आज (8 जनवरी) वरिष्ठ समाजवादी नेता, लेखक और विचारक श्रद्धेय मधु लिमये की पुण्य तिथि (Madhu Limaye's death anniversary) है। आदरणीय मधुजी की स्मृति को सादर नमन!
मधुजी भारतीय राजनीति के बहुत ही सौम्य, संजीदा और प्रखर विचारक राजनेता थे। उनके जैसे संविधान विशेषज्ञ सांसद हमारी संसद में कम ही हुए हैं। उनकी लेखन प्रतिभा भी अद्भुत थी। उसमें तथ्यों की भरमार के साथ बहुत गहराई होती थी। राजनीतिक विश्लेषक के रूप में उन्होंने जो लिखा वह सब ऐतिहासिक दस्तावेजों के रूप में दर्ज हो गया और आगे चलकर उनकी कही और लिखी बातें सच भी साबित हुईं। वे एक प्रकार से राजनीति के भविष्यवक्ता थे। वे अकेले समाजवादी नेता थे जो डॉ. लोहिया से भी तर्क और संवाद के माध्यम से अपनी राय की पुष्टि कराने की सामर्थ्य रखते थे।
मुझे अपनी तरुणावस्था का वह लम्हा आज भी याद है जब तत्कालीन सोवियत राष्ट्रपति ब्रेझनेव (Soviet President Brezhnev), ने उनसे मिलने के लिये अपनी वापसी की फ्लाइट विलम्बित कर दी थी। तब मैंने उस भेंट वार्ता की सराहना करते हुए 17 वर्ष की उम्र में "नई दुनिया" में सम्पादक के नाम पत्र (Letter to edito) लिखा था। वह सम्भवतः मेरा पहला प्रकाशित पत्र था।
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