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Modi government is running away from accountability and transparency

जवाबदेही और पारदर्शिता से भाग रही है मोदी सरकार

छत्तीसगढ़ से पीएम केयर फंड में जमा कराई गई सीएसआर मद और चंदे की राशि छत्तीसगढ़ को जारी किया जाय

रायपुर, 01 जून 2020। प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता सुरेन्द्र वर्मा ने कहा है कि कोरोना आपदा के इस संकट के समय में भी मोदी सरकार अपनी जिम्मेदारियों और दायित्वों से लगातार भाग रही है। जवाबदेही और पारदर्शिता को लगातार ताक पर रखना केंद्र सरकार की नीति और नीयत पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। हाल ही में आरटीआई एक्ट 2005 के तहत 1 अप्रैल 2020 को पीएम केयर्स फंड के गठन की सूचना मांगी गई थी। 29 मई 2020 को प्रधानमंत्री कार्यालय ने सूचना देने से यह कहते हुए साफ मना कर दिया कि पीएम केयर फंड "पब्लिक अथॉरिटी" नहीं है।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने सवाल करते हुए भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से पूछा है कि पीएम केयर फंड जब पब्लिक अथॉरिटी नहीं है तो क्या भाजपा की निजी तिजोरी है? संवैधानिक प्रावधानों के तहत स्थापित "पीएम रिलीफ फंड" को बाईपास करके इस पी एम प्राइवेट लिमिटेड फंड को बनाने का औचित्य क्या है? ना हिसाब, ना कैग आडिट और ना ही आरटीआई के तहत जवाब/जानकारी। लोकतंत्र में नेतृत्व की विश्वसनीयता के लिए सबसे प्रमुख आवश्यकता है - पारदर्शिता l इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 लागू किया गया था। भाजपा की मोदी सरकार ने ना सिर्फ़ इस सूचना के अधिकार कानून को कमज़ोर करने का काम किया है, बल्कि इनके स्वयं-हित को राष्ट्र-हित से ऊपर बताने का काम भी किया है l इस घोर आपदा के समय भी ये लोग अपने स्वार्थ और अधिनायकवादी सोच से ऊपर नहीं उठ पा रहे हैंl

उन्होंने कहा कि

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री सहायता कोष में जमा और अब तक के खर्च के पाई पाई का हिसाब जनता के सामने रख दिया है। पर केंद्र की मोदी सरकार पीएम केयर फंड के आय-व्यय की जानकारी देने से साफ़ तौर पर मना कर रही है।

श्री वर्मा ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में खनन क्षेत्रों के साथ ही यहां स्थापित उद्योगों के सीएसआर मद का पैसा भी बड़े पैमाने पर सीएम केयर फंड को बाईपास करके पीएम केयर फंड में छत्तीसगढ़ के भाजपाइयों के द्वारा दबाव पूर्वक जमा करवाया गया है। उल्लेखनीय है कि सीएसआर फंड पर पूरा अधिकार खनन और उद्योग से प्रभावित क्षेत्र की जनता का होता है। इस सीएसआर की राशि को पीड़ित और प्रभावित क्षेत्र की जनता के पेयजल, स्वास्थ्य, साफ-सफाई, शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट के लिए खर्च करने का प्रावधान है। पर भाजपा नेताओं द्वारा इस आपदा काल में प्रदेश की जनता का हक मारकर दुर्भावनापूर्वक इस सीएसआर राशि को सीधे पीएम केयर फंड में जमा करवाया गया।

सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 2 (h) में "पब्लिक अथॉरिटी" की परिभाषा में कहा गया है कि:-

सेक्शन 2(ज) “लोक प्राधिकारी” से,

(क) संविधान द्वारा या उसके अधीन;

(ख) संसद द्वारा बनाई गई किसी अन्य विधि द्वारा;

(ग) राज्य विधान-मंडल द्वारा बनाई गई किसी अन्य विधि द्वारा;

(घ) समुचित सरकार द्वारा जारी की गई अधिसूचना या किए गए आदेश द्वारा, स्थापित या गठित कोई प्राधिकारी या निकाय या स्वायत्त सरकारी संस्था अभिप्रेत है,

और इसके अन्तर्गत,

(i) कोई ऐसा निकाय है जो समुचित सरकार के स्वामित्वाधीन, नियंत्रणाधीन या उसके द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उपलब्ध कराई गई निधियों द्वारा सारभूत रूप से वित्तपोषित है;

(ii) कोई ऐसा गैर-सरकारी संगठन है जो समुचित सरकार, द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उपलब्ध कराई गई निधियों द्वारा सारभूत रूप से वित्तपोषित है।

उपरोक्त संवैधानिक प्रावधानों से स्पष्ट है कि सरकार द्वारा गठित और वित्तपोषित कोष निश्चित रूप से पब्लिक अथॉरिटी है, लेकिन मोदी सरकार की नीयत में खोट है और इसीलिए उक्त फंड का हिसाब देने से बार बार इंकार कर रही है। विगत 2 महीनों से आपदा काल के दौरान मोदी सरकार का रवैया जनहित ना होकर चंद पूंजीपतियों के लाभ पर केंद्रित है। तमाम श्रम कानूनों और व्यवसायिक उपबंधों में चंद पूंजीपतियों के हित में संशोधन किए गए। हमारी यह स्पष्ट मांग है कि छत्तीसगढ़ के खनन और उद्योगों के सीएसआर फंड से जमा कराई गई राशि के साथ ही चंदा इकट्ठा करके पीएम केयर फंड में जमा कराई गई राशि को छत्तीसगढ़ को जारी किया जाए। और यह छत्तीसगढ़ पर केंद्र का कोई अहसान नहीं है क्योंकि यह छत्तीसगढ़ का ही पैसा है, छत्तीसगढ़ के हक का पैसा है जिसकी जरूरत इस आपदा काल में छत्तीसगढ़ की जनता को है l यह छत्तीसगढ़ का पैसा है जिसे दुर्भावनापूर्वक और शातिर तरीके से छत्तीसगढ़ से बाहर ले जाया गया हैl

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