साहब के भाषण के अनुसार स्वदेशी अपनाओ का नारा दिया गया। इसका मतलब एफडीआई को कम करेगी सरकार ?। लेकिन गडकरी जी से लेकर संबित तक सब कह रहे हैं कि भारत में जल्द बड़ा विदेशी निवेश होगा। लोकल को ही ब्रांड बनाओ लेकिन सरकार की कथनी और करनी में फर्क समझ में आ रहा है। यह सरकार कहती कुछ और करती कुछ और है।
याद होगा जब कांग्रेस की सरकार थी तो एफडीआई का भाजपा ने पुरजोर विरोध किया था (BJP was strongly opposed to FDI)। मोदी जी ने ट्वीट किया था कि और एफ़डीआई का मुद्दा बताता है कि हमारे प्रधानमंत्री ने हमारे लोकतंत्र की नई परिभाषा गढ़ दी है. विदेशियों की सरकार, विदेशियों द्वारा, विदेशियों के लिए ।
प्रकाश जावड़ेकर जो मौजूदा केंद्रीय मंत्री हैं उन्होंने 2013 में ट्वीट किया था कि रक्षा जैसे क्षेत्र में सरकार एफडीआई लेकर देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रही है। लेकिन जैसे ही मोदी जी की सरकार आई तो तुरंत रक्षा सहित कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सौ प्रतिशत एफडीआई लागू कर दी।
कल के लगभग पैंतीस मिनट के निबंधात्मक भाषण में गरीब मजदूरों के लिए कोई संवेदना नहीं व्यक्त की गई । बीस लाख करोड़ का पैकेज देखते हैं किसके काम आता है। गरीब मजदूर लगता है, कहने से पहले ही साहब की बात समझ लेते हैं तभी तो जान है तो जहान है, का नारा लगाने से
राघवेंद्र दुबे
लेखक समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता हैं।