मशहूर फिल्म अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती (Famous film actor Mithun Chakraborty) पिछले कई दिनों से लग रहीं तमाम अटकलों को सही साबित करते हुए भाजपा के केसरिया रंग में रंग गए। कोलकाता के ब्रिगेड मैदान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैली (Prime Minister Narendra Modi's rally in Kolkata's Brigade Ground) के मंच पर उन्होंने भाजपा प्रवेश किया। कैलाश विजयवर्गीय ने स्वागतम मिथुन दा कहकर उनका स्वागत किया और भाजपा का झंडा लहराकर मिथुन चक्रवर्ती ने प.बंगाल के चुनाव से अपनी नई राजनीतिक पारी की शुरुआत कर दी।
80 के दशक में मृणाल सेन की फिल्म आई थी मृगया। जिसमें प्रमुख भूमिका में थे मिथुन चक्रवर्ती। उनकी यह पहली फिल्म थी। इस फिल्म को और बतौर अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला। फिल्म में मिथुन ने एक आदिवासी युवक का किरदार निभाकर अपनी अभिनय क्षमता का लोहा मनवाया था। तब किसी को यह अनुमान भी नहीं होगा कि मिथुन कभी डिस्को डांसर के तौर पर लाखों युवाओं के चहेते बन जाएंगे। लेकिन फिल्म इंडस्ट्री में उनकी पहचान एक काबिल डांसर के रूप में बन गई। और उसके बाद फिल्म अग्निपथ में कृष्णन अय्यर नारियल पानी वाला बनकर भी उन्होंने खूब तालियां बटोरीं। इस फिल्म में मुख्य भूमिका अमिताभ बच्चन की थी, लेकिन उतनी ही चर्चा मिथुन चक्रवर्ती की भी हुई।
कह सकते हैं कि अपने अभिनय कौशल से नित नए ढंग से चौंकाना मिथुन दा की
सियासत और मिथुन चक्रवर्ती का रिश्ता बहुत पुराना है। अपने युवा दिनों में वे वामपंथ और नक्सलवाद से प्रेरित थे। वामपंथ की राजनीतिक गतिविधियों में उन्होंने हिस्सा भी लिया। लेकिन फिल्मों में आगे बढ़ने के साथ राजनीति के साथ उनका नाता छूटता गया। एक अर्से के बाद 2014 में उन्होंने तृणमूल कांग्रेस की ओर से राज्यसभा की सदस्यता ग्रहण की। यह वैसा ही था जैसे मृगया के बाद डिस्को डांसर बनना।
प. बंगाल में वामपंथ के तीन दशक के शासन को उखाड़ कर ममता बनर्जी ने सत्ता हासिल की थी। मिथुन चक्रवर्ती तब ममता बनर्जी के साथ थे। अब भाजपा ममता बनर्जी के एक दशक पुराने शासन को खत्म करने का इरादा रख रही है और मिथुन चक्रवर्ती इसके लिए भाजपा की ओर से प्रचार करेंगे। राज्यसभा से तो उन्होंने 2016 में ही इस्तीफा दे दिया था, लेकिन अब भाजपा की ओर से वे किस पद को संभालेंगे, इस पर अभी चुप्पी छाई है। लेकिन यह तय है कि अब मिथुन दा अपनी नई पारी में कृष्णन अय्यर जैसे किरदार की तरह चौंकाएंगे।
शारदा घोटाला ममता सरकार के लिए एक बड़ी बाधा साबित हुआ है। इसमें जिन लोगों का नाम उछला उसमें से कई बड़े नेता अब भाजपा के साथ हो चुके हैं और उनके दाग धुल चुके हैं। मिथुन चक्रवर्ती भी इस घोटाले के कारण आरोपों के घेरे में आए थे। उन्हें प्रवर्तन निदेशालय की पूछताछ का सामना करना पड़ा था। राज्यसभा से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने शारदा कंपनी के ब्रांड एंबेसडर बनने के लिए मिली दो करोड़ की रकम भी ईडी को चुका दी थी। लेकिन बेदाग छवि वापस हासिल करने के लिए शायद भाजपा में जाना उन्हें सही लगा। बीते दिनों उनकी संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ मुलाकात हुई, तब से ही ये कयास लग रहे थे कि मिथुन चक्रवर्ती भाजपा में शामिल हो सकते हैं।
भाजपा भी प.बंगाल में एक ऐसे चेहरे की तलाश में थी, जो लोकप्रियता में ममता बनर्जी को बराबरी की टक्कर दे और बाहरी भी नहीं कहलाए। पहले यह नाम सौरव गांगुली का लग रहा था, लेकिन अब मंच और मैदान मिथुन चक्रवर्ती के लिए सजा है। अब तक मिथुन दा को मुख्यमंत्री का चेहरा तो नहीं बनाया गया है, लेकिन इतना तय है कि उनके प्रचार करने से भाजपा को बढ़त हासिल करने में मदद मिलेगी।
ममता बनर्जी के लिए चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। उन्हें पार्टी के भीतर की कलह के साथ-साथ वामदलों और कांग्रेस के गठजोड़ का सामना करना है और सबसे मजबूत चुनौती दे रही भाजपा की रणनीतियों की काट भी तलाशनी है। कभी हिंदुत्व, कभी टीएमसी के बागी, कभी इतिहास के नायक और कभी फिल्मों के नायकों को भाजपा चुनावी बिसात पर आगे बढ़ाती जा रही है। प.बंगाल की जनता इस खेल में किसे जिताती है, ये देखना दिलचस्प होगा।
देशबन्धु का संपादकीय का संपादित रूप