इक फ़ारसी फ़क़ीर के ख़िलाफ़ दो मुंछमुंडे बूढ़े देख रहे बर्बादी का नाच

बर्बादी का नाच

(ट्रंप और नेतन्याहू बनाम खामेनई)

दृश्य कर्कश है, बेहूदा और बदरंग है

ख़ून सना ट्रैजडी का मंच है

दो बूढ़े गुटरगूं कर रहे

राख होते वर्तमान में

भविष्य की छाया टटोल रहे

युद्ध की आग तेज़ कर रहे

अपनी ही क़ब्र खोद रहे

फ़ारसी फ़क़ीर को कोस रहे

कितना अच्छा होता

अगर दोनों बूढ़े कोई शांत, रेशमी सपना बुनते

जिसमें तकनीक नए सूरज रच रही होती

सीमाएं पिघल रही होतीं

दिल और दिमाग़ का कचरा

उड़नछू हो रहा होता

फ़ारसी फ़क़ीर भी साथ खड़ा होता

संपदा कुंडलियों की जकड़ से मुक्त हो रही होती

असली दावेदारों तक पहुंच रही होती

इतिहास के घावों पर मरहम लगा रही होती

नई दुनिया गढ़ रही होती

राग असावरी की तरह कोमल, नम्र, शांत।

उल्टे रास्ते नहीं मिला करते

खुर्राट और नफ़ीस चेहरे मेल नहीं खाते

फ़ारसी फ़क़ीर आंख में गड़ता रहा

पनपती रही ज़हरीली फंतासी

उड़ती रही आसमान में सनसनाती मिसाइलें

घायल धरती पर भिनभिनाते ड्रोन

हंसती बस्तियों को उजाड़ते मौत के कीड़े

फैलाते सड़ांध, बारूद की गंध, भूख का स्वाद

इक फ़ारसी फ़क़ीर के ख़िलाफ़ दो मुंछमुंडे बूढ़े

देख रहे बर्बादी का नाच

ख़ुद अपना सर्वनाश

जिसकी पटकथा उन्होंने ही रची

अपनी मूंछ ऐंठने के लिए

आदियोग