लखनऊ 1 जून 2020, कोरोना महामारी के इस विपदाकाल में भी मोदी सरकार देशी-विदेशी कारपोरेट घरानों के लिए देश की सार्वजनिक सम्पदा को बेचने में लगी है। अपने दूसरे कार्यकाल का एक वर्ष पूरा होने का जश्न मना रही इस सरकार का काम महज देश की सार्वजनिक व प्राकृतिक सम्पदा को बेचने का ही रहा है, वास्तव में यह देश बेचवा सरकार है। इस सरकार ने महामारी में भी रक्षा, कोयला का निजीकरण किया, बैंक व बीमा को बर्बाद कर दिया और अब बिजली का निजीकरण करने के लिए लाया जा रहा विद्युत संशोधन कानून किसानों, मजदूरों और आम नागरिकों के हाथ से बिजली जैसा जिंदगी का महत्वपूर्ण अधिकार भी छीन लेगा। इसके खिलाफ बिजली कर्मचारियों के काला दिवस का वर्कर्स फ्रंट और मजदूर किसान मंच के कार्यकर्ताओं ने पूरे देश में समर्थन किया। उत्तर प्रदेश के सोनभद्र, चंदौली, आगरा, मऊ, लखनऊ, बस्ती, गोण्ड़ा, जौनपुर, वाराणसी, इलाहाबाद आदि जिलों में और झारखण्ड़, उड़ीसा, दिल्ली, कर्नाटक जैसे तमाम राज्यों में ईमेल, ट्वीटर, प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा राष्ट्रीय हितों के विरूद्ध बनाए जा रहे विद्युत संशोधन कानून 2020 को वापस लेने के लिए महामहिम राष्ट्रपति को पत्रक भेजा और अपनी फेसबुक व वाट्सअप की डीपी काली की।
वर्कर्स फ्रंट, मजदूर किसान मंच, बुनकर वाहनी, समाचार कर्मचारी यूनियन, ठेका मजदूर यूनियन एवं अन्य संगठनों द्वारा महामहिम को भेजे ज्ञापन में कहा गया कि कारपोरेट घरानों के हितों के लिए विद्युत क्षेत्र के निजीकरण के संशोधन कानून में सब्सिडी, क्रास सब्सिडी को खत्म कर दिया गया है जिसके कारण बिजली के दामों
घाटे का तर्क भी बेईमानी है एक तरफ सस्ती बिजली बनाने वाली अनपरा जैसी इकाईयों में थर्मल बैकिंग करायी जाती है वहीं दूसरी तरफ कारपोरेट घरानों से महंगी बिजली खरीदी जा रही है। वितरण कम्पनियों के घाटे का भी सच यह है कि सरकार ने ही अपना लाखों-करोड़ों रूपया बकाया नहीं दिया। इसलिए ज्ञापन में महामहिम से बिजली जो जीने के अधिकार का हिस्सा है और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत आयेगा उसकी रक्षा के लिए इस संशोधन बिल को वापस लेने की मांग की गयी है।
प्रतिवाद में प्रमुख रूप से उडीसा में मधुसूदन, झारखण्ड़ में मधु सोरेन, हेमन्त दास, दिल्ली में हिम्मत सिंह, वाराणसी में जयराम पांडेय, सोनभद्र में कृपाशंकर पनिका, तेजधारी गुप्ता, चंदौली में अजय राय व आलोक राजभर, इलाहाबाद में राजेश सचान, बस्ती में एडवोकेट राजनारायन मिश्र, गोंडा में एडवोकेट कमलेश सिंह आदि लोगों ने किया।