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देशबन्धु पत्र समूह के प्रधान संपादक व देश के वरिष्ठ पत्रकार ललित सुरजन नहीं रहे

Lalit Surjan will be cremated with state honours

नई दिल्ली/रायपुर 03 दिसंबर 2020। देशबन्धु पत्र समूह के प्रधान संपादक देश के वरिष्ठ पत्रकार ललित सुरजन का 74 वर्ष की उम्र में कल निधन हो गया। वे पिछले आठ माह से अस्वस्थ चल रहे थे तथा दिल्ली के एक निजी अस्पताल में उनका उपचार चल रहा था। कल रात्रि 8 बजकर 6 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली। श्री सुरजन का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। उक्ताशय के निर्देश मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रशासन को दिए हैं।

ललित सुरजन का जीवन परिचय | Biography of Lalit Surjan in Hindi,

ललित सुरजन देश के वरिष्ठ पत्रकार शिक्षाविद, लेखक, शांतिकर्मी और सामाजिक कार्यकर्ता थे। श्री सुरजन ने अप्रैल 1961 में जबलपुर से प्रशिक्षु पत्रकार के रूप में अपना पत्रकार जीवन प्रारंभ किया था। उन्होंने समाचार पत्र के संपादन, प्रबंधन तथा उत्पादन इन सभी में अनुभव हासिल किया।

1 जनवरी 1995 से वे देशबन्धु पत्र समूह के प्रधान संपादक के रूप में कार्यरत रहे हैं। उन्होंने 1966 से 1969 के बीच कालेज विद्यार्थियों के लिए स्नातक नामक साहित्यिक पत्रिका का संपादन भी किया। 1969 में रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर

के नवगठित पत्रकारिता विभाग के मानसेवी विभागाध्यक्ष का दायित्व भी 3 वर्ष तक निभाया। श्री सुरजन को 1977 में थामसन फाउण्डेशन, यूके की वरिष्ठ पत्रकार फेलोशिप के लिए चुना गया।

ललित सुरजन एक जाने-माने शिक्षा शास्त्री भी रहे। उन्होंने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रायपुर के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के चेयरमेन 2006-2011, राष्ट्रीय साक्षरता मिशन तथा सर्वशिक्षा अभियान की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य केन्द्रीय हिन्दी शिक्षण समिति के उपाध्यक्ष तथा अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के सदस्य के रूप में अपनी सेवाएं दी हैं।

ललित सुरजन पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर की कार्यपरिषद (2000-2004 एवं 2010-2017) पं. सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय, बिलासपुर की कार्यपरिषद (2012-2015), कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर की विद्यापरिषद (2011-2014) माननीय राज्यपाल द्वारा मनोनीत सदस्य रहे हैं।

श्री सुरजन अखिल भारतीय शांति एवं एकजुटता संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे। वे भारतीय सांस्कृतिक निधि (इन्टैक) की कार्यकारिणी व शासी परिषद के सदस्य व छत्तीसगढ़ राज्य के संयोजक, छत्तीसतगढ़ प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष जैसे अनेक पदों पर अपनी सेवाएं दे रहे थे।

ललित सुरजन की रचनाएं

एक लेखक के रूप में भी श्री सुरजन की पहचान राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रही है। सन् 1960 से लेखन में सक्रिय रहते हुए उनके दो कविता संकलन एवं पांच निबंध संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। उनकी रचनाओं का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद भी हुआ है। उनके दो काव्य संग्रह प्रकाशित हुए- अलाव में तपकर, तिमिर के झरने में तैरती अंधी मछलियां, और एक निबंध संग्रह समय की साखी।

यात्रा संस्मरण हैं- शरणार्थी शिविर में विवाह गीत, दक्षिण के अवकाश पर ध्रुवतारा और नील नदी की सावित्री, द बनाना पील (अंग्रेजी)। वे देशबन्धु में हर गुरुवार साप्ताहिक स्तंभ लिखते रहे हैं और देशबन्धु का चौथा खंभा होने से इंकार शृंखला अंतिम समय तक लिखते रहे। जिसकी अब आगे की कड़ी अधूरी रह गई। उन्होंने छत्तीसगढ़ में विशुद्ध साहित्यिक पत्रिका 'अक्षर पर्व' का प्रकाशन किया जिसको देश भर में प्रतिष्ठा मिली। वे देशबन्धु के साथ-साथ अक्षर पर्व के संपादक भी रहे।

ललित सुरजन ने रोटरी इंटरनेशनल के डिस्ट्रिक्ट 3260 (उड़ीसा, छत्तीसगढ़, महाकौशल) के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में भी सेवाएं दीं। रोटेरियन सुरजन को आर.आई. से बेस्ट गवर्नर का अवार्ड मिला तथा रोटरी फाउण्डेशन से उन्हें साइटेशन ऑफ मेरिट प्रदान किया गया। इसके अलावा उन्हें रोटरी सेवाओं के लिए अलग-अलग अवसरों पर सम्मानित किया गया। उन्होंने साहित्य, पत्रकारिता, विश्व शांति व सद्भाव के प्रयोजन से विश्व के अनेक देशों की यात्रा की तथा अनेक अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलनों में सक्रिय व नेतृत्वकारी भूमिक निभाई। वे सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में पहचाने जाते थे।

वे देश के प्रसिद्ध पत्रकार मायाराम सुरजन की स्मृति में स्थापित 'मायाराम सुरजन फाउंडेशन' के अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष, भारतीय सांस्कृतिक निधि (इन्टैक) छत्तीसगढ़ अध्याय के संयोजक रहे हैं।

उन्होंने गरीब छात्रों व जरूरतमदों को मदद पहुंचाने 1984 में 'देशबन्धु प्रतिभा प्रोत्साहन कोष' ट्रस्ट की स्थापना की जिससे हर साल करीब दो सौ छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान कर शिक्षण कार्य में मदद पहुंचाई जाती है। 1996 में अंग्रेजी माध्यम स्कूल मानसरोवर विद्यालय की स्थापना भी उन्होंने की। उन्होंने उभरते रचनाकारों को प्रोत्साहित करने साहित्य के अनेक शिविर लगाए तथा रचनाकारों से मार्गदर्शन करवाते रहे। रायपुर, चम्पारण, महासमुन्द, कुरूद में शिविर आयोजित किए। व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई को उन्होंने छत्तीसगढ़ भ्रमण कराकर व्यंग्य लेखन की सार्थकता पर नव रचनाकारों को परिचित कराया। उन्होंने अपने जीवन में अनेक विदेश यात्राएं भी की।

ललित सुरजन का परिवार

ललित सुरजन का जन्म 22 जुलाई 1946 को महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के के उंद्री में हुआ था। 1966 में उन्होंने हिन्दी में एमए किया तथा 1977 में यूके में उच्चतर अध्ययन किया। उनकी चार पुत्रियां नवनीता, तरूशिखा व सर्वमित्रा तथा एक दत्तक पुत्री गुंजन हैं। जीवन संगिनी श्रीमती माया सुरजन हैं। उनके निधन के समाचार के बाद देशबन्धु, हाईवे चैनल परिवार के साथ पत्रकार व साहित्यिक बिरादरी गहन शोक में डूब गई है। छत्तीसगढ़ प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रगतिशील लेखक संघ, इप्टा के सदस्यों तथा राजनीतिक क्षेत्रों से जुड़े हुए राजनेताओं द्वारा श्रद्धांजलि देने का तांता लगा हुआ है।

हस्तक्षेप परिवार की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि

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