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Know what is nutritious food for children up to six years old

जानिए क्या हैं बच्चे को दिए जाने वाले सर्वश्रेष्ठ खाद्य पदार्थ

नई दिल्ली, 15 अप्रैल : मानव शरीर को स्वस्थ एवं क्रियाशील बने रहनेके लिए उचित पोषण की आवश्यकता होती है। पर्याप्त मात्रा में पौष्टिकआहार के अभाव में बच्चों काशारीरिक विकास प्रभावित होता है इसके साथ-साथ मानसिक एवं सामाजिक विकास भी ठीक तरह से नही हो पाता है।

बच्चों को पोषित आहार की आवश्यकता क्यों होती है

ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2020 की रिपोर्ट में भारत को107 देशों में 94 वें स्थान पर रखा है, जो स्पष्ट तौर पर दिखाता है कि भारत में खाद्य सुरक्षा की स्थिति में प्रयाप्त सुधार की आवश्यकता है। संयुक्त राष्ट्र ने अपने एक बयान में कहा कि भारत में हर साल कुपोषण के कारण मरने वाले पांच साल से कम उम्र वाले बच्चों की संख्या दस लाख से भी ज्यादा है। ऐसे में कुपोषण से बचने के लिए बच्चों को पोषित आहार की आवश्यकता होती है।

पोषित आहार की सबसे ज्यादा जरूरत शिशुओं को होती है जिसका मुख्य कारण है यह है कि यह समय उनके शारीरिक वृद्धि और उनके विकास का समय है। शिशु को पहले छह महीनों तक केवल स्तनपान कराया जाना चाहिए और प्रसव के बाद 30 मिनट के भीतर स्तनपान कराना चाहिए तथा पहले दूध (कोलोस्ट्रम) को त्यागना नहीं चाहिए, क्योंकि यह शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

स्तनपान, शिशु के लिए सुरक्षित पोषण सुनिश्चित करता है तथा यह उसके संपूर्ण विकास में भी मददगार है। शिशुओं के शारीरिक एवं मानसिकविकास के लिए स्तनपान सबसे अच्छा प्राकृतिक और पौष्टिक आहार है।

स्तनपान करने वाले शिशुओं को अतिरिक्त पानी की आवश्यकता नहीं होती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार शिशु को पहले छह महीनों के दौरान केवल स्तनपान कराया जाना चहिए और शिशुओं को दो वर्ष की आयु और उसके बाद भी अनुपूरक आहार के साथ लगातार स्तनपान कराया जाना चाहिए।

इंडिया साइंस वायर से खास बातचीत में तेलांगना स्थित राष्ट्रीय पोषण संस्थान की निदेशक डॉआर. हेमलताने बताया कि शिशु के जन्म से 30 मिनट के भीतर शिशु को स्तनपान कराना आवश्यक है वहीं इसके साथ उन्होंने बताया शिशु के जन्म के पहले छह महीनों में आहार को लेकर कई सावधानी की जरूरत है जिसमें 6 महीनों तक शहद और पानी नही देना चहिए और बोतल से दूध पिलाने से परहेज करना चहिए और 6 महीनों के बाद ही पूरक आहार देना चहिए और दो साल तक या उससे अधिक समय तक स्तनपान जारी रखना चहिए।

छह माह के पश्चात केवल मां के दूध से शिशु का पोषण पूर्ण नही होता और शेष पोषण जरूरतों को पूरा करने के लिए शिशु को अनुपूरक आहार प्रदान करना होता है। शिशु एक समय में अधिक मात्रा में भोजन नहीं कर सकता हैं, इसलिए उसे निश्चित अंतराल पर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में, दिन में तीन से चार बार आहार दिया जाना चाहिए। इसके अलावा, आहार अर्ध-ठोस और गाढ़ा होना चाहिए, जिसे शिशु आसानी से ग्रहण कर सकें। संतुलित आहार आपके बच्चे को पोषण संबंधी कमियों से बचाने की एक कुंजी है तो वहीं, अपर्याप्त या असंतुलित आहार के कारण खराब पोषण कुपोशन की स्थिति को उत्पन्न कर सकती है।

शिशु को दुधारू पशुओं से प्राप्त आहार जैसे दूध और दूध से बने पदार्थ जैसे पनीर, दही आदि प्रदान करना लाभदायक होता हैं। साथ ही इस आयु-अवधि के दौरान बच्चों को ताजे फल, फलों का रस, दाल, दाल का पानी, हरी पत्तेदार सब्जियां, दलिया आदि देने से उनकी पोषक संबंधी जरूरते पूरी होती हैं।

