रायपुर, 29 जनवरी 2021. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और 500 से अधिक किसान संगठनों से मिलकर बने साझे मोर्चे संयुक्त किसान मोर्चा के देशव्यापी आह्वान पर कल 30 जनवरी को छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन से जुड़े घटक संगठनों के सदस्य 26 जनवरी को दिल्ली की किसान रैली में सरकार प्रायोजित हिंसा के खिलाफ, किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ संघर्ष को तेज करने और शहीद किसानों की स्मृति और उनके सम्मान में दिन भर का उपवास करेंगे।
आज यहां जारी एक बयान में छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के संयोजक सुदेश टीकम और संजय पराते, आलोक शुक्ला, नंद कश्यप, आनंद मिश्रा आदि ने कहा है कि गांधीजी के अहिंसात्मक तरीके और सत्याग्रह के सिद्धांत के आधार पर पिछले दो माह से चल रहे शांतिपूर्ण किसान आंदोलन को फासीवादी और हिटलराना तरीके से तोड़ने की संघ-भाजपा सरकार की साजिश बेनकाब हो चुकी है। इस ऐतिहासिक आंदोलन को बदनाम करने के लिए जिस प्रकार के घटिया हथकंडे यह सरकार अपना रही है, उसके खिलाफ आम जनता का गुस्सा लगातार बढ़ता ही जा रहा है और आम जनता के विभिन्न तबकों का समर्थन उन्हें मिल रहा है। उन्होंने कहा कि इस देशव्यापी आंदोलन के खिलाफ सरकार प्रायोजित हिंसा के बावजूद यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक कि इन तीनों किसान विरोधी कानूनों को वापस नहीं लिया जाता।
इस देशव्यापी किसान आंदोलन के
छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन ने प्रदेश के आम किसानों से अपील की है कि कल एक समय का भोजन त्यागकर मोदी सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद करें। 30 जनवरी महात्मा गांधी की शहादत दिवस भी है, जिन्होंने स्वतंत्र भारत में किसानों के स्वराज का सपना देखा था। गोडसे को पूजने वाली संघ-भाजपा की फासीवादी सरकार उनके इसी सपने को कुचलना चाहती है। इसलिए इस देश के नागरिकों के लिए गांधीजी के स्वराज और संघी गिरोह के हिन्दू राष्ट्रवाद में बुनियादी अंतर है।
उन्होंने कहा कि यह संघर्ष देश की अर्थव्यवस्था को कारपोरेटीकरण से बचाने का और खाद्यान्न आत्मनिर्भरता और सुरक्षा को बचाने का देशभक्तिपूर्ण संघर्ष है, जबकि संघी गिरोह इस देश को साम्राज्यवाद के हाथों बेचना चाहता है। हमारे देश के किसान केवल अपनी खेती-किसानी बचाने की लड़ाई नहीं लड़ रहे हैं, वे इस देश की स्वतंत्रता और अस्मिता की रक्षा के लिए भी लड़ रहे हैं।