भोपाल, 08 मार्च 2021। डॉ. अजय खरे एक जाने माने राष्ट्रीय स्तर के जन स्वास्थ्य के प्रति समर्पित, कर्मठ योद्धा थे, जिन्होंने जन स्वास्थ्य अभियान को विभिन्न संगठनों के नेटवर्क के माध्यम से जन जन तक पहुंचाने का अथक प्रयास किया। ऐसे जनवादी चिकित्सक की स्मृति में जन स्वास्थ्य अभियान और मप्र. मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन (MP Medical Officers Association) की ओर से व्याख्यानमाला का आयोजन बीती दिनांक 06 मार्च 2021 को गांधी भवन भोपाल में किया गया।
इसमें प्रमुख वक्ता के रूप में डां वंदना प्रसाद और डां अनंत फडके ने व्याख्यान दिये। इसकी अध्यक्षता डां अनंत भान ने की।
वंदना प्रसाद ने बताया कि भारत में कोविड-19 जैसी भयंकर महामारी के समय सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की भूमिका के संबंध में विस्तार से जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में तमाम कमियों के बावजूद सार्वजनिक क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं ने ही आम आदमी को सेवायें प्रदान की और उल्लेख किया कि भविष्य में भी आने वाले इस तरह के संकटों से प्रभावशाली ढंग से निपटने के लिए समुदाय और सरकार के बीच बेहतर समन्वय की अत्यंत आवश्यकता है। क्योंकि हमने देखा कि कोविड जैसी महामारी के दौरान अलग-अलग जगहों में फंसे मजदूरों को जरूरत की चीजें समुदाय ने ही उपलब्ध कराई। परंतु साथ ही साथ उन्होंने आवश्यक स्वास्थ्य क्षेत्र में अधोसंरचना
डॉ. वंदना प्रसाद द्वारा कोविड-19 और भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था विषय पर बोलते हुए कहा कि वैज्ञानिक एवं चिकित्सकों की जिम्मेदारी जनता के प्रति होना चाहिए न कि सत्ता के साथ। इस संदर्भ में कोविड-19 महामारी की चुनौतियों के बारे में बोलते हुए कहा कि वनों का विनाश एवं इसके परिणामस्वरूप जलवायु परिवर्तन का परिणाम (Result of climate change) है कि विभिन्न तरह की महामारियां जन्म ले रही है। लोक स्वास्थ्य के क्षेत्र में वित्तीय प्रावधानों को बढ़ाने की आवश्यकता है!
उन्होंने बजट 2021-22 का उल्लेख करते हुए बताया कि स्वास्थ्य सुविधाओं पर भारत में सकल घरेलू उत्पाद का 1.3%,अमेरिका में 9%, ब्राजील में 4%, चीन में 3%, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 5% की अनुशंसा की है और सभी देशों ने 2.5% का वायदा किया इस वायदे को निभाने में भारत काफी पीछे है। कोविड-19 जैसी महामारी और स्वास्थ्य सुविधाओं में गंभीर कमियों के बावजूद बजट में कमी की गई है अनुमानित बजट 2020 में 2.27%, संशोधित बजट 2020 में 2.47% और अनुमानित बजट 2021 में 2.21% कुल बजट का प्रावधान किया गया है अर्थात अभी भी महामारी जारी है और 2021 के बजट में 2.47% से घटाकर 2.21% कर दिया गया है। ऐसे में जन स्वास्थ्य अभियान की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है कि वह जन समुदाय में वैज्ञानिक दृष्टिकोण पैदाकर सरकार पर बजट बढ़ाने और उसका सदुपयोग करने के लिये स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्यरत जन संगठनों को निगरानी में शामिल करे।
Need for control of private healthcare sector after COVID-19
डॉ अनंत फडके ने अपने व्याख्यान में बताया कि कोविड-19 के पश्चात सुरसा की तरह मुंह फैलाता निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र पर नियंत्रण की अत्यंत आवश्यकता है। चिकित्सा शिक्षा में बढ़ती फीस चिंता का विषय है निजी मेडीकल कॉलेज की फीस और सरकारी कॉलेज की फीस समान होना चाहिए और जिला स्तर पर कॉलेज हों ताकि स्वास्थ्य सेवाओं में मानव संसाधन की कमी को पूरा किया जा सके।
डॉ. अनंत फड़के ने कोविड-19 एवं निजी स्वास्थ्य क्षेत्र पर नियंत्रण की जरूरत के विषय पर बोलते हुए कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य तंत्र एवं चिकित्सा शिक्षा पर बढ़ते दाम एवं निजीकरण पर चिंता व्यक्त किया। इस क्षेत्र में स्वनियंत्रण होना चाहिए। चिकित्सक एवं मरीज के संबंधों को व्यापारिक के स्थान पर सामाजिक होना चाहिए।
जन स्वास्थ्य अभियान की ओर से डॉ. फडके को जन स्वास्थ्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए जन स्वास्थ्य सम्मान प्रदान किया गया।
इस अवसर पर डॉ. माधव हासानी, महासचिव, मप्र मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन ने बताया कि डॉ. अजय खरे मेमोरियल हॉल एवं शासकीय चिकित्सकों के लिए गेस्ट हाउस बनाने के लिए स्वास्थ्य मंत्री से सकारात्मक चर्चा जारी है।
इस कार्यक्रम के पश्चात मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन और जन स्वास्थ्य अभियान के प्रतिनिधि ने स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी से मुलाक़ात कर चर्चा की और उन्होंने भी इसके लिए आश्वासन दिया।
इस कार्यक्रम में तमाम जन संगठनों के लगभग 150 प्रतिनिधियों ने हिस्सेदारी की।