं और सार्वजनिक समस्याओं को ध्यान में लाया जाता है। जिससे सरकार वास्तविक स्थिति को जानने, जनता की शिकायतें दूर करने, प्रशासनिक त्रुटियों को दूर करने के लिए कार्रवाई कर सकें। प्रश्नकाल के दौरान विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं जैसे - तारांकित प्रश्न, गैर-तारांकित प्रश्न, अल्पसूचना प्रश्न, गैर सरकारी सदस्यों से पूछे जाने वाले प्रश्न!
इन प्रशों के ऊपर तारा लगा होता है, इसलिए उन्हें तारांकित प्रश्न कहा जाता है। इन प्रश्नों के उत्तर सदन में मौखिक रूप से दिए जाते हैं, तारांकित प्रश्नों के साथ-साथ अनुपूरक प्रश्न भी पूछे जाते हैं।
इन प्रश्नों पर तारा नहीं लगा होता है। गैर-तारांकित प्रश्नों के उत्तर लिखित रूप में दिए जाते हैं। इस कारण इन प्रश्नों के अनुपूरक प्रश्न नहीं पूछे जाते हैं।
गैर-सरकारी सदस्यों से पूछे जाने वाले प्रश्न -
मंत्रिपरिषद के सदस्यों के अतिरिक्त अन्य संसद सदस्यों को गैर-सरकारी सदस्य कहा जाता है। जब प्रश्न का विषय किसी ऐसे विधेयक का संकल्प अथवा सदन
अल्पसूचना प्रश्न-
अल्पसूचना प्रश्न वह प्रश्न है जो किसी अविलंबनीय लोक महत्व के मामले से संबंधित होता है और यह साधारण प्रश्न के लिए निर्धारित दस दिन की अवधि से कम अवधि देकर पूछा जाता है। किसी एक दिन की अवधि में ऐसा केवल एक ही प्रश्न पूछा जाता है। अल्पसूचना प्रश्न किसी गैर सरकारी सदस्य से नहीं पूछा जाता।
आधे घंटे की चर्चा-
कोई ऐसा प्रश्न जिसका उत्तर सदन में पहले दिया जा चुका हो तथा इस प्रश्न का संबंध लोक महत्व का रहा हो साथ ही तारांकित, गैर-तारांकित या अल्प सूचना प्रश्न का विषय रहा हो। इस प्रश्न पर आधे घंटे की चर्चा लोकसभा में सप्ताह में तीन दिन सोमवार, बुधवार, शुक्रवार को बैठक के अंतिम आधे घंटे में की जाती है, ऐसी चर्चा सदस्य जिस दिन उठाना चाहता है उससे तीन दिन पूर्व लिखित में सूचना देनी होती है। इस बात का फैसला अध्यक्ष या सभापति करते हैं कि क्या मामले में तथ्यात्मक स्पष्टीकरण की आवश्यकता है और क्या वह इतने लोक महत्व का है कि उसे चर्चा के लिए रखा जाए।
प्रश्नकाल के बाद का समय शून्यकाल होता है, इसका समय 12 बजे से लेकर 1 बजे तक होता है। दोपहर 12 बजे आरंभ होने के कारण इसे शून्यकाल कहा जाता है।
When did Parliament introduce zero hour?,
शून्यकाल का आरंभ 1960 व 1970 के दशकों में हुआ जब बिना पूर्व सूचना के अविलम्बनीय लोक महत्व के विषय उठाने की प्रथा विकसित हुई।
शून्यकाल के समय उठाने वाले प्रश्नों पर सदस्य तुरंत कार्रवाई चाहते हैं।
स्रोत - देशबन्धु