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लखनऊ 27 फरवरी 2017। रिहाई मंच ने मोदी पर खुफिया विभागों द्वारा हमले के कथित इनपुट को भाजपा द्वारा अपनी डूबती चुनावी नाव को पार कराने के लिए खुफिया एजेंसियों को भी लगा देने की गंदी राजनीति करार दिया है।

मंच ने अंदेशा व्यक्त किया है कि चुनाव में किसी तरह बने रहने के लिए कहीं हताशा में संघ परिवार और खुफिया एजेंसियां देश में मालेगांव और अक्षरधाम जैसी आतंकी विस्फोट भी करा सकती हैं।

यहां गौरतलब है कि अपर पुलिस अधीक्षक रविद्र कुमार सिंह ने पिछले दिनों प्रेस कांफ्रेंस कर कहा था कि मऊ में मोदी की सभा के ऊपर  रॉकेट लॉन्चर से हमला हो सकता है, जो गुजरात के पूर्व गृहमंत्री हरेन पंड्या की हत्या के अभियुक्तों की तरफ से किया जा सकता है।

रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा है कि भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने के एजेंसियों के दबाव में अपर पुलिस अधीक्षक रविंद्र कुमार सिंह ने यह बयान तो दे दिया, लेकिन इस जल्दबाजी में अपनी मूर्खता भी साबित कर गए। वे यह भूल गए कि हरेन पंड्या की हत्या में पंड्या के पिता विठ्ठल पंड्या और उनकी पत्नी जागृति पंड्या अदालत और सार्वजनिक तौर पर लगातार पंड्या की हत्या का आरोप नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर लगाते रहे हैं। यहां तक कि उनकी पत्नी जागृति पंड्या ने तो इस मामले में फंसाए गए मुस्लिम आरोपी असगर अली, जिसे बाद में अदालत ने बरी कर दिया, से खुद 13 जून 2013 को विसाखापटनम जेल में मिलने भी गई थीं और प्रेस कांफ्रेंस करके कहा था कि अमित शाह और मोदी को बचाने के लिए गुजरात पुलिस ने इसे फंसाया है।

रिहाई मंच नेता ने कहा कि यह भी हो सकता है कि हरेन पंड्या की हत्या में मोदी और शाह पर उठने वाले सवालों को दबाने के लिए इस तरह के बयान एजेंसियों से दिलवाए गए

हों। क्योंकि गुजरात का हर आदमी इस सच्चाई को जानता है कि मोदी और अमित शाह ने ही हरेन पंड्या की हत्या करवाई थी क्योंकि उन्होंने कई स्वतंत्र जांच समूहों और यहां तक कि सरकारी जांच आयोग के सामने भी गुजरात जनसंहार में मोदी की भूमिका के प्रमाण प्रस्तुत किए थे।

रिहाई मंच प्रवक्ता शाहनवाज आलम ने कहा कि मतदान से ठीक एक दो दिन पहले इस तरह का माहौल बनाना कि मोदी को आतंकियों से खतरा है और इसके लिए कथित सूत्रों के हवाले से फर्जी और काल्पनिक खबरें चलवाकर  हिंदुओं को डराकर भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने की यह रणनीति भाजपा ने पहले चरण में भी अपनाई थी। लेकिन वहां जाटों ने इस अफवाह की हवा निकाल दी थी। उस समय अचानक से सूरत की पुलिस दिल्ली स्पेशल सेल की कथित सुराग के आधार पर मोहम्मद उस्मान नाम के व्यक्ति को पकड़ने के लिए संभल पहुंच गई और चुनाव तक वहीं डेरा डाले रही। जबकि दिल्ली स्पेशल सेल के मुताबिक उस कथित आतंकी की सूचना उन्हें पूछताछ के दौरान पिछले साल नवम्बर में ही मिल गई थी।

सवाल उठता है कि अगर सरकार और खुफिया एजेंसियां आतंकवाद के प्रति इतनी ही गम्भीर हैं तो सूचना मिलने के तीन महीने बाद पुलिस संभल क्यों पहुची। क्या वो चुनाव का इंतजार कर रही थी।

राजीव यादव ने आरोप लगाया कि यही रणनीति भाजपा अंतिम चरणों में भी आजमाना चाहती है। लेकिन यहां भी वही हश्र होगा जो पष्चिमी उत्तर प्रदेश में हुआ। 

रिहाई मंच प्रवक्ता ने कहा कि हो सकता है कि संघ, खुफिया एजेंसियों और पीएमओ जिसमें अजित डोभाल और गुजरात कैडर के मुस्लिम विरोधी और फर्जी मुठभेड़ों के मास्टरमाइंड मौजूद हैं, का नापाक गठजोड़ अक्षरधाम और मालेगांव जैसा आतंकी विस्फोट कराकर देश का माहौल बिगाड़ने की कोशिश करें।

उन्होंने कहा कि यह अंदेशा इस तथ्य से भी बढ़ जाता है कि खुफिया एजेंसियां लगातार गुजरात के माफिया और खुफिया एजेंसियों के करीबी रसूल खान पार्टी का नाम उछाल रही हैं। यहां गौरतलब है कि रसूल खान पार्टी पर एनआईए के लिए काम करने का आरोप लगता है और ऐसा हो सकता है कि रसूल खान पार्टी को उत्तर प्रदेश के चुनाव में माहौल बनाने के लिए बलि का बकरा बनाया जाए और उसे किसी मामले में गिरफ्तार दिखा दिया जाए या फर्जी एनकांउटर में मार दिया जाए।

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