जब बच्चे एक साल के हो जाते हैं तो वह बाल्यावस्था में प्रवेश में करते है। यह वह अवस्था है जब बच्चे अत्यंत क्रियाशील होते हैं। इस अवस्था में बच्चें स्वयं भोजन करना सीख जाते हैं और वह अपने भोजन में स्वयं रूचि लेना भी शुरू कर देते हैं। बाल्यावस्था में शारीरिक वृद्धि के साथ-साथ मस्तिष्क का विकास और किसी भी संक्रमण से लड़ने का महत्वपूर्ण समय होता है। इसलिए यह बहुत आवश्यक हो जाता है कि बच्चों को ऊर्जा, प्रोटीन, विटामिन और खनिजों से युक्त आहार मिले।

Diet Chart For 3 Year Old Indian Child In Hindi

डॉआर. हेमलता ने बताया कि एक से तीन वर्ष के बच्चों के आहार में 75 ग्राम अनाज, 25 ग्राम फलियां, 100 ग्राम सब्जियां, 75 ग्राम फल, 400 मिली दूध, 25 ग्राम वसा आदि होना चहिए। और चार से छह वर्ष के बच्चों के लिए 120 ग्राम अनाज, 45 ग्राम फलियां, 100 ग्राम सब्जियां, 75 ग्राम फल, 400मिली दूध, 25 ग्राम वसा आदि होना चहिए।

बच्चों में सर्वोत्तम विकास और उनकी प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने के लिए उचित तरीके से बनाया गया संतुलित आहार परम आवश्यक है। इस अवधि के दौरान शरीर में हड्डियों का विकास होता है, इसलिए कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ जैसे कि दुग्ध उत्पाद (दूध, पनीर, दही) और पालक, ब्रोकली का सेवन करना बेहद जरूरी हैं, क्योंकि इन पदार्थों में कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता हैं।

बच्चों में कैलोरी की जरूरतों को कैसे पूरा करें | How to meet calorie deficit in children

बच्चों में कैलोरी की जरूरतों को पूरा करने के लिए अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट और वसा की आवश्यकता होती है। इसलिए, उनके खाद्य पदार्थों में साबुत अनाज जैसे गेहूं, ब्राउन राइस, मेवा, वनस्पति तेल शामिल करना चहिए और फल एवं सब्जियों में केला एवं आलू, शकरकंद का प्रतिदिन सेवन करना चहिए वहीं, बच्चों के शरीर में मांसपेशियों के निर्माण और विकास और एंटीबॉडी के निर्माण के लिए ‘प्रोटीन’ युक्त आहार की भी अहम भूमिका होती है। इसलिए उन्हें ऐसा आहार दें, जिसमें मांस, अंडा, मछली और दुग्ध उत्पाद शामिल हों। बच्चों के शरीर में विटामिनस के लिए उनके आहार में विभिन्न फलों और सब्जियों को शामिल किया जाना चाहिए।

डॉआर. हेमलता ने बताया कि बचपन में बेहतर पोषण अच्छे स्वास्थ्य और विकास के लिए मौलिक है। अगर बच्चों को मैक्रोन्यूट्रिएंट्स और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स सही मात्रा में नहीं मिलते हैं, तो उन्में कई प्रकार के संक्रमण होने का खतरा होता है और इससे मानसिक और शारीरिक विकास में देरी होती है, जिसका प्रतिकूल प्रभाव हो सकता है।

आजकल बच्चों का झुकाव जंक फूड की ओर अधिक हो गया है। ऐसे में बच्चों को पोषण से भरपूर खाद्य पदार्थ के लिए प्रेरित करना बेहद ज़रूरी है। अधिकांश बच्चे अनुप्रयुक्त खाने की आदत दाल लेते हैं। ये आदतें विभिन्न दीर्घकालिक स्वास्थ्य जटिलताएं उत्पन्न करती हैं, जैसे कि मोटापा, हृदय रोग, मधुमेह और ऑस्टियोपोरोसिस। ऐसें में बच्चों में शुरू से ही उपयुक्त आहार की आदत डालने और उन्हें इसके प्रति जागरूक बनाने की बात अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है।

(इंडिया साइंस वायर)