Hastakshep.com-देश-Corporatization of agriculture-corporatization-of-agriculture-Waste of Indian farming-waste-of-indian-farming-कृषि के कारपोरेटाइजेशन-krssi-ke-kaarporettaaijeshn-बिहार का समाचार-bihaar-kaa-smaacaar-बिहार समाचार-bihaar-smaacaar-बिहार-bihaar-भारतीय खेती किसानी की बर्बादी-bhaartiiy-khetii-kisaanii-kii-brbaadii-समाचार-smaacaar

किसानों के राष्ट्रीय विरोध में शामिल हुआ मजदूर किसान मंच

प्रदेश के कई जिलों में प्रधानमंत्री को भेजा मांग पत्र

27 मई 2020, मोदी सरकार अब तक की सबसे ज्यादा किसान, मजदूर विरोधी सरकार साबित हुई है। कोरोना महामारी के इस संकटकालीन समय में भी देश की अर्थव्यवस्था की रीढ किसानों और मजदूरों को अपने भीमकाय 20 लाख करोड़ के पैकेज में एक पैसा देना इस सरकार ने स्वीकार नहीं किया। उलटे कृषि के कारपोरेटाइजेशन (Corporatization of agriculture) के जरिए वित्त मंत्री ने भारतीय खेती किसानी की बर्बादी (Waste of Indian farming) का ही रास्ता ही खोल दिया। देश के बिजली, रक्षा, कोयला आदि सार्वजनिक उद्योगों व सम्पत्तियों को बेचने का निर्णय लिया। हद यह है कि सरकार ने इस संकट में पांच हजार रूपए हर गरीब को देने की तमाम संगठनों द्वारा उठाई जा रही न्यूनतम मांग तक को नहीं माना। मनरेगा में दिए चालीस हजार करोड़ से मौजूदा जाबकार्डधारी परिवारों को महज दो दिन ही रोजगार मिल सकता है। यहीं वजह है कि प्रदेश में आमतौर पर मनरेगा में कराएं जा रहे काम की मजदूरी बकाया है। यह बातें आज प्रेस को जारी बयान में मजदूर किसान मंच के अध्यक्ष व पूर्व आई जी एसआर दारापुरी और महासचिव डा. बृजबिहारी ने व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि देशभर के दो सौ से ज्यादा किसान संगठनों की अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के 27 व 28 मई के राष्ट्रीय विरोध में आज पहले दिन मजदूर किसान मंच की सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदौली, मऊ आगरा, लखनऊ ईकाईयों ने लाकडाउन के नियमों पालन करते हुए प्रशासनिक अधिकारियों के माध्यम से प्रधानमंत्री को मांग पत्र भेजा। कई जिलों कल भी मांग पत्र दिया जायेगा।

उन्होंने बताया कि इस मांग पत्र में सहकारी खेती को मजबूत करने, किसानों के सभी कर्ज माफ करने, ब्याज मुक्त कर्ज देने, सस्ती लागत सामग्री उपलब्ध कराने, पचास गुना ज्यादा दाम पर

सरकारी खरीद की गारंटी, मनरेगा में सालभर काम और 6 सौ रूपया मजदूरी, प्रवासी मजदूर समेत हर मजदूर व किसान को तत्काल नकद और राशन किट देने, प्रवासी मजदूरों की निःशुल्क वापसी की गारंटी, प्राकृतिक आपदा तूफान, ओलावृष्टि आदि से प्रभावित किसानों को मुआवजा, गन्ना किसानों के बकाए के तत्काल भुगतान, वनाधिकार कानून में पट्टा देने, सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं बहाल करने और किसान विरोधी बिजली संशोधन बिल 2020 वापस लेने जैसी मांगें शामिल रही।

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